ऐसे करें अपने गांव का विकास, बनायें अपने गांव को मॉडल विलेज
देश के विकास का रास्ता गांव की गलियों से होकर ही गुजरता है। गांव का जो रास्ता शहर की तरफ जाता है वही रास्ता गांव की तरफ भी आता है। लेकिन तमाम दावों, वादों और योजनाओं के बावजूद भी आज गांव की तरफ विकास अपना रुख नहीं कर पाया है। जिससे तरक्की का रास्ता और गुलजार हो सके, गावों में समृद्धि आ सके। सरकार बनाने में ग्रामीणों का विशेष योगदान होता है, लेकिन चुनाव के बाद गांव की तरफ शायद ही कोई जनप्रतिनिधि वहां आता हो। नेता अपने काम और जाति की दुहाई लेकर गांव में वोट मांगने जरूर आते हैं लेकिन विकास करने की बारी जब आती है तो ये नेता रफूचक्कर हो जाते है। भारत मुख्यतः गांवों का देश है, यहां की अधिकांश जनसंख्या गांवों में रहती है। आधे से अधिक लोगों का जीवन खेती पर निर्भर है, इसलिए इस बात की आप कल्पना भी नहीं कर सकते कि गांव के विकास के बिना देश का विकास किया जा सकता है।
गांव के विकास से ही राष्ट्र का विकास संभव है
गांधी जी ने कहा था – अगर आप असली भारत को देखना चाहते है तो गांवों में जाइये क्योंकि असली भारत गांवों में बसता है। आर्थिक सामाजिक जातिगत सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक फिलहाल देश में कुल 73.44 फीसदी परिवार ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करते हैं। इस आधार पर गांव में ज्यादा होना चाहिए जो कि नहीं हो सका। आज भी बहुत सारे गांव में स्कूल, अस्पताल, स्वच्छ पीने के पानी की व्यवस्था, सिंचाई के साधन, खेती खलियान कृषि, छोटे उद्योग जैसी मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी है। इन सबको ठीक करने के लिए सभी सरकारों की जिम्मेदारी है लेकिन ग्राम पंचायत की ज्यादा जिम्मेदारी है। गांव के विकास के लिए शासन की न कोई योजनाबद्ध प्रणाली है और ना ही विकास कार्यों को लेकर इच्छाशक्ति दिखाई देती है।
विकसित ग्राम, विकसित प्रदेश और विकसित देश
इसी के चलते निरंतर व्याप्त निराशा और भविष्य की चिंता में गांव में भारी भरकम लोग भारी संख्या में पलायन कर रहे हैं। आज भी कई ऐसे गांव है जहां पर बिजली के खंभे तो लग गए है, तारे पहुंच गई हैं, लेकिन बिजली नहीं पहुंची है। जहां इलाज के लिए ग्रामीणों को आज भी झोलाछाप डॉक्टरों के भरोसे ही रहना पड़ता है। देश में कई ऐसे गांव है जहां आज भी पीने के पानी के लिए सिर पर पानी उठाकर लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। समस्याएं तमाम है लेकिन क्या ये जिम्मेदारी सिर्फ सरकार, प्रशासन, जिला पंचायत या फिर ग्राम पंचायत की ही है। अगर ये जिम्मेदारी हम और आप उठा लें कि हमें हमारे जिले, हमारे गांव में विकास की गंगा बहानी है तो ये संभव है।
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर जानें कैसे आप बना सरके है अपने गांव को एक मॉडल विलेज
हम कब तक दूसरों को कोसते रहते हुए सिर्फ हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहेंगे। आज समूचे भारत में राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस (National Panchayati Raj Day) मनाया जा रहा है ऐसे में आइये जानते है कि ऐसा क्या करने से हमारे गांवों में विकास हो सकता है। अगर आप जिम्मेदार और जागरूक नागरिक है तो गांव के विकास में आप बहुत बड़ा योगदान दे सकते है। गांव के विकास में आपको क्या चाहिए, सबसे पहले तो ये आपको समझना होगा। सिलसिलेवार तरीके से जानते है।
एक आदर्श गांव बनाने के लिए किन-किन चीजों की जरूरत होती है
ग्राम पंचायत विकास योजना के माध्यम से गांवों के समग्र विकास के लिए कार्ययोजना तैयार किया जाता है और इनके स्वीकृत होते ही गांवों और ग्रामीणों की जरूरत के अनुसार विकास एवं निर्माण कार्य कराया जाता है। किसी भी गांव को आदर्श बनाने के लिए इसकी बुनियादी ढांचे को मजबूत करनी पड़ती है। जिस प्रकार से मजबूत बुनियाद ही विशाल इमारत खड़ा करने में सक्षम है उसे प्रकार मजबूत बुनियाद गांव और पंचायत को भी सक्षम बनाती है। स्थानीय नेतृत्व व सामुदायिक भागीदारी के साथ-साथ पंचायत सरकार, राज्य सरकार और केंद्र सरकार की योजनाओं को गांव के विकास में लगाना एक आदर्श गांव के लिए आवश्यक है। ऐसे में आप खुद जिला मुख्यालय में जाकर ग्राम विकास के लिए कौन-कौन सी सरकारी योजनाएं है इसका लिस्ट बनाकर इन योजनाओं को अपने गांव में अमल करवाएं।
गांव के विकास में इन सरकारी योजनाओं को लाएं अमल में
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सपना था कि प्रत्येक गांव स्वच्छ हो, सड़क बिलकुल दुरुस्त हो, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था हो, जानवरों के लिए चारागाह हो, प्राथमिक से लेकर माध्यमिक शिक्षा का केंद्र हो जहां बच्चे बचपन से ही हुनरमंद बने, विवादों के निपटारन के लिए ग्राम पंचायत कचहरी हो, सफल और सब्जियों के लिए समुचित बाजार उपलब्ध हो, पर्यावरण सही हो, लोगों का रहन-सहन उच्च कोटि का हो। गांव में वाचनालय और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए मंच और खेलकूद की पूरी व्यवस्था हो। इन सभी के लिए सरकार ने Government Scheme बनाये है। जिसका फॉलो अप लेकर आप अपने गांव में ये योजनाएं ला सकते है।
खेती किसानी के लिए ये करें काम, हो जायेंगे किसान समृद्ध
भारतीय ग्रामीणों की आय का प्रमुख साधन कृषि है। कुछ लोग पशु-पालन से अपनी जीविका चलाते हैं। तो कुछ कुटीर उद्योग से कमाते है। भारत देश की आजादी के बाद से कृषि के विकास के साथ-साथ ग्राम-विकास की गति भी बढ़ी। लेकिन अगर आपको उन्नत खेती करनी है तो आपको आज की तकनीक अपनानी होगी। पारम्परिक खेती को छोड़कर आज आपको सॉइल टेस्ट करवाना होगा, आपकी मिटटी के लिए कौन सा फसल उपयुक्त है ये पहले जानना होगा उस हिसाब के किसान खेती करेगा तो वो समृद्ध होगा। आज किसानों के पास कृषि में उपयोग किये जाने वाले यंत्र भी पाए जाते है। इसे पाने के लिए कई योजनाएं है जिसकी जानकारी जिला कृषि अधिकारी के पास मिलेगा। एक जागरूक नागरिक जाकर ये हासिल कर सकता है। भारतीय किसानों की स्थिति ख़राब होने का एक प्रमुख कारण कृषि-ऋण है। बड़े-बड़े सेठ और साहूकार किसान को थोड़ा सा लोन देकर उसे अपनी फसल बहुत कम दाम में बेचने को मजबूर कर देते हैं। इसलिए आज अधिकांश गांवों में बैंक खोले गए हैं जो मामूली ब्याज पर किसानों को ऋण देते हैं। इन Farmer Loan की जानकारी लें।
ऐसे करें शुद्ध पेयजल की व्यवस्था, जिससे गांव में पीने के पानी की नहीं होगी समस्या
गांव में शुद्ध एवं पर्याप्त पानी के लिए लोग तालाब, पोखर पर ज्यादातर निर्भर होते हैं और खासकर उत्तर भारत में ग्राउंडवाटर पानी का सबसे बड़ा साधन है। ऐसे में केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा हर घर नल योजना चलायी जा रही है, आप इन योजनाओं के बारे में जानकारी लेकर जिलाधिकारी कार्यालय में अगर आपके गांव में शुद्ध पीने के पानी का व्यवस्था नहीं है तो डीएम ऑफिस में एप्लीकेशन कर सकते हैं। जिससे आपके गांव में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था हो जाएगी।
ऐसे करें इलाज, शिक्षा के लिए करें व्यवस्था
अगर आपके गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं है या फिर आपके आसपास कोई डॉक्टर या फिर बीमारी के इलाज की व्यवस्था नहीं है तो आप जिलाधिकारी या फिर जिले के चीफ मेडिकल ऑफिसर से मुलाकात कर आपके गांव या फिर आसपास में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खुलवाने के लिए आप उसे एक एप्लीकेशन दे सकते हैं। बात करें शिक्षा की तो प्रत्येक 2 से 3 किलोमीटर के फैसले पर राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार ने सुनिश्चित किया हुआ है कि प्राइमरी स्कूल हो या फिर सेकेंडरी स्कूल हो। अगर किसी कारणवश आपके यहां पर शिक्षा के लिए, एजुकेशन के लिए स्कूल नहीं है तो आप डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर से मुलाकात कर उसको एक ज्ञापन दे सकते हैं और यदि आपके यहां पर स्कूल है लेकिन अच्छी शिक्षा व्यवस्था नहीं है तो इसकी आप शिकायत जिला शिक्षा विभाग को कर सकते हैं। अगर जो आप अपने स्कूल में लाइब्रेरी या फिर कंप्यूटर एजुकेशन की भी सुविधा चाहते हैं तो भी आप जिला शिक्षा अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।
उद्योग और रोजगार की भी करें सुनिश्चित, ताकि हो गांव का विकास
प्रत्येक गांव में ग्राम सभा की जमीन पर्याप्त मात्रा में होती हैं। अगर आपके गांव में उद्योग और रोजगार की व्यवस्था नहीं है तो ऐसे में जिला उद्योग विभाग में जाकर उनसे मिलकर एक ज्ञापन सौंप सकते हैं। जहां पर आपके गांव में राज्य सरकार कृषि आधारित रोजगार या फिर कृषि आधारित उद्योग के लिए इंडस्ट्रीज को जमीन दे सकती है। जहां पर डेयरी, मुर्गी पालन, चरखा, कुटीर उद्योग आदि की व्यवस्था की जा सकती है। इससे आपके गांव में न सिर्फ उद्योग होगा बल्कि रोजगार की भी व्यवस्था हो सकती है। आप अपने गांव को अगर हरा भरा बनाना चाहते हैं और पर्यावरण और ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में काम करना चाहते हैं तो हर जिले में एक सरकारी नर्सरी होती है जहां से आपको मुफ्त पौधे मिलते हैं। वहां पर जाकर आप मुफ्त पौधे लाकर आप अपने गांव में उसका रोपण कर सकते हैं।
आदर्श गांव बनाने के लिए सबसे पहले ग्रामीणों में इच्छा शक्ति का होना चाहिए। दूसरी चीज होती है नेतृत्व जहां जैसा नेतृत्व होता है वहां वैसे उन्नति होती है। सरकारी योजनाओं का हाल सभी जगह एक सी रहती है लेकिन अगर आप एक जागरूक नागरिक है और अपने अधिकारों और कर्तव्यों की जानकारी रखते हैं तो ऐसे में आप इन तरीकों से अपने गांव को एक आदर्श ग्राम बना सकते हैं।