भारत में रेल नेटवर्क इतना विशाल है कि लगभग हर राज्य इससे जुड़ा हुआ है। ट्रेनें सिर्फ सफर का जरिया ही नहीं, बल्कि राज्यों को जोड़ने वाली जीवनरेखा हैं। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि भारत का एक राज्य ऐसा है, जहां आज तक एक भी ट्रेन नहीं चली। यहां तक कि रेलवे ट्रैक तक बिछाया नहीं गया। यह राज्य है सिक्किम।
सिक्किम, भारत का 22वां राज्य लेकिन बिना ट्रेन के
सिक्किम 16 मई 1975 को भारत का 22वां राज्य बना था। तब से लेकर आज तक यहां कोई रेलवे स्टेशन नहीं बना। बाकी राज्यों में रेलवे ने खूब तरक्की की, लेकिन सिक्किम में ट्रेन की सीटी आज तक नहीं गूंजी। यहां के लोग आज भी ट्रेन से सीधा सफर नहीं कर सकते।
पहाड़ों में फंसी रेलवे की योजना
सिक्किम की सबसे बड़ी चुनौती है इसका भौगोलिक स्वरूप। यह राज्य पूरी तरह पहाड़ों से घिरा है। खड़ी ढलानें, गहरी घाटियां और ऊबड़-खाबड़ जमीन रेलवे ट्रैक बिछाने के लिए उपयुक्त नहीं हैं। मौसम की अचानक बदलती स्थिति भी इंजीनियरिंग के लिए मुश्किलें खड़ी कर देती है। यही वजह है कि यहां रेलवे का काम दशकों बाद भी आगे नहीं बढ़ पाया।
पर्यावरण की चिंता भी बड़ी वजह
सिक्किम को भारत का ग्रीन ज़ोन भी कहा जाता है। यहां के जंगल, झरने और प्राकृतिक संपदा बेहद संवेदनशील हैं। अगर यहां रेलवे लाइन बिछाई जाती है तो पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ सकता है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि रेलवे का काम यहां के वन्य जीवन और इकोलॉजिकल बैलेंस को खतरे में डाल सकता है। यही कारण है कि सरकार भी अब तक इस ओर बहुत आक्रामक कदम नहीं उठा पाई।
सिक्किम में लोग कैसे करते हैं सफर?
रेलवे न होने के बावजूद सिक्किम के लोग यातायात में पीछे नहीं हैं। यहां सड़क मार्ग बेहद विकसित है। गंगटोक तक पहुंचने के लिए यात्रियों को पहले पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी या जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन तक ट्रेन से आना पड़ता है। वहां से बस, जीप या टैक्सी के जरिए सिक्किम पहुंचा जा सकता है।
भविष्य में मिलेगी ट्रेन की सौगात?
कई बार चर्चा हुई है कि सिलीगुड़ी से गंगटोक तक रेलवे लाइन बिछाई जा सकती है। इसके लिए सर्वे भी किए गए, लेकिन अभी तक प्रोजेक्ट फाइनल नहीं हो पाया। अगर यह सपना हकीकत बनता है, तो सिक्किम भी भारतीय रेलवे के नक्शे पर जुड़ जाएगा और यह राज्य देश के बाकी हिस्सों से और करीब आ जाएगा। नतीजा यह कि सिक्किम भारत का एकमात्र राज्य है, जहां ट्रेन की सीटी आज तक नहीं गूंजी। यहां की खूबसूरती और प्राकृतिक संतुलन को देखते हुए रेलवे का काम एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। फिलहाल सिक्किमवासी सड़क मार्ग को ही अपनी जीवनरेखा मानकर सफर कर रहे हैं।