Maharashtra New Chief Secretary: राज्य शासन में शीर्ष पदों पर पहुंचना हर आईएएस अधिकारी का सपना होता है, और 1988 बैच के महाराष्ट्र कैडर के आईएएस अधिकारी राजेश कुमार मीना (Maharashtra Chief Secretary) ने यह मुकाम हासिल किया है। उन्हें महाराष्ट्र का नया मुख्य सचिव नियुक्त किया गया है। खास बात यह है कि उनका कार्यकाल महज 61 दिन का होगा, क्योंकि वह 30 अगस्त 2025 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। लेकिन इतने छोटे कार्यकाल के बावजूद, यह जिम्मेदारी बेहद अहम और चुनौतीपूर्ण मानी जा रही है। IAS Rajesh Kumar Meena
Maharashtra New Chief Secretary: सवाई माधोपुर से मंत्रालय तक का सफर
राजेश कुमार मीना का जन्म राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में हुआ था। एक साधारण परिवार से निकलकर उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा में नाम कमाया। उनकी छवि एक मेहनती, व्यवहारकुशल और सुलझे हुए प्रशासक की रही है। महाराष्ट्र के अलग-अलग जिलों में कलेक्टर से लेकर मंत्रालय में अलग-अलग पदों पर उन्होंने प्रशासनिक कामकाज की मजबूत पकड़ दिखाई है।
राजस्व विभाग की कमान भी संभाल रहे हैं
राजेश कुमार मीना अभी तक अपर मुख्य सचिव (राजस्व विभाग) के पद पर कार्यरत थे और अब मुख्य सचिव बनने के बाद भी वे यह जिम्मेदारी निभाते रहेंगे। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब राज्य में चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं और प्रशासनिक स्थिरता बनाए रखना सरकार की प्राथमिकता है। भले ही उनका कार्यकाल दो महीने से भी कम है, लेकिन सूत्रों का मानना है कि सरकार ने उन्हें यह पद उनकी दक्षता और अनुभव को ध्यान में रखते हुए सौंपा है। यह समय महाराष्ट्र में आगामी चुनावों की तैयारियों, राज्य स्तर पर योजनाओं की निगरानी, और प्रशासनिक तालमेल के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। ऐसे में राजेश मीना की भूमिका अहम हो जाती है।
Maharashtra New Chief Secretary: परिवार और निजी जीवन
राजेश कुमार मीना की पत्नी अर्चना मीना एक होटल व्यवसायी और समाजसेविका हैं। वे भी राजस्थान से ताल्लुक रखती हैं और पूर्व केंद्रीय मंत्री जसकौर मीना से पारिवारिक संबंध रखती हैं। उनके गांव में इस उपलब्धि को लेकर जश्न का माहौल है और स्थानीय लोग इस बात पर गर्व कर रहे हैं कि उनके गांव का बेटा आज महाराष्ट्र प्रशासन का सर्वोच्च अधिकारी बना है। हालांकि राजेश मीना का कार्यकाल अल्पकालिक है, लेकिन उनकी नियुक्ति कई संकेत देता है जैसे कि वरिष्ठता, अनुभव और प्रशासनिक दक्षता को प्राथमिकता दी जा रही है, और सरकार चुनावी मौसम में किसी तरह का प्रशासनिक भ्रम नहीं चाहती। आने वाले हफ्तों में वे राज्य सचिवालय की गतिविधियों को तेज़ कर सकते हैं।