Women’s World Cup 2025 में हार की हैट्रिक झेलने के बावजूद भारतीय महिला टीम विश्व चैंपियन बन गई। वुमेंस क्रिकेट के इतिहास में पहली बार किसी ने इस तरह विश्व कप जीता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि किस्मत को भी नई कहानी लिखनी थी। भारतीय महिला क्रिकेट टीम की हालिया जीत सिर्फ एक खेल उपलब्धि नहीं, बल्कि उस सोच पर करारा जवाब है जो महिलाओं को सीमाओं में बांधना चाहती है। देर रात तक मैदान में संघर्ष करतीं ये बेटियां यह साबित कर गईं कि प्रतिभा और मेहनत का कोई समय नहीं होता – न दिन का, न रात का !
भारत की छोरियों ने किया कमाल
भारतीय महिला क्रिकेट के इतिहास में 2 नवंबर 2025 का दिन स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया। ICC Woman’s World Cup 2025 के फाइनल मुकाबले में भारतीय महिला टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए साउथ अफ्रीका महिला टीम को 52 रनों के बड़े अंतर से हराकर पहली बार वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम किया। नवी मुंबई के D Y Patil Stadium में मिली इस जीत ने न सिर्फ करोड़ों भारतीय फैंस का सपना पूरा किया, बल्कि भारतीय क्रिकेट के लिए एक नया युग शुरू कर दिया। महिला क्रिकेट टीम की ऐतिहासिक जीत पर देशभर में जहां खुशी की लहर है, वहीं पश्चिम बंगाल की सियासत में इस जीत ने नया रंग भर दिया है। भाजपा ने इस मौके पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए पुराने विवादित बयान को लेकर तंज कसा है।
भाजपा ने कसा ममता पर तंज- “ ये तो 12 बजे तक खेल रहीं!”
अफसोस की बात यह है कि इस ऐतिहासिक क्षण को भी राजनीति के रंग में रंगने की कोशिश हुई। भाजपा ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पुराने बयान को निशाना बनाते हुए कहा, “ये तो 12 बजे तक खेल रही हैं, आपने तो 8 बजे घर आने को कहा था।” यह तंज भले ही राजनीतिक चुटकी के रूप में दिया गया हो, पर इससे एक गहरी बहस फिर सामने आई। क्या समाज अब भी महिलाओं को समय और मर्यादा की सीमाओं में बांधकर देखता है? दरअसल, सोशल मीडिया पर भाजपा नेताओं ने एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, “ममता दीदी, ये वही बेटियां हैं जो रात 12 बजे तक मैदान में डटी रहीं, आपने तो कहा था कि लड़कियां रात 8 बजे तक घर लौट आएं!” यह टिप्पणी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उस पुराने बयान की ओर इशारा करती है जिसमें उन्होंने युवतियों को देर रात घर से बाहर न रहने की सलाह दी थी।
पृष्ठभूमि: ममता का पुराना बयान बना निशाना
कुछ वर्ष पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में बढ़ते अपराधों के संदर्भ में कहा था कि “लड़कियों को देर रात सड़कों पर नहीं निकलना चाहिए, उन्हें 8 बजे तक घर लौट आना चाहिए।” उनका यह बयान उस समय भी विवादों में रहा था और विपक्ष ने इसे “महिलाओं की आज़ादी पर टिप्पणी” करार दिया था। अब, जब भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने देर रात तक चले मैच में शानदार प्रदर्शन कर देश का नाम रोशन किया, तो भाजपा ने उसी बयान पर चुटकी लेते हुए कहा कि “बंगाल की बेटियां मैदान में डटी रहीं, और आपने उन्हें समय की सीमा में बांधने की कोशिश की थी।”
Bharat ne raat 12 bje tak khel k world cup jeeta jaha Bengal me mamta begum bolti hain Raat 8:00 baje k Baad mahila ko ghar se nahi nikalna chahiye..
Congratulations women
Bharat mata ki jai..
Jai nari shakti#WorldCup2026— नूपुर शर्मा का भाई 🚩🚩🚩 (@kattarhindu1604) November 3, 2025
भाजपा का बयान, TMC की प्रतिक्रिया
भाजपा प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा, “महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं हैं। खेल से लेकर राजनीति तक, उन्होंने अपनी क्षमता साबित की है। ममता बनर्जी को अब यह समझ लेना चाहिए कि 8 बजे की पाबंदी जैसी मानसिकता बदलनी होगी।”
TMC ने भाजपा के इस तंज पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “राजनीति न करें, जीत पर गर्व करें।” TMC ने भाजपा के तंज को “निरर्थक राजनीति” बताया। TMC की प्रवक्ता काकोली घोष ने कहा, “महिला क्रिकेट टीम की जीत पर राजनीति करना शर्मनाक है। मुख्यमंत्री ने हमेशा महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए काम किया है, चाहे ‘कन्याश्री योजना’ हो या ‘रूपश्री’। भाजपा सिर्फ तंज कसना जानती है, सम्मान देना नहीं।”
सोशल मीडिया पर चर्चा
भाजपा और TMC नेताओं के बीच यह तकरार सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई। कई यूज़र्स ने भाजपा के तंज को “तेज लेकिन सटीक” बताया, जबकि कुछ ने कहा कि “महिला खिलाड़ियों की मेहनत को राजनीतिक चश्मे से देखना गलत है।” देशभर में महिला खिलाड़ियों की तारीफ करते लोग नहीं थक रहे! क्रिकेट प्रेमियों और आम जनता ने महिला टीम के जज्बे की सराहना की है। देर रात तक चले मैच में खिलाड़ियों के संघर्ष ने हर किसी का दिल जीत लिया।
जीत का जश्न मनाएं, राजनीति नहीं !
सच तो यह है कि ममता बनर्जी हों या कोई और, हर नेता को आज यह समझने की ज़रूरत है कि “सुरक्षा” के नाम पर महिलाओं की स्वतंत्रता को सीमित करना समाधान नहीं है। असली बदलाव तब आएगा जब समाज और शासन दोनों यह स्वीकार करेंगे कि महिलाओं की जगह हर उस क्षेत्र में है जहां उनका सपना उन्हें ले जाए, चाहे वो खेल का मैदान हो, राजनीति का मंच हो या रात की शिफ्ट वाला ऑफिस! महिला क्रिकेट टीम की जीत यह सिखाती है कि नारी शक्ति को रोकने की नहीं, बढ़ाने की ज़रूरत है। वे सिर्फ बेटियां नहीं, राष्ट्र की प्रेरणा हैं।
राजनीतिक दलों के लिए यह अवसर एक-दूसरे पर तंज कसने का नहीं, बल्कि इन बेटियों के जज़्बे को सलाम करने का होना चाहिए। जब महिलाएं देश के लिए रात तक खेल सकती हैं, तो समाज को भी दिन-रात यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी सुरक्षा और सम्मान में कोई कमी न आए। राजनीति बदलती रहेगी, पर “खेल” और “नारी शक्ति” दोनों को किसी सीमा की ज़रूरत नहीं।महिला क्रिकेट टीम की जीत ने जहां देश को गर्व का एहसास कराया है, वहीं पश्चिम बंगाल की राजनीति में इसने पुराने विवादों की याद ताज़ा कर दी है। खेल के मैदान में महिलाओं की जीत एक संदेश दे रही है, कि नारी शक्ति को सीमाओं में बांधना अब मुमकिन नहीं !
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