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June 14, 2025

World Day Against Child Labour – आइए सामाजिक जिम्मेदारी की ओर बढ़ाएं कदम

World Day Against Child Labour 2025: हर साल 12 जून को विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस (World Day Against Child Labour) मनाया जाता है। यह दिन हमें उन लाखों बच्चों की याद दिलाता है जो शिक्षा और बचपन के सुख से वंचित होकर कम उम्र में ही कठिन परिस्थितियों में काम करने को मजबूर हैं। यह एक वैश्विक पहल है जिसका उद्देश्य बाल श्रम के खिलाफ जागरूकता फैलाना और इसे समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाना है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने इस दिवस की शुरुआत 2002 में की थी और तब से यह हर साल एक विशेष थीम के साथ मनाया जाता है जो बाल श्रम की विभिन्न समस्याओं पर प्रकाश डालता है।

बाल श्रम: एक वैश्विक चुनौती

World Day Against Child Labour 2025: बाल श्रम एक ऐसी सामाजिक बुराई है जो न केवल बच्चों के मौलिक अधिकारों का हनन करती है बल्कि समाज के विकास को भी बाधित करती है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार दुनिया भर में लगभग 16 करोड़ बच्चे (5 से 17 वर्ष की आयु) बाल श्रम में संलग्न हैं। इनमें से अधिकांश बच्चे खतरनाक परिस्थितियों में काम करते हैं जैसे कि खनन (Mines) कृषि, निर्माण (Construction) और घरेलू काम। एशिया और अफ्रीका में बाल श्रम की समस्या सबसे गंभीर है। भारत जैसे विकासशील देशों में गरीबी, अशिक्षा और सामाजिक असमानता जैसे कारक इस समस्या को और जटिल बनाते हैं। हालांकि भारत सरकार और गैर-सरकारी संगठनों ने इस दिशा में कई प्रयास किए हैं फिर भी यह समस्या पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है।

World Day Against Child Labour का महत्व

World Day Against Child Labor 2025: विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस का उद्देश्य न केवल जागरूकता फैलाना है बल्कि सरकारों, संगठनों और लोगों को इस समस्या से निपटने के लिए प्रेरित करना भी है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि हर बच्चे को शिक्षा स्वास्थ्य और एक सुरक्षित बचपन का अधिकार है। यह समाज के सभी वर्गों को एकजुट होकर इस दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित करता है। बाल श्रम के पीछे कई सामाजिक आर्थिक और सांस्कृतिक कारक जिम्मेदार हैं, जैसे-

गरीबी

गरीबी बाल श्रम का सबसे बड़ा कारण है। कई परिवारों के लिए बच्चों का काम करना जीविकोपार्जन का एकमात्र साधन होता है। गरीब परिवार अपने बच्चों को स्कूल भेजने के बजाय काम पर भेजने को मजबूर होते हैं।

अशिक्षा

शिक्षा तक पहुंच की कमी भी बाल श्रम को बढ़ावा देती है। जब माता-पिता स्वयं अशिक्षित होते हैं तो वे अपने बच्चों की शिक्षा के महत्व को नहीं समझ पाते।

सामाजिक असमानता

समाज में जातिगत लैंगिक और आर्थिक असमानताएं भी बच्चों को श्रम के लिए मजबूर करती हैं। विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले समुदायों के बच्चे इस समस्या का सबसे ज्यादा शिकार होते हैं।

कमजोर कानून प्रवर्तन

कई देशों में बाल श्रम के खिलाफ कानून तो हैं लेकिन उनका प्रभावी कार्यान्वयन नहीं हो पाता। इससे बाल श्रम को बढ़ावा मिलता है।

उद्योगों की मांग

कुछ उद्योगों जैसे कि कालीन बुनाई आतिशबाजी और कृषि में बच्चों की छोटी उंगलियों और कम लागत की वजह से उनकी मांग रहती है।

Child Artists- बाल मजदूरी का आधुनिक रूप

World Day Against Child Labour 2025: कागज की नांव, मिट्टी के घरौंदे, रेत के पहाड़, गुड्डे-गुड़ियों की शादियां, आज इन सब से बचपन कहीं ज्यादा आगे निकल चुका है। यह गुजरे जमाने की बातें हुआ करती थीं। आज तो ग्लैमर, टेलीविजन, रियलिटी शोज़ की दुनिया की बातें बच्चे करते हैं। आज का बचपन परिपक्व बचपन है। इन दिनों बच्चों में जैसे ही थोड़ा समझ विकसित होना शुरू होती है वह ग्लैमर वर्ल्ड की चकाचौंध, मोबाइल, टीवी, वीडियो गेम्स की दुनिया में जीने लगते हैं। आज कल हर तरफ कम्पटीशन की धूम है। हर कोई सबसे आगे निकलना चाहता है और फेमस होना चाहता है। बड़े तो बड़े, अब बच्चे भी ना चाहते हुए तेजी से इस दौड़ में शामिल हो रहे हैं। टेलीविजन के इस दौर में जब हर तरफ रियलिटी शो की धूम है तो आपने भी देखा होगा कि कई चैनलों पर ऐसे कई शो आते हैं जिसमें सिर्फ बच्चे ही भाग लेते हैं। हालांकि इस तरह के प्रोग्राम में भाग लेने से आपका बच्चा रातों रात स्टार तो बन जाता है लेकिन शायद आप उसकी मानसिक स्थिति को ठीक से समझ नहीं पाते हैं। बच्चे में टैलेंट होना अलग बात है और उस टैलेंट को लेकर उस पर किसी तरह का दवाब बनाना अलग बात है।

TRP के लिए बच्चों की भावनाओं का शोषण

World Day Against Child Labour 2025: जिसतरह से इन रियलिटी शोज़ में बच्चों की संवेदनाएं, उनकी भावनाएं TRP के हिसाब से परोसी जाती हैं वो बेहद चिंताजनक है। बच्चों के साथ उनके मां बाप का रोना-धोना, उनका बच्चों पर अच्छे प्रदर्शन का दबाव, ये सब सही सामाजिक ढांचे का हिस्सा नहीं है। किसी ने एकबार यूंही कहा कि रियलिटी शोज़ में रियलिटी के अलावा सब होता है। कुछ चर्चित टीवी के बाल कलाकार ये कहते हैं कि सुबह से शाम तक वह शूटिंग में यह में व्यस्त होते हैं तो पढ़ाई के लिए उन्हें वक्त निकालना पड़ता है। गाने, डांस, हास्य प्रस्तुति पर आधारित रियलिटी शोज़ में 4-5 बच्चों तक को प्रस्तुति के लिए पूरा-पूरा दिन रिर्हसल करवाई जाती है उन्हें तैयार किया जाता है।

क्या है चाइल्ड एक्टिंग के नियम

World Day Against Child Labour 2025: लोगों के मन में अक्सर सवाल आता है कि फिल्मों या डेली सोप में एक्टिंग करने वाले बच्चों को बाल श्रमिक क्यों नहीं माना जाता? यहां तक कि फिल्मों में काम करने वाले या Ads (विज्ञापन) करने वाले बच्चों को भी काम के लिए पेमेंट दी जा रही है, जबकि उनके लिए कोई आर्थिक संकट भी नहीं होता! आपको बता दें कि बाल श्रम (निषेध और विनियमन) संशोधन नियम, 2017 के अनुसार चाइल्ड एक्टर्स के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं, जिन्हें शो के मेकर्स को फॉलो करना होता है। जैसे, एक चाइल्ड एक्टर प्रति दिन अधिकतम पांच घंटे काम कर सकता है, इसमें बीच में आराम का समय भी शामिल है। वास्तव में इन कानूनों के अनुसार ये भी बताया गया है कि किसी बच्चे को लगातार 3 घंटे से अधिक लगातार काम करने के लिए फोर्स नहीं किया जा सकता।

DM और माता-पिता की मंजूरी

इसके अलावा 3 घंटे के बाद उसे आराम भी दिया जाना चाहिए। इस समय की पाबंदी के अलावा मेकर्स को स्थानीय जिलाधिकारी से भी अनुमति लेनी जरूरी होती है और एक फॉर्म भरना पड़ता है। इसके साथ ही मेकर्स को चाइल्ड एक्टर्स की लिस्ट देनी पड़ती है, साथ ही काम के लिए बच्चों के माता-पिता या अभिभावक की सहमति भी जरूरी होती है। इसके साथ मेकर्स को एक और लिस्ट देनी पड़ती है, जिसमें सेट पर बच्चों सुरक्षा और देखभाल करने वालों का नाम होता है। सेट पर बच्चों की सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त होनी चाहिए। नियमों के अनुसार, बच्चों को 27 दिनों से अधिक समय तक स्कूल से दूर नहीं रहना चाहिए तथा उनकी आय का 20 प्रतिशत हिस्सा उनके नाम पर सावधि जमा में जमा किया जाना चाहिए। यदि फिल्मांकन में कोई बच्चा शामिल था, तो फिल्म में यह अस्वीकरण शामिल होना चाहिए कि यह सुनिश्चित करने के लिए सभी उपाय किए गए थे कि शूटिंग के दौरान बच्चे के साथ कोई दुर्व्यवहार, उपेक्षा या शोषण न हो। हालांकि अब यह साफ नहीं है कि हमारी फिल्म इंडस्ट्री इन नियमों का पूरी तरह पालन कर रही है या नहीं.

फिजिकल वर्क में नहीं आती एक्टिंग

World Day Against Child Labour 2025: इसे लेकर हाल ही में श्रम मंत्रालय, भारत सरकार ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय से इस संबंध में कुछ स्पष्टीकरण मांगे हैं. ऐसे कुछ कानून और नियम हैं जिनका पालन उन लोगों को करना होता है जो अपनी फिल्मों या धारावाहिकों में काम करने के लिए चाइल्ड एक्टर्स को काम पर रखते हैं। अगर वे उन नियमों और कॉन्ट्रैक्ट का पालन नहीं करते तो उनके खिलाफ प्रशासन कड़ी कार्रवाई कर सकता है। वैसे बाल श्रम को लेकर सज़ा के कड़े प्रावधान भी हैं। 14 साल से कम उम्र के बच्चे को कोई भी व्यक्ति काम पर रखता है, उस पर भारतीय दंड संहिता 1860, बाल श्रम अधिनियम 1986,  बंधुआ मजदूरी प्रणाली अधिनियम 1976 और किशोर न्याय अधिनियम 2000 समेत बाल श्रम के खिलाफ महत्वपूर्ण कानूनों के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।

बचपन की कब्र पर खड़े होते हैं ये रियलिटी शोज़

World Day Against Child Labour 2025: हर हफ्ते अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव, प्रतियोगिता में बने रहने की होड़, ये सब बच्चों में मासूमियत खत्म कर रहे हैं। कई टीवी चैनलों पर चल रहे कई हास्य कार्यक्रमों में बच्चों के हास्य वक्तव्य वयस्कों के स्तर के होते हैं जो यह स्पष्ट करते हैं कि ये बाल्यावस्था से यह कहीं ज्यादा दूर जा चुके हैं। मानसिक तौर पर परिपक्वता निश्चित ही आवश्यक है किंतु इतिहास रहा है कि कुछ भी यदि समय से पहले होता है तो उसका दुरगामी परिणाम अच्छा नहीं होता। निश्चित तौर पर आज के बच्चे पहले के बच्चों की तुलना में ज्यादा तेज़ और स्मार्ट है किंतु उनकी सही उम्र से पहले उन्हें दुनियादारी की भट्टी में झोंक देना कहां तक जायज है! बच्चों पर बढ़ रहा इस तरह दबाव ही शायद आजकल आत्महत्या जैसी प्रवृत्ति को मासूम बच्चों में तेजी से बढा रहा है।

बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे शोज़

World Day Against Child Labour 2025: चाइल्ड सायकोलोजिस्ट किसी भी पेरेंट्स को इस बात को लेकर मना करते हैं कि वे अपने बच्चों को ऐसे किसी भी रियलिटी शो में भाग लेने के लिए दवाब न बनाएं। 90 के दशक में टेलीविजन पर बूगी वूगी नाम का शो बहुत ज्यादा चर्चित था और एक तरह से कह सकते हैं कि इसी शो ने इस प्रथा को जन्म दिया कि आप टेलीविज़न पर आकर रातोंरात फेमस हो सकते हैं। उसके बाद कई माता पिता अपने बच्चों को ऐसे टैलेंट हंट में भेजने लगे। जबकि चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट्स के मुताबिक इन शोज़ में जब बच्चा प्रतिस्पर्धा से बाहर हो जाता है या फिर कोई जज उस पर गलत कमेंट कर देता है तो बच्चे की मानसिक स्थिति पर बहुत बुरा असर पड़ता है। आपने जितने भी ऐसे शो देखें होंगे आपने एक बात गौर की होगी कि हर एक बच्चा यह ज़रूर कहता है कि इस कम्पटीशन को जीतना उसके माता पिता का सपना है और वो उसे ज़रूर पूरा करेगा। जबकि आप यह नहीं समझ पा रहे कि बच्चे पर यह अतिरिक्त दवाब उसे सही राह से भटका रहा है और ऐसे में बच्चा आगे चलकर किसी मानसिक रोग का शिकार भी हो सकता है।

बच्चों में बढ़ती Suicidal Tendencies

World Day Against Child Labour 2025: आंकड़ों के अनुसार 18 वर्ष से कम के बच्चों में आत्महत्या की प्रवृत्ति तेज़ी से बढ़ रही है। आजकल बच्चे आसानी से अपने जीवन में बढ़ रहे दबावों से छुटकारे का मार्ग आत्महत्या को समझते हैं। इन दिनों आत्महत्या की प्रवृत्ति बच्चों के भीतर एक विकल्प की तरह घर कर रही है कि यदि जीवन के अन्य विषयों में असफलता मिले तो यह अंतिम विकल्प है जो उनकी सारी समस्याओं को खत्म कर देगा। इस तरह के मनोवृति स्वस्थ मस्तिष्क का परिचायक नहीं है।

World Day Against Child Labour – अपना फ़र्ज़ निभाएं

बाल श्रम एक कानूनी अपराध है। यदि आप किसी बच्चे को काम करते हुए देखें, तो तुरंत अपने निकटतम पुलिस स्टेशन पर रिपोर्ट करें। चाइल्डलाइन एक टोल-फ्री नंबर 1098 है, जो पूरे भारत में उपलब्ध है। आप बाल श्रम के बारे में जानकारी देने के लिए चाइल्डलाइन पर कॉल कर सकते हैं। तुरंत बाल कल्याण समिति या बाल संरक्षण आयोग को सूचित करें। बाल कल्याण समिति और बाल संरक्षण आयोग बाल श्रम से निपटने के लिए भी काम करते हैं। आप इन संगठनों को भी सूचित कर सकते हैं। कई NGO बाल श्रम उन्मूलन के लिए काम करते हैं। आप इन संगठनों से भी बाल श्रम के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और उनकी मदद से बाल श्रम को रोकने के लिए काम कर सकते हैं।

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