देहरादून/बद्रीनाथ, उत्तराखंड के धार्मिक नगरों में स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण को लेकर एक प्रेरणादायक उदाहरण सामने आया है। बद्रीनाथ नगर पंचायत ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के तहत 1.10 करोड़ रुपये मूल्य का कचरा बेचकर पूरे प्रदेश में स्वच्छता अभियान की नई मिसाल कायम की है। यह उपलब्धि न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि तीर्थ स्थलों पर बढ़ती गंदगी और प्रदूषण की गंभीर समस्या की ओर भी ध्यान आकर्षित करती है।
बद्रीनाथ नगर पंचायत ने बनाया कचरे से कैश
नगर पंचायत अधिकारियों के अनुसार, बद्रीनाथ धाम में हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं, जिसके चलते यहां प्रतिदिन टनों के हिसाब से कचरा उत्पन्न होता है। इस कचरे में प्लास्टिक बोतलें, पैकेजिंग सामग्री, खाने के अवशेष, और धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग किए गए फूल-मालाएं शामिल हैं। नगर पंचायत ने इन अपशिष्टों को वर्गीकृत कर रिसायकल योग्य सामग्री को अलग कर बेचा, जिससे 1.10 करोड़ रुपये की आय हुई। नगर पंचायत अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राणा ने बताया, “हमने पिछले दो वर्षों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर कई कदम उठाए। बद्रीनाथ जैसे संवेदनशील और धार्मिक स्थल पर सफाई बनाए रखना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। इस कचरे की बिक्री से प्राप्त राशि का उपयोग अब सफाई व्यवस्था और कचरा प्रसंस्करण संयंत्र के विस्तार में किया जाएगा।”
धार्मिक स्थलों पर बढ़ती गंदगी बनी चिंता का विषय
विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तराखंड के चारधाम- बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में हर वर्ष तीर्थयात्रियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इसके साथ ही कचरे की मात्रा भी कई गुना बढ़ी है। बद्रीनाथ नगर पंचायत ने बेचा 1.10 करोड़ रुपये का कचरा! धार्मिक स्थलों पर बढ़ती गंदगी बनी चुनौती के अनुसार, सिर्फ 2024 में चारधाम यात्रा के दौरान लगभग 1,800 टन से अधिक कचरा उत्पन्न हुआ था। पर्यावरणविद् डॉ. संजय नौटियाल कहते हैं, “प्लास्टिक और खाद्य पैकेजिंग सामग्री सबसे बड़ी समस्या है। श्रद्धालु भावनावश प्रसाद, फूल और प्लास्टिक की बोतलें खुले में फेंक देते हैं, जिससे न केवल धार्मिक स्थल गंदे होते हैं बल्कि पहाड़ी पारिस्थितिकी पर भी खतरा बढ़ता है।”
स्वच्छता के लिए नई पहलें
राज्य सरकार ने हाल ही में घोषणा की है कि चारधाम मार्गों पर “प्लास्टिक-मुक्त तीर्थ यात्रा क्षेत्र” लागू किया जाएगा। इसके तहत यात्रियों से अपील की जाएगी कि वे पुन: उपयोग योग्य बोतलों और थैलियों का प्रयोग करें। साथ ही बद्रीनाथ और केदारनाथ में कचरा प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करने की योजना पर भी काम जारी है। नगर पंचायत ने स्थानीय महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को भी इस अभियान से जोड़ा है, जो कचरे की छंटाई, रीसायक्लिंग और जैविक अपशिष्ट से कम्पोस्ट तैयार करने का कार्य कर रही हैं।
स्थानीय जनता की भूमिका और उम्मीदें
बद्रीनाथ के स्थानीय नागरिकों ने इस पहल की सराहना की है। उनका कहना है कि प्रशासन के साथ-साथ यात्रियों को भी स्वच्छता के प्रति जिम्मेदार होना चाहिए। “भगवान के धाम को स्वच्छ रखना हर श्रद्धालु का कर्तव्य है,” एक स्थानीय दुकानदार ने कहा।
सोशल मीडिया ने बदली श्रद्धा की परिभाषा: धार्मिक स्थल बन रहे ‘टूरिस्ट स्पॉट’, बढ़ रही गंदगी और कूड़े का अंबार
देशभर के मंदिरों, दरगाहों, गुरुद्वारों और तीर्थस्थलों पर अब आस्था से ज्यादा कैमरे और सेल्फी की चमक दिखाई देने लगी है। सोशल मीडिया पर लाइक्स और फॉलोअर्स की दौड़ ने धार्मिक स्थलों को एक नए रूप में बदल दिया है। ‘भक्ति के केंद्र’ अब ‘टूरिज़्म के हॉटस्पॉट’ बनते जा रहे हैं। लेकिन इसके पीछे एक चिंताजनक सच्चाई भी है, तेजी से बढ़ती गंदगी, कूड़ा और पर्यावरण प्रदूषण !
सोशल मीडिया पर ‘भक्ति पर्यटन’ का ट्रेंड
पिछले कुछ वर्षों में ‘ट्रैवल रील्स’ और ‘व्लॉग्स’ के चलन ने धार्मिक स्थलों को एक डिजिटल आकर्षण बना दिया है। वाराणसी, हरिद्वार, उज्जैन, वृंदावन, शिरडी, अमृतसर और पुरी जैसे स्थलों पर अब रोज़ाना लाखों श्रद्धालुओं के साथ हजारों सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर्स पहुंच रहे हैं। इन वीडियो में भक्ति की जगह अब ‘परफेक्ट शॉट’ और ‘ट्रेंडिंग हैशटैग’ का बोलबाला है। इस दिखावे की संस्कृति का असर सबसे ज्यादा इन पवित्र स्थानों की स्वच्छता पर पड़ा है। राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में देश के प्रमुख 20 धार्मिक स्थलों से औसतन 30 प्रतिशत अधिक ठोस कचरा एकत्र हुआ। हरिद्वार और ऋषिकेश में गंगा तटों पर प्लास्टिक बोतलें, फूल-मालाएं और खाने के पैकेट रोज़ाना टनों के हिसाब से जमा हो रहे हैं। वाराणसी नगर निगम के एक अधिकारी ने बताया, “सिर्फ दशाश्वमेध घाट से ही रोज़ाना करीब 15 टन कचराएकत्र किया जाता है, जिसमें 70 प्रतिशत प्लास्टिक सामग्री होती है।”
तीर्थयात्री नहीं, ‘पर्यटक’ मानसिकता का प्रभाव
समाजशास्त्रियों का मानना है कि आज के दौर में तीर्थ यात्रा का स्वरूप बदल गया है। पहले जहां लोग भक्ति, साधना और आत्मिक शांति के लिए आते थे, वहीं अब अधिकतर आगंतुक ‘विज़ुअल कंटेंट’ और ‘रील मोमेंट्स’ के लिए पहुंच रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग की प्रोफेसर डॉ. मनीषा शंकर कहती हैं, “धार्मिक स्थलों पर आध्यात्मिकता की जगह दिखावे ने ले ली है। सोशल मीडिया ने भक्ति को मनोरंजन में बदल दिया है, और यह बदलाव पर्यावरण पर भारी पड़ रहा है।”
प्रशासनिक और धार्मिक संस्थानों की चिंता
कई मंदिर समितियों और स्थानीय प्रशासन ने इस समस्या पर चिंता जताई है। वृंदावन के प्रेम मंदिर और बनारस के काशी विश्वनाथ धाम में ‘नो रील जोन’ बनाने की योजना पर विचार चल रहा है। गंगा सफाई अभियान से जुड़े कार्यकर्ता राजीव मेहता ने कहा, “लोग सेल्फी के लिए नदी में उतर जाते हैं, पूजा सामग्री बहा देते हैं, जिससे नदियां और घाट दोनों प्रदूषित हो रहे हैं। यह सिर्फ श्रद्धा का अपमान नहीं, बल्कि प्रकृति के साथ अन्याय है।”
सरकार की स्वच्छ तीर्थ योजना
केंद्र और राज्य सरकारें अब धार्मिक स्थलों को ‘स्वच्छ तीर्थ योजना’ के तहत कवर करने पर काम कर रही हैं। इसके अंतर्गत प्लास्टिक प्रतिबंध, कचरा प्रबंधन संयंत्र और CCTV निगरानी की व्यवस्था की जा रही है। साथ ही, सोशल मीडिया पर जिम्मेदार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अभियान शुरू करने की तैयारी है, ताकि श्रद्धा और स्वच्छता का संतुलन बना रहे।
सोशल मीडिया ने जहां लोगों को धार्मिक स्थलों से जोड़ा है, वहीं उसने श्रद्धा को प्रदर्शन में बदल दिया है। आज जरूरत इस बात की है कि हम अपने धार्मिक स्थलों को केवल फोटो खिंचवाने की जगह नहीं, बल्कि आस्था, शांति और स्वच्छता के प्रतीक के रूप में देखें। क्योंकि अगर यही रुझान जारी रहा, तो कल को ये पवित्र स्थान भक्ति के नहीं, बल्कि कचरे के ढेर और प्रदूषण के प्रतीक बन जाएंगे। बद्रीनाथ नगर पंचायत द्वारा 1.10 करोड़ रुपये का कचरा बेचकर की गई पहल यह दर्शाती है कि यदि ठोस योजना और जनसहभागिता हो, तो कचरा भी कमाई और स्वच्छता दोनों का साधन बन सकता है।
हालांकि, धार्मिक स्थलों पर बढ़ती गंदगी अब भी एक गंभीर चुनौती है। ऐसे में जरूरी है कि प्रशासन, स्थानीय जनता और श्रद्धालु, तीनों मिलकर “स्वच्छ तीर्थ, पवित्र पर्वत” का संकल्प निभाएं।
Long or Short, get news the way you like. No ads. No redirections. Download Newspin and Stay Alert, The CSR Journal Mobile app, for fast, crisp, clean updates!

