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June 2, 2025

World Milk Day: धरती पर जीवन का पहला आहार- दूध

World Milk Day: एक बच्चा जब दुनिया में अपनी पहली सांस लेता है, उन सांसों को चलाए रखने के लिए सबसे पहला आहार होता है दूध! दूध को मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। दूध और डेयरी उत्पादों के महत्व को रेखांकित करने, साथ ही डेयरी उद्योग के सामाजिक-आर्थिक, पोषण और आजीविका से जुड़े पहलुओं को उजागर करने के उद्देश्य से ही हर साल 1 जून को “विश्व दुग्ध दिवस” (World Milk Day) मनाया जाता है। वर्ष 2001 में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO–Food and Agriculture Organization) द्वारा इस दिन को चुना गया था। बता दें कि भारत के संदर्भ में यह दिन और भी अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है क्यूंकि भारत न केवल दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है, बल्कि यहां की बड़ी आबादी की पोषण ज़रूरतें भी काफी हद तक दूध और उससे बने उत्पादों पर निर्भर करती हैं।

World Milk Day का संक्षिप्त वर्णन

विश्व दुग्ध दिवस (World Milk Day) हर साल 1 जून को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का विचार संयुक्त खाद्य संगठन की ओर से वर्ष 2001 में प्रस्तावित किया गया था। इस दिवस को मनाए जाने की स्थापना करने का मकसद विश्व के अनेक देशों में दूध के उपादों को बढ़ावा देकर भुखमरी और कुपोषण की समस्या से लड़ना था।

World Milk Day का महत्व

World Milk Day विभिन्न कारणों से महत्वपूर्ण होता है।
दूध के पोषण को महत्व देना: World Milk Day वैश्विक भोजन के रूप में दूध के पोषण को महत्व प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण मौका है। विश्व दुग्ध दिवस लोगों को दूध से होने वाले स्वास्थ्य लाभों के बारे में बताने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
डेयरी उद्योगों को समर्थन प्रदान करना:  दूध विश्व के लाखों लोगों की जीविका का साधन भी है। विश्व दुग्ध दिवस के दिन लोगों को डेयरी उद्योगों में साझेदारी करने के लिए प्रेरित किया जाता है।
वैश्विक खाद्य सुरक्षा में योगदान: दूध वैश्विक खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। World Milk Day सभी के लिए दूध पदार्थों तक पहुंच सुनिश्चित करने और कुपोषण से लड़ने के प्रति लोगों को जागरूक बनाने का काम करता है।
भारत वर्ष 1998 से विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है। यह जानकारी राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) और कृषि मंत्रालय की वेबसाइटों पर उपलब्ध है। दुग्ध उद्योग जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए टिकाऊ डेयरी फार्मिंग (Sustainable Dairy Farming) की ओर अपने कदम बढ़ा रहा है। यही कारण है कि World Milk Day को एक ख़ास महत्व के साथ मनाया जाता है।

World Milk Day के बारे में लोगों में जागरूकता

World Milk Day के दिन विभिन्न गतिविधियां की जाती हैं ताकि लोगों को इसके बारे में पता चल सके और पोषण के लिए दूध की अनिवार्यता भी समझाई जा सके। World Milk Day के दिन विश्व के अनेक देशों में स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
विश्व दुग्ध दिवस के दिन दुग्ध मेले का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें विभिन्न प्रकार के डेयरी प्रोडक्ट्स की प्रदर्शनी की जाती है। सोशल मीडिया में माध्यम से भी World Milk Day के दिन विभिन्न प्रकार के पोस्ट और हैशटैग्स के माध्यम से लोगों को दूध से होने वाले लाभों के बारे में जागरूक बनाने का प्रयास किया जाता है।

भारत में Milk Day 26 नवंबर को मनाया जाता है

भारत में Milk Day हर साल 26 नवंबर के दिन मनाया जाता है। भारत में यह दिन डॉ. Verghese Kurien के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है। डॉ. Verghese Kurien ने भारत में श्वेत क्रान्ति की शुरुआत की थी। उन्हें ‘Milk Man Of India’ के नाम से भी जाना जाता है। World Milk Day: भारत में श्वेत क्रान्ति की शुरुआत डॉ. Verghese Kurien के द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य भारत में दूध के उत्पादन को बढ़ावा देना था। वर्ष 1965 से लेकर 1998 तक डॉक्टर वर्गीज कुरियन नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के अध्यक्ष रहे। इस दौरान उन्होंने देश के कोने कोने तक दूध के उत्पादन को प्रोत्साहन प्रदान करने की कोशिश की। उनकी मेहनत रंग लाई, जिसके कारण से आज भारत सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन  करने वाला देश है।

दूध के बारे में रोचक तथ्य

World Milk Day: दूध से संबंधित रोचक तथ्य इस प्रकार हैं:
दूध का सेवन पिछले 10,000 सालों से भी अधिक सालों से किया जा रहा है। दूध में प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन A, B 12, D और D जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। ऊंटनी के दूध को अगर एक घंटे के अंदर गर्म करके प्रयोग न किया जाए तो उसमें कीड़े पड़ जाते हैं। बकरी का दूध कई बीमारियों में लाभकारी साबित होता है। दूध उत्पादन में शीर्ष स्थान भारत का है। कुछ लोग दूध को पचा पाने में अक्षम होते हैं। ऐसे लोगों को Lactose intolerant कहा जाता है।

विश्व के टॉप 5 दुग्ध उत्पादन करने वाले देश

World Milk Day: भारत 22 प्रतिशत वैश्विक दुग्ध उत्पादन के साथ दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है। इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, पाकिस्तान और ब्राज़ील का नंबर आता है।
भारत में दूध उत्पादन लगभग 6.2 फीसदी की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़कर 2020-21 में 2099.6 लाख टन तक पहुंच गया है, जो वर्ष 2014 में 1463.1 लाख टन था। भारत के शीर्ष 5 दूध उत्पादक राज्य हैं: उत्तर प्रदेश 14.9 प्रतिशत, राजस्थान 14.6 प्रतिशत, मध्य प्रदेश 8.6 प्रतिशत गुजरात 7.6 प्रतिशत और आंध्र प्रदेश 7.0 प्रतिशत।

दूध की लगातार बढ़ती कीमतों ने बिगड़ा स्वाद

World Milk Day: दूध की लगातार बढ़ती कीमत ने खाने का स्वाद बिगाड़ दिया है। बीते दिनों कई बार दूध की कीमतों में दो-दो रुपये की बढ़ोतरी हुई और लोगों की जेब पर बोझ बढ़ा गया। बीते साल अक्टूबर से अमूल (Amul) ने टोंड दूध के मुकाबले फुल क्रीम दूध पर 10 रुपये अतिरिक्त चार्ज करना शुरू कर दिया। अमूल के फुल क्रीम दूध अमूल गोल्ड (जिसमें 6 प्रतिशत फैट और 9 प्रतिशत SNF यानी सॉलिड-नॉट फैट होता है) की कीमत 69 रुपये पहुंच गई है। वहीं अमूल टोंड मिल्क ( जिसमें 3 फीसदी फैट और 8.5 फीसदी SNF होता है) ‘अमूल ताजा’ की कीमत 55 रुपये पर पहुंच गई। इस साल फिर से दाम के बढ़े, लेकिन इस बार टोंड और फुल क्रीम दूध की कीमतों में अंतर 10 रुपये से बढ़कर 12 रुपये हो गया। दिल्ली में इस वक्त अमूल गोल्ड की कीमत 66 रुपये प्रति लीटर है तो अमूल ताजा की कीमत 54 रुपये।

टोंड और फुल क्रीम में अंतर

World Milk Day: अमूल ही नहीं, कर्नाटक के मिल्क ब्रांड नंदिनी (Nandini Milk) ने भी कुछ ऐसा ही किया। मार्च से पहले नंदिनी के टोंड मिल्क का रिटेल प्राइस 39 रुपये प्रति लीटर और फुल क्रीम की कीमत 50 रुपये प्रति लीटर था। कर्नाटक के कस्टमर आज भी नंदिनी के फुल क्रीम के लिए 50 रुपये ही चुकाते हैं, लेकिन 900 ml के लिए। अगर प्रति लीटर के हिसाब से देखें तो ये करीब 55, 56 रुपये हो जाता है। यानी अंतर देखें तो टोंड और फुल क्रीम दूध के बीच का अंतर 11 रुपये से बढ़कर 16.56 रुपये /लीटर पर पहुंच गया है। फुल क्रीम और टोंड दूध की कीमत में ये अंतर बढ़ रहा है। इसी तरह से 4 नवंबर को तमिलनाडु कॉरपोरेशन मिल्क फेडरेशन ने आविन (Aavin) मिल्क के प्रीमियम दूध के दामों में बढ़ोतरी कर दी। आविन ‘प्रीमियम’ मिल्क की कीमत 48 रुपये से बढ़ाकर 60 रुपये कर दिया। हालांकि टोंड मिल्क की कीमत में कोई बदलाव नहीं किया गया ।

मलाई ने बिगाड़ा दूध का स्वाद

World Milk Day: दूध की कीमतों में बढ़ोतरी के पीछे फैट का पूरा खेल है। फैट की वजह से डेयरी कंपनियों को फुल क्रीम दूध की कीमतों में बढ़ोतरी करनी पड़ी है। डेयरी कंपनियों के पास दो ही विकल्प बचे हैं। या तो वो फुल क्रीम दूध की कीमत को और बढ़ाए, या फिर दूध में फैट की मात्रा को कम करें। कुछ दिन पहले खबर आई कि बाजार से ब्रांडेड घी और बटर गायब हो गए। फैट की कमी के कारण दूध की कीमतों में बढ़ोतरी करना डेयरी कंपनियों की मजबूरी बन गई है। इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट आरएस सोढ़ी मानते हैं कि भैसों के दूध की हिस्सेदारी नेशनल मिल्क प्रोडक्शन में घट रही है। भैसों के दूध में एवरेज फैट 7 फीसदी और SNF 9 फीसदी है, जबकि गाय के दूध का फैट 3.5 फीसदी और SNF 8.5 फीसदी है। भैस के दूध की हिस्सेदारी घटने से फैट की कमी हो रही है।

बढ़ रही है डिमांड

World Milk Day: घी, आइसक्रीम, खोया, चीज, पनीर जैसे हाई फैट मिल्क प्रोडक्ट्स की डिमांड बढ़ रही है। लेकिन फैट की सप्लाई कम है। मांग और सप्लाई में ये अंतर फैट की कीमत को बढ़ा रहा है। डिमांड और सप्लाई चेन में असंतुलन के अलावा एक्सपोर्ट भी एक बड़ी वजह है। साल 2021-22 के दौरान भारत ने 33000 टन घी, बटर, एनहाइड्रस मिल्क फैट का एक्सपोर्ट किया है। इस दौरान भारत ने 1281 करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट किया। ऐसे वक्त में फैट का एक्सपोर्ट बढ़ा, जब किसान और पशुपालक अपने पशुओं को ठीक से चारा तक उपलब्ध नहीं करवा पा रहे थे। दरअसल लॉकडाउन के दौरान पशुओं को भी मुश्किल हुई। जो उस वक्त बछिया थे वो आज गायें हैं। कुपोषित पशुओं की दूध की क्षमता प्रभावित हुई। इसके अलावा सीजन के हिसाब से दूसरे मिल्क प्रोडक्ट जैसे आइसक्रीम, दही, लस्सी जैसी चीजों की डिमांड फैट की मांग को बढ़ा देते हैं।

दूध की कीमतें बढ़ने के कारण

पशु चारे की लागत में वृद्धि- चारा, भूसा, खल, और अन्य पशु आहार की कीमतें बढ़ने से दूध उत्पादन महंगा हो जाता है।
ईंधन और परिवहन लागत में बढ़ोतरी- डीज़ल और पेट्रोल की कीमतें बढ़ने से दूध की ढुलाई महंगी होती है, जिससे कीमतों में इजाफा होता है।
मजदूरी और उत्पादन लागत में वृद्धि- मजदूरों की मजदूरी और डेयरी फॉर्म पर रखरखाव की लागत भी बढ़ती है, जो कीमतों को प्रभावित करती है।
दूध की मांग में वृद्धि- त्योहारों या गर्मियों में दूध और उससे बने उत्पादों की मांग बढ़ जाती है, जिससे कीमतें बढ़ती हैं।
डेयरी पशुओं की संख्या में कमी- बीमारियों, महंगे रख-रखाव या आर्थिक समस्याओं के चलते किसान कम पशु पालते हैं, जिससे दूध की सप्लाई घटती है।सरकार की नीतियां और सब्सिडी में बदलाव- यदि सरकार दूध उत्पादन पर मिलने वाली सब्सिडी या सहायता में कटौती करती है, तो कीमतें बढ़ सकती हैं।
प्राकृतिक अपदाएं या मौसम का प्रभाव- सूखा, बाढ़, अत्यधिक गर्मी या सर्दी जैसे मौसम बदलावों से पशु उत्पादन पर असर पड़ता है।
नवीनता और प्रोसेसिंग लागत- दूध को शुद्ध और सुरक्षित बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली आधुनिक तकनीकों और पैकेजिंग की लागत भी बढ़ती है।

दूध पर टैक्स नहीं, लेकिन फैट पर GST

World Milk Day: दूध के साथ एक और समस्या है। दूध पर कोई वस्तु एवं सेवा कर (GST) नहीं लगता है। लेकिन एसएमपी पर 5 फीसदी और मिल्क फैट पर 12 प्रतिशत टैक्स लगता है। इसलिए डेयरी कंपनियां किसानों से खरीदे गए दूध पर कोई GST नहीं चुकाती हैं, जबकि उन्हें सॉलिड पर GST चुकाना पड़ता है और इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा नहीं किया जा सकता। अगर डेयरी कंपनियां दूध में फैट बढ़ाती है तो उनपर टैक्स का भार बढ़ जाता है।

दूध की कीमत में बढ़ोतरी से प्रभावित आम जन

World Milk Day: दूध की बढ़ती कीमतों का असर सीधे सीधे मध्यमवर्गीय परिवारों पर पड़ेगा। दूध महंगा होगा तो कम आय वाले परिवार, जिनकी रोज़ की ज़रूरी Nutritions की आपूर्ति दूध पर निर्भर करती है, इसका सेवन कम कर देंगे और शरीर की बेसिक न्यूट्रीशनल जरूरतों के लिए दूध के विकल्पों की ओर मुड़ने को मजबूर होंगे। विकल्प ना मिलने पर इनका मासिक बजट गड़बड़ होने की स्थिति बन सकती है।
दूध का सेवन कम कर देने से ज़रूरी पोषण नहीं मिल पाएगा। ऐसे में कुपोषण या कैल्शियम की कमी से बच्चों में बीमारियां बढ़ने का खतरा बढ़ जाएगा।
Milk और Milk Products की अल्पायु भी इसकी कीमत में Fluctuation का कारण बनती है। दूध या अन्य खाद्य पदार्थों पर बढ़ती महंगाई का असर उपभोक्ताओं द्वारा कम उपभोग के रूप में सीधे Economy को प्रभावित करता है।

डेयरी क्षेत्र से संबंधित भारत सरकार की पहल

राष्ट्रीय गोकुल मिशन- यह मिशन गोजातीय आबादी के आनुवंशिक उन्नयन और स्वदेशी गोजातीय नस्लों के विकास और संरक्षण के माध्यम से उत्पादकता में सुधार एवं दूध उत्पादन बढ़ाने के लिये शुरू किया गया है।
गोपाल रत्न पुरस्कार 2021- गोपाल रत्न पुरस्कार दुग्ध क्षेत्र में काम करने वाले सभी किसानों, कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियनों और डेयरी सहकारी समितियों को प्रोत्साहित करने के लिये दिया जाता है।
राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम- इस कार्यक्रम के तहत पशु की कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं किसानों के दरवाज़े पर मुफ्त दी जाती हैं।
ई-गोपाला एप: ई-गोपाला एप (उत्पादक पशुधन के माध्यम से धन का सृजन) के रूप में किसानों के प्रत्यक्ष उपयोग के लिये एक व्यापक नस्ल सुधार बाज़ार और सूचना पोर्टल की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम-(NPDD)- राज्य कार्यान्वयन एजेंसी (SIA) अर्थात् राज्य सहकारी डेयरी परिसंघ के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण दूध के उत्पादन, खरीद, प्रसंस्करण और दूध व दुग्ध उत्पादों के विपणन के लिये अवसंरचना को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से वर्ष 2014 से देश भर में “राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD)” शुरू किया गया है।
डेयरी प्रसंस्करण एवं अवसंरचना विकास कोष योजना (DIDF)- DIDF योजना 2017 में दूध प्रसंस्करण और शीतलन संयंत्रों के आधुनिकीकरण के लिये शुरू की गई थी, जिसमें मूल्यवर्द्धन भी शामिल है।
डेयरी सहकारी समितियों और डेयरी गतिविधियों में लगे किसान उत्पादक संगठनों का समर्थन करना (SDCऔर FPO)- पशुपालन और डेयरी विभाग ने अपनी योजना SDC और FPO के तहत एक घटक के रूप में एक नया घटक “डेयरी क्षेत्र के लिए कार्यशील पूंजी ऋण पर ब्याज छूट सहायता” पेश किया है।
पशुपालन और डेयरी किसानों के लिये किसान क्रेडिट कार्ड KCC- किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से, किसानों को कार्यशील पूंजी व्यय के लिये रियायती ब्याज़ दर पर संस्थागत ऋण प्राप्त करने में सक्षम बनाया गया है।

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