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अंगदान है महादान, मौत के बाद भी जिंदा रहते है अंगदाता

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मौत के बाद भी अगर आप किसी के काम आ सकें तो इससे बढियां और क्या हो सकता है। मौत के बाद अगर आपका दिल किसी सीने में धड़के तो इससे बड़ी बात क्या हो सकती है। आपकी मौत के बाद आपकी आंखें फिर से इस हसीन दुनिया को निहारें इससे सुंदर क्या हो सकता है। ये सब संभव है, लेकिन तब जब आप ऐसा नेक और सराहनीय काम के लिए आगे आएंगे जिसके बाद दुनियां आपको याद करेगी। आपके इस बेहद ही महान कार्य को दुनिया सलाम करेगी, आप खुद अंगदान करें और दूसरों को भी अंगदान के लिए प्रेरित करें। अंगदान जैसा महादान हो ही नहीं सकता। अंगदान कर आप किसी को नया जीवन दे सकते हैं, आप किसी के चेहरे पर फिर से मुस्कान ला सकते हैं। आप किसी को फिर से ये दुनिया दिखा सकते हैं। अंगदान करके आप फिर किसी की जिंदगी को नई उम्मीद से भर सकते हैं। अंगदान करने से न केवल आपको बल्कि दूसरे को भी खुशी देती है।

अंगदान पर भ्रांतियां हावी

किसी व्यक्ति के जीवन में अंगदान के महत्व को समझने के साथ ही अंगदान करने के लिये आम इंसान को प्रोत्साहित करने के लिये 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने की उपयोगिता अंगों की अनुपलब्धता के कारण बढ़ती जा रही है। अंगदान से मोक्ष नहीं मिलता, मौत के बाद भी आत्मा घूमती है, हिंदू धर्म में अंगदान नहीं किया जाता, मेरी उम्र कम है, मैं दुबला पतला हूं, कुछ ऐसे ही भ्रम आज भी हमारे समाज में फैले हुए हैं, जो ऑर्गन डोनेशन की राह में रोड़ा हैं। लाखों लोग मौत की शैया पर इंतजार करते रहते हैं कि कौन भगवान बन कर आएगा और उन्हें गिफ्ट में ऑर्गन डोनेट कर नया जीवन दे जाएगा। इस दिशा में काम तो हो रहे हैं, लेकिन बहुत धीमी गति से। इसे और बढ़ाने की जरूरत है, इसलिए वर्ल्ड ऑर्गन डोनेशन डे (World Organ Donation Day) पर आईये हम और आप शपथ लें कि अंगदान कर दूसरों को जीवनदान दें।

जागरूकता की कमी के कारण अंगदान से डरते हैं लोग

आज भी जागरूकता की कमी के कारण, लोगों के मन में अंगदान के बारे में डर और भ्रांतियां हैं। वर्ल्ड ऑर्गन डोनेशन डे (World Organ Donation Day) को मनाने का उद्देश्य इंसान की मृत्यु के बाद अंगदान करने के लिए प्रोत्साहित करना है। अंगदान में अंगदाता के अंगों जैसे कि दिल, लीवर, किडनी, इंटेस्टाइन, फेफड़े अदि का दान उसकी मृत्यु के पश्चात जरूरतमंद व्यक्ति में प्रत्यारोपित करने के लिए किया जाता है। जिससे एक व्यक्ति को नई जिंदगी मिल सकती है। अंग दान-दाता कोई भी हो सकता है जिसका अंग किसी अत्यधिक जरुरतमंद मरीज को दिया जा सकता है। मरीज में प्रत्यारोपित करने के लिये आम इंसान द्वारा दिया गया अंग ठीक ढंग से सुरक्षित रखा जाता है जिससे समय पर उसका इस्तेमाल हो सके।

5 लाख लोग ऑर्गन ट्रांसप्लांट के इंतज़ार में हैं

भारत में ही हर साल लगभग 5 लाख लोग ऑर्गन ट्रांसप्लांट के इंतज़ार में हैं। ऑर्गन ट्रांसप्लांट की संख्या और उसकी उपलब्धता होने की संख्या के बीच एक बड़ा फासला है। अंगदान एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अंग दाता अंग ग्राही को अंगदान करता है। दाता जीवित या मृत हो सकता है। दान किए जा सकने वाले अंग किडनी, लंग्स, दिल, आंख, लीवर, पैनक्रिया, कॉर्निया, छोटी आंत, स्किन और हड्डी के टिशु, हृदय वाल्व और नस हैं। अंगदान जीवन के लिए अमूल्य उपहार है। अंगदान उन व्यक्तियों को किया जाता है, जिनकी बीमारियाँ अंतिम अवस्था में होती हैं और जिन्हें अंग प्रत्यारोपण (Organ Transplant) की आवश्यकता होती है।

भारत में हर दस लाख में सिर्फ 0.08 डोनर ही अपना अंगदान करते हैं

एक रिसर्च के अनुसार, किसी भी समय किसी व्यक्ति के अंग के खराब हो जाने की वजह से हर साल कम से कम लगभग पांच लाख व्यक्तियों की मृत्यु अंगों की अनुपलब्धता के कारण हो जाती है, जिनमें से दो लाख व्यक्ति लीवर की बीमारी और 50 हजार व्यक्ति दिल की बीमारी के मौत हो जाती हैं। इसके अलावा, लगभग डेढ़ लाख व्यक्ति किडनी ट्रांसप्लांट के इंतज़ार में रहते हैं लेकिन सिर्फ पांच हजार व्यक्तियों को ही किडनी ट्रांसप्लांट हो पाता है। अंगदान की बड़ी संख्या में जरूरत होते हुए भी भारत में हर दस लाख में सिर्फ 0.08 डोनर ही अपना अंग दान करते हैं। यही कारण है कि बीमार व्यक्तियों को ऑर्गन ट्रांसप्लांट की जरुरत होते हुए भी उनकी मौत हो जाती है और ऑर्गन मिलता ही नहीं। लाखों व्यक्ति अपने शरीर के किसी अंग के खराब हो जाने पर उसकी जगह किसी के दान किये अंग की बाट जोहते रहते हैं। ऐसे व्यक्ति अभी भी जीना चाहते हैं, लेकिन उनके शरीर का कोई अंग अवरूद्ध हो जाने से उनकी जिन्दगी खतरे में आ जाती है। शरीर के किसी अंग के काम न करने की वजह से वे निराश हो जाते हैं, उनकी जीवन सांसें गिनती की रह जाती हैं, उसके संकट में पड़े जीवन में जीने की उम्मीद को बढ़ाने में अंग प्रतिरोपण एक बड़ी भूमिका अदा कर सकता है।

अंगदान को लेकर विदेशों में ज्यादा जागरूकता

वहीं भारत के मुकाबले अमेरिका, यूके, जर्मनी में 10 लाख में 30 डोनर और सिंगापुर, स्पेन में हर 10 लाख में 40 डोनर अंगदान करते हैं। इस मामले में दुनिया के कई मुल्कों के मुकाबले भारत काफी पीछे है। आकार और आबादी के हिसाब से स्पेन, क्रोएशिया, इटली और ऑस्ट्रिया जैसे छोटे देश भारत से काफी आगे हैं। जानकारों का कहना है कि भारत में सरकारी स्तर पर उपेक्षा इसकी बड़ी वजह है। जागरूकता भी काफी कम है। यही वजह है कि भारत में बड़ी संख्या में मरीज अंग प्रतिरोपण के लिए इंतजार करते-करते दम तोड़ देते हैं। भारत में उत्तरी और पूर्वोत्तर राज्यों में स्थिति बहुत खराब है जबकि दक्षिण भारत अंगदान के मामले में जागरूक प्रतीत होता है। खासतौर पर तमिलनाडु जहां प्रति दस लाख लोगों पर अंगदान करने वालों की संख्या 136 है।

अंगदाता 8 से ज्यादा जीवन को बचा सकता है।

अंग प्रतिरोपित व्यक्ति के जीवन में अंगदान करने वाला व्यक्ति एक ईश्वर की भूमिका निभाता है। अपने अंगों को दान करने के द्वारा कोई अंग दाता 8 से ज्यादा जीवन को बचा सकता है। इस तरह एक जीवन से अनेक जीवन बचाने की प्रेरणा देने का अंगदान दिवस एक बेहतरीन मौका देता है, हर एक के जीवन में कि वह आगे बढ़े और अपने बहुमूल्य अंगों को दान देने का संकल्प लें। अगर आप अंगदान के प्रति कोई भ्रम है तो यह लेख निश्चित रूप से आपके लिए है। हम आपको यह बता रहे हैं कि ऑर्गन डोनेशन क्या है और यह किस तरह इंसान को जीवन देता है। आप भी इससे जुड़ कर लोगों को जीवन दे सकते हैं।

कौन और कब कर सकते हैं अंगदान

अंग दान-दाता कोई भी हो सकता है, जिसका अंग किसी अत्यधिक जरूरतमंद मरीज को दिया जा सकता है। मरीज में प्रतिरोपण करने के लिये आम इंसान द्वारा दिया गया अंग ठीक ढंग से सुरक्षित रखा जाता है, जिससे समय पर उसका इस्तेमाल हो सके। अंगदान की इस प्रक्रिया में अंग का दान दिल, लीवर, किडनी, आंत, पैनक्रियास, फेफड़े, ब्रैन डेड की स्थिति में ही संभव होता है। वहीं आंख, हार्ट वॉल्व, त्वचा, हड्डियां, स्वाभाविक मृत्यु की स्थिति में दान कर सकते हैं। कोई भी व्यक्ति चाहे, वह किसी भी उम्र, जाति, धर्म और समुदाय का हों, वह अंगदान कर सकता है। अगर परिवार की अनुमति हो तो बच्चे भी अंगदान कर सकते हैं। यह धारणा भी लोगों में देखने को मिलती है कि बुजुर्ग अंगदान नहीं कर सकते। लेकिन सच यह है कि 18 साल के बाद का कोई भी नागरिक अंगदान कर सकता है। अंगदान में उम्र मायने नहीं रखती बशर्ते आप मेडिकल  शर्तों को पूरा करते हों। हालांकि कैंसर, एचआईवी से पीड़ित और हेपेटाइटिस से पीड़ित व्यक्ति अंगदान नहीं कर सकते।

कैसे करें अंगदान

अंगदान के लिए दो तरीके हो सकते हैं। कई एनजीओ और अस्पतालों में अंगदान से जुड़ा काम होता है। इनमें से कहीं भी जाकर आप एक फॉर्म भरकर दे सकते हैं कि आप मरने के बाद अपने कौन से अंगदान करना चाहते हैं। जो अंग आप चाहेंगे केवल उसी अंग को लिया जाएगा। शरीर के किसी भी अंग को दान करने वाला व्‍यक्ति शारीरिक रूप से स्‍वस्‍थ होना चाहिए।

क्‍या है अंगदान की प्रक्रिया

किसी व्‍यक्ति की ब्रेन डेथ की पुष्टि होने के बाद, डॉक्‍टर उसके घरवालों की इच्छा से शरीर से अंग निकाल लेता हैं। इससे पहले सभी कानूनी प्रकियाएं पूरी की जाती हैं। इस प्रक्रिया को एक निश्‍चित समय के भीतर पूरा करना होता है। ज्‍यादा समय होने पर अंग खराब होने शुरू हो जाते हैं। अंग निकालने की प्रक्रिया में अमूमन आधा दिन लग जाता है।

कितने समय में कर सकते हैं अंगदान

किसी भी अंग को डोनर के शरीर से निकालने के बाद 6 से 12 घंटे के अंदर को ट्रांसप्लांट कर देना चाहिए। कोई भी अंग जितना जल्दी प्रत्यारोपित होगा, उस अंग के काम करने की संभावना उतनी ही ज्यादा होती है। लीवर निकालने के 6 घंटे के अंदर और किडनी 12 घंटे के भीतर ट्रांसप्लांट हो जाना चाहिए। वहीं आंखें 3 दिन के अंदर प्रत्‍यारोपण हो जाना चाहिए।

अंगदान पर भारत की कानूनी स्थिति

भारतीय कानून द्वारा अंगदान कानूनी हैं। भारत सरकार ने मानव अंग अधिनियम (THOA), 1994 के प्रत्यारोपण को अधिनियमित किया, जो अंग दान की अनुमति देता है, और ‘मस्तिष्क की मृत्यु’ की अवधारणा को वैध बनाता है।
किसी के द्वारा दिये गये अंग से किसी को नया जीवन मिल सकता है। संसार में मनुष्य जन्म से श्रेष्ठ और कुछ भी नहीं है, मनुष्य को ही संसार में ईश्वर का प्रतिनिधि माना गया है, वही दया, संवेदना एवं धर्म का मूर्तिमान रूप है और इस धरती का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है, क्योंकि वही एक जीवन एवं मृत्यु के संघर्ष में जूझ रहे व्यक्ति को अपने अंगदान से नया जीवन देने का सामर्थ्य रखता है। मौत के बाद अवशेषों को जलाने या दफनाने से बेहतर होता है कि वो किसी को जिंदगी दे सके। इसलिये अंगदान की दयालुता ऐसी भाषा है जिसे बहरे सुन सकते हैं और अंधे देख सकते हैं। आप जो अंगदान करते हैं वह किसी और को जिन्दगी में एक और जीने का मौका देता है। वह कोई आपका करीबी रिश्तेदार हो सकता है, एक दोस्त हो सकता है, कोई आपका प्यारा हो सकता है, या आप खुद हो सकते हैं। इसलिये हर व्यक्ति को अंगदान का संकल्प लेना चाहिए, तभी विश्व अंगदान दिवस मनाने की सार्थकता और उपयोगिता है।