महाराष्ट्र महायुती सरकार को आखिरकार शिंदे के सामने झुकना पड़ा और उन्हे SDMA राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को शामिल करना पड़ा। मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में आपदा प्रबंधन के नियमों में बदलाव कर शिंदे को SDMA में शामिल कर लिया गया।
शिवसेना गुट की नाराजगी को देखते हुए बदला फैसला
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को प्राधिकरण में शामिल नहीं किए जाने को लेकर शिंदे सहित पूरी शिवसेना में नाराजगी और विरोध की लहर उठ रही थी। राजनीतिक गलियारे में महायुती के बीच पड़ती दरार की चर्चा होने लगी थी। इस नाराजगी को देखते हुए और सरकार की शाख बचाने के लिए मुख्यमंत्री फड़नवीस ने बयान दिया कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के नियमों में बदलाव कर शिंदे को उसमें शामिल किया जाएगा। मंगलवार को SDMA के नियमों में जरूरी बदलाव कर उपमुख्यमंत्री शिंदे को उसमें शामिल किया गया। अब कहा जा रहा है कि सरकार शिंदे के आगे झुक गई।
2005 की विनाशकारी बाढ़ के बाद हुआ था SDMA का गठन
2005 में मुंबई में आई विनाशकारी बाढ़ के बाद राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) का गठन किया गया था ताकि भविष्य में किसी भी बड़ी आपदा के वक्त सरकार के पास एक अलग समिति हो जो इन परिस्थितियों में तत्काल निर्णय ले सके। प्राधिकरण की कमान राज्य के मुख्यमंत्री के हाथों में होती है। SDMA आपातकालीन कदमों के समन्वयन में काफी अहत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्राधिकरण के अध्यक्ष मुख्यमंत्री फड़नवीस हैं। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को बतौर सदस्य शामिल किया गया है। चंद्रशेखर बावनकुले,गिरीश महाजन, मकरंद पाटील और प्रकाश आबिटकर भी इसके सदस्यों में शामिल हैं। गैर सरकारी सदस्य के रूप में IIT मुंबई के प्रोफेसर रवि सिन्हा और प्रोफेसर दीपांकर चौधरी शामिल हैं। मुख्य सचिव सुजाता सौनिक को मुख्य कार्यकारी अधिकारी और पदेन सदस्य के रूप में शामिल किया गया लेकिन शिंदे को इस से बाहर रखा गया था जिसे लेकर महाराष्ट्र की सियासत गरमा गई ।