मुंबई शहर की ऐतिहासिक धरोहर है बाणगंगा सरोवर, माता सीता की खोज में मुंबई के वालकेश्वर इलाके में यही प्रभु राम के चरण पड़े थे और अपने बाण से गंगा की धार निकालकर प्रभु राम ने अपनी प्यास बुझाई थी। इसी पैराणिक और ऐतिहासिक धरा की धरोहर बचाने के लिए RPG ग्रुप आगे आया लेकिन शायद RPG ग्रुप की मंशा ठीक नहीं थी। Revival and Restoration of Banganga प्रोजेक्ट के तहत RPG ग्रुप अपने सीएसआर से 2 सालों में 3 करोड़ 30 लाख खर्च किये लेकिन इन 3 करोड़ 30 लाख में बाणगंगा का कितना ब्यूटीफिकेशन और कितना हेरिटेज रीवाइवल हुआ आज इसी का पड़ताल The CSR Journal अपने ख़ास प्रोग्राम Deep Dive के जरिये करेगा।
RPG Group की दो कंपनियों CEAT और KEC International ने दिया CSR Fund
The CSR Journal के पास मौजूद दस्तावेजों के मुताबिक टायर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी CEAT और Power Transmission कंपनी KEC International दोनों ने मिलकर बाणगंगा के रिवाइवल के लिए 3 करोड़ 30 लाख रुपये खर्च किया। 3 करोड़ 30 लाख खर्च करने के बाद आपको ऐसा लग रहा होगा कि Banganga का जीर्णोद्धार हो गया होगा लेकिन सच्चाई इससे परे है। दस्तावेजों में लिखे आकड़े और ग्राउंड रियलिटी चेक करने के लिए जब The CSR Journal की बाणगंगा पहुंची तो पाया कि Harsha Goenka की कंपनी RPG Enterprises ने पानी की तरह पैसा बहाया है लेकिन मौके पर काम मात्र दिखावा है।
3 करोड़ के सीएसआर फंड से लगाए बेंच, स्ट्रीट लाइट, Information Signage ख़राब हो रहे हैं
Revival and Restoration of Banganga प्रोजेक्ट के तहत RPG ग्रुप अपने सीएसआर से बैठने के लिए चंद बेंच, दीवारों पर पेंटिंग, हेरिटेज स्ट्रीट लाइट, बच्चों के लिए प्ले गार्डन, Information Signage ही लगाए है जिसके लिए RPG Group की टायर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी CEAT ने अपने CSR फंड से साल 2021-2022 में 61.75 लाख रुपये खर्च किया तो वही साल 2020 2021 में Ceat Tyre ने 38.35 लाख खर्च किये। RPG की दूसरी कंपनी KEC International ने साल 2020 2021 में 83 लाख और साल 2021-2022 में 1.46 करोड़ खर्च किया है।
RPG ग्रुप के ही फाउंडेशन RPG Foundation ने किया है काम
The CSR Journal की Investigative Team ने बाकायदा RTI के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए पूरे के पूरे डॉक्यूमेंटस निकाले और बाणगंगा में जाकर मौके पर पड़ताल की। बेंच देखें, Information Signage देखे, लाइटें देखी और पड़ताल में पाया कि बेंचेस खराब हो रहे है, लाइटें भी खराब हो रही है। इसी के लिए लगातार Harsha Goenka की कंपनी RPG Enterprises ने 2 वर्षों में पानी की तरह पैसा बहाते हुए 3 करोड़ 30 लाख रुपये खर्च किया है।
आरपीजी ग्रुप के सीएसआर का पैसा गया तो गया कहां – स्थानीय निवासी
स्थानीय निवासी आशीष तिवारी से जब The CSR Journal ने बात की तो उन्होंने बताया कि ” RPG ने इतका करोड़ कहां खर्च किया यहां पर तो कुछ दिख ही नहीं रहा है”। वहीं चिराग दवे ने कहा कि “आरपीजी फाउंडेशन द्वारा लगाए गए बिजली के खंबे की वायरिंग ऐसे ही खुली थी जो किसी दुर्घटना को निमंत्रण दे रही थी। पारंपरिक स्ट्रीट लाइट निकालकर हेरिटेज लाइट के खंबे लगाए गए जो आये दिन खराब रहता है जिसे ठीक कराने का कोई मैकेनिज्म नहीं है।”
Revival और Restoration का RPG Group का काम मात्र दिखावा है
हमेशा बाणगंगा को हाशिये पर देखा गया है। गंदगी, दुर्दशा की दंश हमेशा से ही बाणगंगा ने झेला है। बहरहाल बाणगंगा के नाम पर आरपीजी ग्रुप ने 3 करोड़ 30 लाख रुपये खर्च कर डाले फिर भी बाणगंगा का ना Revival और ना ही Restoration हुआ। ऐसे में जरूर ये सवाल उठते है कि क्या आरपीजी का सीएसआर महज दिखावा है। क्या आरपीजी का सीएसआर सिर्फ पैसे का बंटाधार है। क्या आरपीजी का सीएसआर सिर्फ Waste of Money है।