बिहार के पूर्णिया ज़िले में बतौना गांव में महीनों तक एक फर्जी पुलिस थाना चलाया जाता रहा, जहां युवाओं को होमगार्ड और कांस्टेबल की सरकारी नौकरी का झांसा देकर लाखों रुपये वसूले गए। मुख्य आरोपी राहुल कुमार ने सैकड़ों युवाओं को वर्दी, ID कार्ड और ड्यूटी देकर यह विश्वास दिलाया कि वे जल्द सरकारी पद पर नियुक्त होंगे। लेकिन जब वेतन और आधिकारिक आदेश नहीं मिला तो मामला खुला। पुलिस ने किया फर्जी थाना सील! आरोपी पर धोखाधड़ी व जालसाजी के तहत कार्रवाई जारी!
बिहार में महीनों तक चलता रहा ‘फ़र्ज़ी थाना’
बिहार के पूर्णिया ज़िले के बतौना गांव में महीनों तक एक ऐसा “थाना” चलता रहा जिसका न कोई सरकारी रिकॉर्ड था, न कोई आदेश। लेकिन उसके भीतर पुलिस की वर्दी, लकड़ी की लाठी, कथित ID कार्ड और नकली सरकारी मुहरें बिल्कुल असली लगती थीं। इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड था राहुल कुमार, जिसने खुद को थाना प्रभारी बताकर गांवों के सैकड़ों युवाओं को नौकरी देने का वादा किया। गांव के स्कूल भवन में चलाया गया यह फर्जी पुलिस स्टेशन देखने में बिलकुल असली लगता था। स्थानीय लोग इसे पूरी तरह सरकारी थाना मान बैठे थे और कई महीनों तक यह फर्जी तंत्र बेरोकटोक चलता रहा।
300 से ज़्यादा लोग बने शिकार, लाखों की ठगी
राहुल कुमार ने बेरोजगार युवाओं से कहा कि वह उन्हें होमगार्ड, ग्राम रक्षा दल और कांस्टेबल पदों पर नियुक्त कर सकता है। इसके बदले में सभी से पैसे वसूले गए। कई युवाओं ने अपनी जमा पूंजी, जबकि कई ने कर्ज लेकर “नौकरी” के नाम पर रकम दी। प्रति उम्मीदवार ₹10,000 से ₹50,000 तक वसूले गए। कुल ठगी का अनुमान ₹50 लाख से अधिक का बताया जा रहा है।
नकली थाना, असली ट्रेनिंग
युवाओं से फीस लेने के बाद उन्हें प्रशिक्षण जैसी प्रक्रिया से गुजारा गया, वर्दी पहनाई गई और यहां तक कि गांवों में गश्त, वाहन जांच और अवैध शराब पकड़ने जैसी नकली “ड्यूटी” भी करवाई गई। इस दौरान कुछ वाहनों से वसूली भी की गई, जिससे इस फर्जी व्यवस्था को “असली अधिकार” जैसा रूप मिल गया।
कैसे खुला राज?
शुरुआती महीनों में सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से चला, लेकिन जब कई हफ्तों तक नौकरी का कोई आधिकारिक आदेश या वेतन नहीं मिला, तब पीड़ितों में शक पैदा हुआ। कुछ युवाओं ने इंटरनेट और सरकारी पोर्टल से जांच की तो पता चला कि ऐसा कोई भर्ती अभियान चल ही नहीं रहा था। इसके बाद शिकायतें ज़िले के असली थाना और प्रशासन तक पहुंचीं। जांच में जब टीम मौके पर पहुंची, तो पूरा “थाना” नकली निकला- वर्दी, दस्तावेज, मुहरें, पहचान पत्र, सब कुछ जाली !
गिरफ्तारियां और कार्रवाई
जांच टीम ने फर्जी थाना को सील कर दिया। इस दौरान कई दस्तावेज, पैसे और नकली सरकारी सामान जब्त किए गए। मुख्य आरोपी राहुल कुमार शुरुआत में गांव से फरार हो गया, लेकिन पीछा तेज होने के बाद अंततः उसने अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण किया। प्रशासन राहुल और उसके सहयोगियों के खिलाफ धोखाधड़ी, वसूली, सरकारी पहचान दुरुपयोग और फर्जी नियुक्ति मामलों में धाराएं लगा रहा है। इस घटना ने गांव के लोगों और बेरोजगार युवाओं को एक झटका दिया है। जहां कुछ लोग इस बात से हैरान हैं कि एक स्कूल में महीनों तक नकली थाना चलता रहा, वहीं कई यह सवाल उठा रहे हैं कि प्रशासन इतनी देर तक अनजान कैसे रहा !
बेरोज़गार बनते हैं ठगी के आसान शिकार
यह घटना सिर्फ धोखाधड़ी का मामला नहीं, बल्कि समाज में बेरोजगारी, विश्वास और व्यवस्था पर विश्वास टूटने की कहानी है। इसने यह भी साबित किया है कि वर्दी और मुहर के नाम पर लोग कितनी आसानी से ठगे जा सकते हैं। अब पुलिस की जिम्मेदारी सिर्फ आरोपियों को सज़ा दिलाने की नहीं, बल्कि उन युवाओं के विश्वास और भविष्य को भी वापस बनाने की है जिन्हें नौकरी के नाम पर सपने बेचकर लूटा गया।
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