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कितनी स्वस्थ है हमारे देश की स्वास्थ्य व्यवस्था? पढ़ें Healthy India की पोल खोलती ये इलेक्शन रिपोर्ट

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कितनी स्वस्थ है हमारे देश की स्वास्थ्य व्यवस्था? पढ़ें Healthy India की पोल खोलता ये इलेक्शन रिपोर्ट कार्ड
 
हमारी सांसे उखड़ रही थी, हमारी आस टूट रही थी, हमारे जहन में लगातार सवाल उठता कि क्या धरती पर इंसान का अस्तिव्त खतरे में आ गया है। हम इलाज के लिए दर-दर भटक रहे थे। एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल लेकिन जगह नहीं मिलती। अगर हम जिद करते तो स्ट्रेचर पर अस्पताल के बाहर पड़े रहिये। ना ऑक्सीजन मिल रहा था और ना डॉक्टर और ना ही दवाईयां। ये आलम था कोरोना काल में जब समूचे विश्व में कोरोना महामारी की घोषणा हुई और अचानक देश की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा सी गयी। देश के Health System पर सवाल खड़े होने लगे कि India Health System कितना कारगर है अपने Citizen की देखभाल करने में। अपने विकासशील देश की तुलना अन्य विकसित देशों से करें तो हेल्थ, Health Infrastructure, Technology in Healthcare में हम तो आगे है लेकिन ये सुविधाएं आम जरूरतमंद तक कितनी पहुंचती है ये सवाल है। भारत के लोकतांत्रिक व्यवस्था में आम जनमानस की अपेक्षा रहती है कि केंद्र और राज्य सरकारें उनके कल्याण के लिए कम करें, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के साथ-साथ रोटी, कपडा, मकान, सड़क, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं आपको मुहैया कराएं वो भी मुफ्त। देश की सरकारें भी वोट पाने के लिए इन सब को लेकर लोकलुभावन वादे करती है। स्वास्थ्य को लेकर भी केंद्र सरकार ने अपने मेनिफेस्टो में इसका जिक्र किया था। BJP Manifesto in Lok Sabha Election 2019 में Making Healthcare Accessible, Strengthening Health Infrastructure, Immunization and Nutrition, Eliminating Tuberculosis पर जोर देते स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने को लेकर कई उपाययोजना की बात कही थी। आज World Health Day 2024 है ऐसे में आइये समझते हैं इस लोकसभा इलेक्शन रिपोर्ट कार्ड (Lok Sabha Election Report Card) के जरिये India में Health Services का हाल कितना बदहाल और कितना बेहाल है।
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भारत में बेहद निराशाजनक है स्वास्थ्य सेवा की स्थिति

किसी भी देश की तरक्की तभी संभव है जब उसके नागरिक सेहतमंद हों। जनता स्वस्थ हो, इसके लिए देश में Medical Services in India दुरुस्त होनी चाहिए, लेकिन भारत में स्वास्थ्य सेवा की स्थिति निराशाजनक है। भारत पर अपनी 140 करोड़ आबादी की सेहत का ख्याल रखने की बड़ी जिम्मेदारी है। अपने देश में अनेक बीमारियां मौजूद हैं जो गरीबी, अशिक्षा, जानकारी की कमी, साफ सफाई, स्वच्छता एवं सेहत के प्रति उदासीनता की वजह से फैलती हैं। भारत के अनेक अस्पताल और डॉक्टर गुणवत्तायुक्त इलाज मुहैया कराने के लिए विदेशों में भी प्रसिद्धि हासिल कर रहे हैं लेकिन इसके बावजूद भारत में अब भी स्वास्थ्य संबंधी अनेक समस्याएं मौजूद हैं। भारत में जीवन प्रत्याशा दोगुनी हुई है। शिशु मृत्यु दर महत्वपूर्ण रूप से घटी है। स्मॉल पॉक्स, पोलियो और कुष्ठ रोग लगभग जड़ से खत्म हो गए हैं। मगर भारत की जनता कुपोषण, स्वच्छता और संक्रामक रोगों से अब भी जूझ रही है। पर्यावरण प्रदूषण और जीवन शैली, शराब का सेवन, धूम्रपान, उच्च वसायुक्त खान पान तथा गतिहीन जीवन के कारण देश में मधुमेह यानी डायबिटीज, हृदय संबंधी दिक्कतों जैसे हार्ट अटैक एवं कैंसर जैसी बीमारियों की दर बढ़ी है। कई सामान्य सी लगने वाली बीमारियां भी महामारी का रूप धारण कर ले रही हैं या व्यापक स्तर पर भारतीय आबादी को प्रभावित कर रही हैं।

टीबी, मलेरिया और डायरिया जैसे बीमारियों से भी लोगों की हो रही है मौत

संक्रामक बीमारियों मसलन टीबी, मलेरिया, काला-अजार, डेंगू बुखार, चिकनगुनिया, Water Borne Diseases जैसे हैजा और डायरिया भारत में प्रमुख स्वास्थ्य संबंधी समस्या हैं। भारत में बीमारियों से होने वाली कुल मौतों में एक चौथाई मौतें डायरिया, सांस संबंधी दिक्कत, टीबी और मलेरिया के कारण होती हैं। इसके अतिरिक्त अनेक नई बीमारियों जैसे एड्स, इबोला विषाणु, एवियन जुकाम, एच 1 एन 1 विषाणु इत्यादि के होने का खतरा हमेशा बना रहता है। इस प्रकार अनेक सामाजिक और आर्थिक कारणों से स्वास्थ्य संबंधी असमानताओं के रहते भारत लगातार बीमारियों का बोझ डोल रहा है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की समस्या भी अलग-अलग हैं। जहां शहरों में खराब जीवन शैली के चलते Heart, Liver, Kidney से संबंधित बीमारियां असमय ही युवा वर्ग को भी बेहद तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रहे हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रामक बीमारियां का प्रभाव कायम है।
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नहीं है पर्याप्त हॉस्पिटल ना ही है पर्याप्त डॉक्टर

भारत को आजाद हुए लगभग 77 साल हो गए लेकिन आज भी चिकित्सा के क्षेत्र में पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। भारत में अब तक तीसरी दुनिया की कही जाने वाली अनेक बीमारियां व्याप्त हैं, जो काफी पहले ही विकसित देशों से विलुप्त हो चुकी हैं। भारतीय आबादी का बड़ा हिस्सा बीमारियों से जूझता है और अस्पतालों में लंबी कतारों के साथ सुविधाओं का अभाव है। जहां अनेक परीक्षण उपकरण (Medical Diagnostic Equipment) पुराने पड़ गए हैं। अपने देश में अस्पतालों (Hospitals and Doctors in Indian) और डॉक्टरों की उपलब्धता जनसंख्या के घनत्व के हिसाब से कम है और सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं, आधारभूत संरचना, चिकित्सकों, कमरों, दवाइयों, कुशल व प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ एवं अन्य सुविधाओं की कमी है। नाइट फ्रैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रति 1,000 लोगों पर 3 Hospital Bed होनी चाहिए ऐसे में इस अनुपात तक पहुंचने के लिए भारत को अतिरिक्त 2.4 मिलियन (24 लाख) अस्पताल बिस्तरों की आवश्यकता है। फिलहाल भारत में अनुमानित 70,000 अस्पताल हैं, जिनमें से 63 प्रतिशत निजी क्षेत्र से हैं यानी ये प्राइवेट हॉस्पिटल है। इन्हीं आभावों के चलते अपने देश में निजी स्वास्थ्य क्षेत्र को विस्तार करने का मौका मिल गया जिसका गरीब लोगों से कोई वास्ता नहीं।

तुरंत इलाज और फ़ौरन सर्जरी के लिए भी है लंबी वेटिंग लिस्ट, इन Health Policy in India से बदलाव संभव

जिन गंभीर रोगियों को तुरंत इलाज अथवा सर्जरी की जरूरत होती है उन्हें भी अस्पताल में भर्ती होने के लिए लंबा समय लगता है। यहां तक पता चला है कि कुछ अस्पतालों में तो एक बिस्तर को एक साथ तीन मरीज तक साझा करते हैं। इससे दूरदराज की स्थिति समझी जा सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत परिवर्तन की प्रक्रिया से गुजर रहा है और वर्तमान में यहां के स्वास्थ्य क्षेत्र के समक्ष अनेक चुनौतियां हैं। इनमें स्वास्थ्य के स्तर में सुधार लाना, जनता को बीमारियों से बचाना, जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप बेहतर जवाबदेही सुनिश्चित करना, स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाना तथा इनकी गुणवत्ता, निरंतरता व स्थिरता को सुनिश्चित करना प्रमुख है। इन समस्याओं को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता, लोक स्वास्थ्य सेवा, कार्यक्रम, पर्याप्त स्टाफ, मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर और तकनीकी सुविधाओं से हासिल किया जा सकता है। भारत में सरकारों ने स्वास्थ्य क्षेत्र में अनेक कदम उठाए हैं जिनमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 1983 (National Health Policy), स्थानीय संस्थाओं को शक्ति प्रदान करने वाले संविधान के 73वें व 74वें संशोधन, राष्ट्रीय पोषण नीति 1993, राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, भारतीय चिकित्सा, होम्योपैथी, दवा पर राष्ट्रीय नीति 2002, गरीब स्वास्थ्य बीमा योजना 2003, सरकार के सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम 2004 में स्वास्थ्य को शामिल करना है। इनके अतिरिक्त राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और सार्वभौमिक स्वास्थ्य योजना भी बारहवीं पंचवर्षीय योजना में शामिल हैं। Healthcare in India

ग्रामीण भारत में हेल्थ सुविधाओं की स्थिति भयावह है

3100 मरीजों पर मात्र एक बिस्तर समूचा भारत स्वस्थ समूह की बदहाली की मार झेल रहा है। यही वजह है कि ग्रामीण क्षेत्र में आम जनमानस या तो झोलाछाप डॉक्टर से इलाज करने के लिए मजबूर है या फिर झाड़फूक के जरिए अपनी बीमारियों से निजात पाने का प्रयास करते हैं। सरकारी डॉक्टरों की ग्रामीण क्षेत्रों में तैनाती होने के बावजूद भी गांव में नहीं जाते। वो शहरों में अपना मेडिकल सेंटर शुरू कर देते हैं। कहते हैं कि असली भारत गांव में बसता है मगर गांव के लोगों की सेहत का ख्याल रखने वाले चिकित्सा केंद्र 21 सदी के भारत में भी बदतर ही है। ग्रामीण क्षेत्रों में चलने वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मेडिकल एक्सपर्ट की काफी कमी देखी जाती है। ऐसे शहर और गांव के बीच एक ऐसी खाई बन गई जिसका परिणाम भविष्य में काफी भयावह हो सकते हैं। भले देश में तरक्की की कितनी भी दावे किए जाएं पर गांव में करीब 80 फ़ीसदी चिकित्सा विशेषज्ञों की कमी होना अपने आप में कई सवाल पैदा करता है। ऐसे में स्वस्थ भारत खुशहाल भारत कैसे बनेगा। ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी 2021-22 की रिपोर्ट बताती है कि देश के ग्रामीण क्षेत्रों में सर्जन डॉक्टर की लगभग 83 फीसदी कमी है, बाल रोग विशेषज्ञों की 81 फीसदी और फिजिशियन की 80 फ़ीसदी की कमी है। यही हाल प्रस्तुति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञों की है ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी अमूमन 72 फीसदी की कमी है। इतना ही नहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पीएचसी की हालत भी ठीक नहीं है। शिक्षा और स्वास्थ्य देश में कमाई का जरिया बन चुका है हालांकि केंद्र सरकार ने कुछ ऐसे प्रयास किए हैं जिस जिससे ग्रामीण और गरीब लोगों तक सस्ती और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंच सके। इसमें आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana) शामिल है जिसका उद्देश्य 50 करोड़ से अधिक लोगों को स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करना है मगर आयुष्मान भारत योजना भी अपर्याप्त वित्त पोषण, स्वास्थ्य कर्मियों की कमी, अपर्याप्त आधारभूत संरचना की वजह से हांफते हुई नजर आ रही है।
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स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार यानी आर्थिक विकास में वृद्धि

किसी भी देश में स्वस्थ नागरिक उस देश के लिए एक बहुत बड़ी पूंजी मानी जाती है। नागरिकों के स्वस्थ रहने से देश की अर्थव्यवस्था को सीधे सीधे दो लाभ होते हैं। एक, देश के स्वस्थ नागरिकों की उत्पादकता तुलनात्मक रूप से अधिक रहती है। दूसरे, यदि नागरिक बीमार हैं तो उनको स्वस्थ रखने के लिए अधिक खर्च करना होता है, जो कि एक तरह से अनुत्पादक खर्च की श्रेणी में गिना जाता है, और बीमार नागरिकों की उत्पादकता तो कम होती ही है। इस बीच यदि देश में उत्तम दर्जे की स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं तो अस्वस्थ नागरिकों को जल्दी स्वस्थ कर पुनः उनकी उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है। जिसका सीधा लाभ उस नागरिक के साथ ही देश के आर्थिक विकास में सुधार के रूप में भी देखने में आता है। हाल ही के समय में, भारत में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए केंद्र सरकार द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं और केंद्र सरकार द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च की जाने वाली राशि का बजट में प्रावधान लगातार बढ़ाया जा रहा है ताकि देश के नागरिक न केवल स्वस्थ रहें बल्कि यदि बीमार भी हों तो उन्हें उत्तम दर्जे की स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करायी जा सके एवं वे शीघ्रतिशीघ्र स्वास्थ्य लाभ लेकर अपने आप को आर्थिक गतिविधियों में संलग्न कर सकें।
Ayushman Bharat Yojana was launched to provide affordable to the poorest

Ayushman Bharat Yojana वरदान साबित हो रहा है Health Schemes in India

इसी संदर्भ में यहां केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई आयुष्मान भारत योजना का उल्लेख किया जा सकता है। यह योजना अल्पकाल में ही गरीब वर्ग के स्वस्थ जीवन का आधार बन कर गरीबों-वंचितों के लिए वरदान बन गई है। आयुष्मान भारत योजना या प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, भारत सरकार की एक स्वास्थ्य बीमा कवर योजना है, जिसे 23 सितंबर, 2018 को पूरे भारत में लागू किया गया था। इस योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर नागरिकों अर्थात बीपीएल धारकों को स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराना है। इसके अन्तर्गत आने वाले प्रत्येक परिवार को 5 लाख रुपए तक का कैशलेस स्वास्थ्य बीमा (Cashless Health Insurance) उपलब्ध कराया जा रहा है। भारत में केवल आयुष्मान भारत योजना को ही लागू नहीं किया गया है बल्कि देश में स्वास्थ्य सेवाओं को आसान और सुलभ बनाने के लिए भी केंद्र सरकार अन्य कई प्रयास कर रही है। जैसे अभी गत वर्ष केंद्र सरकार ने ‘ई-संजीवनी’ टेलीमेडिसिन सेवा को आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के साथ जोड़ दिया है। इसका उद्देश्य भारत में मौजूदा डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं की दूरियों को कम करने और संबंधित पक्षों के लिए डिजिटल रास्ता बनाना है। वर्ष 2018 में प्रारम्भ की गई आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत टेली-परामर्श सेवा, 3 करोड़ टेली-परामर्श को पार कर गई है। वहीं, 23 सितंबर 2018 को शुरू हुई आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना के अंतर्गत अभी तक 21 करोड़ से अधिक परिवारों को आयुष्मान कार्ड प्रदान कर दिए गए है।
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भारत मेडिकल टूरिज्म का हब बनता जा रहा है

यूं तो स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से ही देश में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए प्रयास किए जा रहे हैं परंतु पिछले 8-9 वर्षों के दौरान इस ओर विशेष ध्यान दिए जाने से देश की स्वास्थ्य व्यवस्था में व्यापक सुधार दृष्टिगोचर हुआ है। कोरोना महामारी के दौरान जिस तरीके से भारत में इस महामारी को सफलतापूर्वक नियंत्रित किया गया, इसकी पूरे विश्व में भारत की सराहना हुई है। 130 करोड़ से अधिक आबादी वाले देश में अन्य विकसित देशों की तुलना में मृत्यु दर बहुत कम रही और बाद के समय में तो भारत में ही तैयार किए गए टीके के भी 200 करोड़ से अधिक डोज देश के नागरिकों को सफलतापूर्वक लगाए जा चुके हैं, जिससे कोरोना महामारी एक तरह से भारत में नियंत्रित हो गई है, वहीं चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, आदि देशों के नागरिक अभी भी कोरोना बीमारी से जूझ रहे हैं। भारत में न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हुआ है बल्कि भारत में चिकित्सा क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने में भी केंद्र सरकार ने अतुलनीय कार्य किया है, इसमें चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार के साथ ही तकनीकी सुविधाओं का विस्तार भी शामिल है। इसके कारण आज विदेशी नागरिकों के इलाज के लिये भी भारत एक पसंदीदा जगह बनता जा रहा है। भारत मेडिकल टूरिज्म का हब बनता जा रहा है। मेडिकल सुविधाओं के मामले में भारत आज विश्व के कुछ चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है। विदेशी नागरिक भारत में अब केवल घूमने के मकसद से नहीं आ रहे हैं बल्कि अपना इलाज कराने भी आ रहे हैं। हर साल जटिल बीमारियों का इलाज कराने लाखों विदेशी नागरिक भारत आ रहे हैं। भारत आज दुनिया में तीसरा सबसे बडा, इलाज के लिहाज से, पसंद किया जाने वाला देश बन गया है।

निष्कर्ष

भारत स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना कर रहा है। जो नागरिकों की भलाई को प्रभावित कर रही है। भारत प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए कई उपाय लागू किए हैं। जिनमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू करना, स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देना और देश की जनता को सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना शामिल है। हालांकि इन स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने और सभी नागरिकों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए और अधिक प्रयास किए जाने की जरूरत है जो कि भारत सरकार लगातार इसमें काम कर रहा है चाहे वह स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने को लेकर या फिर मेडिकल हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने को लेकर। इन स्वास्थ्य चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने, स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने और विशेष रूप से दूर दराज और ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सुधार करने के प्रयास लगातार भारत सरकार द्वारा किया जा रहा है। इसके अलावा सरकार को पर्यावरण प्रदूषण, अपर्याप्त स्वच्छता और गरीबी सहित इन स्वास्थ्य चुनौतियों को मूल कारणों को संबोधित करने पर भी ध्यान सरकार दे रही है। इसके साथ-साथ  हम सब मिलकर काम करें तो इन स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं और सभी नागरिकों के लिए एक स्वस्थ और अधिक समृद्ध भारत बना सकते हैं।

Lok Sabha Elections Report Card 2024

Loksabha Election Report Card on Health in India