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साल 2018 में उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में राष्ट्रीय औसत से नीचे रहने वाली बच्चों की पढ़ाई और गणना क्षमता में जबरदस्त उछाल दर्ज किया गया है। हालांकि, निपुण भारत मिशन के प्रभावी क्रियान्वयन और सतत प्रयासों के चलते, 2024 की ASER रिपोर्ट में चौंकाने वाले सकारात्मक बदलाव दर्ज किए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, कक्षा तीन के बच्चों के पढ़ने के स्तर में 8.3% अंक और गणितीय दक्षता में 7% अंक का सुधार हुआ है।
टीचरों की उपस्थिति में भी उछाल
देशभर में प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता को मापने और छात्रों की बुनियादी पढ़ने एवं गणना करने की क्षमताओं का आकलन करने वाला स्वतंत्र सर्वेक्षण ASER 2024 रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2018 में जहां परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में छात्रों की औसत उपस्थिति 59.9% थी, लेकिन 2024 में यह बढ़कर 71.4% तक पहुंच गई, जो एक सकारात्मक संकेत है। इसी तरह, शिक्षकों की उपस्थिति भी 2018 में 85.2% थी, जो 2024 में 85.5% तक पहुंच गई है।
बच्चों की पढ़ने लिखने की क्षमता में हुआ सुधार
बच्चों की पढ़ने-लिखने की क्षमता में भी निरंतर सुधार हो रहा है। 2018 में कक्षा तीन के केवल 12.3% छात्र ही कक्षा दो का पाठ पढ़ने में सक्षम थे, लेकिन 2024 तक यह आंकड़ा बढ़कर 27.9% हो गया है। इसी तरह, कक्षा पांच के छात्रों की पढ़ने की क्षमता भी 2018 में 36.2% थी, जो 2024 में 50.5% तक पहुंच गई। वहीं, कक्षा आठ के छात्रों में यह प्रतिशत 2022 में 62.6% था, जो 2024 में बढ़कर 67.3% हो गया।
गुजरात और तमिलनाडु जैसे शीर्ष राज्यों की श्रेणी में शामिल हुआ यूपी
कक्षा तीन के बच्चों के पढ़ने का स्तर 8.3% अंक बढ़ा है, जबकि कक्षा तीन और पांच के बच्चों की अंकगणितीय दक्षता में 7% अंक की बढ़ोतरी हुई है। वर्ष वर्ष 2018 में कक्षा 3 के बच्चों की पढ़ने की क्षमता का स्तर 12.3% था, जो 2024 में बढ़कर 24.7% हो गया है, यानी कुल 15.6 प्रतिशत अंकों की वृद्धि दर्ज की गई है। इतना ही नहीं, गणितीय दक्षता के स्तर में भी बड़ी बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2018 में जो क्षमता 11.2% थी, वह वर्ष 2024 में बढ़कर 31.6% तक पहुंच चुका है। इस प्रकार, कुल 20 प्रतिशत अंकों की वृद्धि के साथ उत्तर प्रदेश अब गुजरात और तमिलनाडु जैसे शीर्ष राज्यों की श्रेणी में शामिल हो गया है।