झांसी रेलवे स्टेशन पर शनिवार को एक ऐसी घटना घटी जिसने भारतीय सेना की संवेदनशीलता और सेवा भावना को एक बार फिर सबके सामने रख दिया। सेना के डॉक्टर मेजर रोहित बचवाला ने एक गर्भवती महिला की उस समय मदद की जब वह प्रसव पीड़ा से जूझ रही थी और समय पर अस्पताल पहुंचाना संभव नहीं था। मेजर ने बिना देर किए प्लेटफॉर्म पर ही सुरक्षित डिलीवरी करवाई और मां-बच्चे दोनों की जान बचाई। अब उनकी इस बहादुरी और सेवा को देखते हुए सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने उन्हें खासतौर पर सम्मानित किया है।
छुट्टी पर थे, फिर भी निभाई डॉक्टर की जिम्मेदारी
मेजर रोहित बचवाला उस समय एक महीने की छुट्टी लेकर हैदराबाद स्थित अपने घर जा रहे थे। झांसी रेलवे स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार करते हुए उन्होंने एक गर्भवती महिला को दर्द से तड़पते हुए देखा। महिला व्हीलचेयर से गिर पड़ी थी और हालत गंभीर हो रही थी। बिना समय गंवाए मेजर बचवाला ने महिला की मदद करने का फैसला किया। उन्होंने बताया, “महिला को देखकर लगा कि यह मामला बहुत नाजुक है और अगर तुरंत कुछ नहीं किया गया तो मां और बच्चे दोनों की जान को खतरा हो सकता है। इसलिए मैंने प्लेटफॉर्म पर ही डिलीवरी कराने का फैसला लिया।”
धोती से बनाया पर्दा, हेयर क्लिप और चाकू से कराई डिलीवरी
मेजर बचवाला ने रेलवे कर्मचारियों की मदद से धोती से पर्दा बनाया, जिससे महिला को थोड़ी प्राइवेसी मिल सके। उन्होंने अपने पास उपलब्ध चाकू, हेयर क्लिप और अन्य सामान से साफ-सफाई का ध्यान रखते हुए महिला की सफल डिलीवरी कराई। इस दौरान रेलवे की महिला कर्मचारियों ने भी भरपूर मदद की। सभी ने मिलकर चारों ओर घेरा बना दिया, ताकि महिला को सुरक्षित माहौल मिल सके। महिला और नवजात दोनों स्वस्थ हैं और बाद में उन्हें एम्बुलेंस से अस्पताल भेजा गया।
रेलवे अधिकारी ने भी की तारीफ
उत्तर मध्य रेलवे के झांसी मंडल के जनसंपर्क अधिकारी मनोज कुमार सिंह ने घटना की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि पनवेल से बाराबंकी जा रही एक महिला को झांसी स्टेशन पर अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हुई। ऐसे समय में मेजर रोहित बचवाला और महिला टिकट चेकिंग स्टाफ की मुस्तैदी ने एक बड़ा संकट टाल दिया। मनोज कुमार सिंह ने कहा, “अगर डॉक्टर बचवाला समय पर न होते तो स्थिति बिगड़ सकती थी। उनका यह योगदान अतुलनीय है।”
डिलीवरी के बाद समय पर ट्रेन भी पकड़ ली
यह घटना जितनी मर्मस्पर्शी है, उतनी ही प्रेरणादायक भी। महिला और नवजात की जान बचाने के बाद मेजर बचवाला ने समय पर अपनी ट्रेन भी पकड़ ली और हैदराबाद के लिए रवाना हो गए। लोगों ने उनकी इस तत्परता और मानवता को खूब सराहा। स्टेशन पर मौजूद कई लोग इस दृश्य को देखकर भावुक हो गए। कई यात्री वीडियो बनाते नजर आए तो कुछ मदद के लिए हाथ बढ़ाते दिखे।
न्यूनतम संसाधन, लेकिन बड़ा योगदान
प्लेटफॉर्म जैसे स्थान पर, बिना किसी ऑपरेशन थिएटर और मेडिकल स्टाफ के, सिर्फ सामान्य सामानों से एक सुरक्षित डिलीवरी कराना आसान काम नहीं है। लेकिन मेजर रोहित बचवाला ने यह कर दिखाया।
उनका यह कार्य दर्शाता है कि भारतीय सेना के जवान सिर्फ बॉर्डर पर ही नहीं, बल्कि समाज के हर मोर्चे पर मानवता की सेवा में तत्पर रहते हैं। मेजर बचवाला की इस कहानी ने यह साफ कर दिया कि एक डॉक्टर का कर्तव्य कभी छुट्टी पर नहीं होता। जब मामला इंसानियत का हो, तो वर्दी में हो या बिना वर्दी, सेना का जवान हर समय तैयार रहता है। झांसी रेलवे स्टेशन की यह घटना हमें यह सिखाती है कि न केवल पेशेवर कौशल, बल्कि संवेदनशीलता और साहस भी सच्चे हीरो की पहचान होते हैं।
कश्मीर घाटी में इस सीजन की पहली और असामयिक बर्फबारी ने पूरे क्षेत्र में सर्दी का आगाज़ कर दिया है। सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) के असर...
The OneSight EssilorLuxottica Foundation, one of the largest global foundations dedicated to expanding inclusive access to vision care, has partnered with the World Health...
New Delhi, India: Child Heart Foundation (CHF) observed World Heart Day 2025 on Monday at Panchsheel Club, New Delhi, under the theme “Protecting Little...