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November 18, 2025

गुजरात के गिर-सोमनाथ में हथियारों का जखीरा बरामद, दिल्ली लाल किला धमाके से संभावित कड़ी की जांच तेज़

The CSR Journal Magazine

 

गुजरात के गिर-सोमनाथ जिले में 17 नवंबर की सुबह एक बड़े सैनिक-सुरक्षित छापेमारी में अवैध हथियार मिले हैं। यह बरामदगी उसी राष्ट्रीय संकट की पृष्ठभूमि में हुई है, जब 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किला (Red Fort) के पास हुई कार बम विस्फोट को आतंकवादी हमला करार दिया गया है। दोनों ही घटनाओं को मिलाकर सुरक्षा एजेंसियां एक व्यापक राष्ट्र विरोधी षड़यंत्र पर शक जता रही हैं।

गिर सोमनाथ (गुजरात) में हथियारों का जखीरा बरामद- दिल्ली लाल किला धमाके से कनेक्शन की जांच तेज़

गुजरात के गिर-सोमनाथ जिले में 17 नवंबर की सुबह एक बड़े सैनिक-सुरक्षित छापेमारी में अवैध हथियार मिले हैं। यह बरामदगी उसी राष्ट्रीय संकट की पृष्ठभूमि में हुई है, जब 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किला (Red Fort) के पास हुए कार बम विस्फोट को आतंकवादी हमला करार दिया गया है। दोनों ही घटनाओं को मिलाकर सुरक्षा एजेंसियां एक व्यापक राष्ट्र विरोधी षड़यंत्र पर शक जता रही हैं।
2025 की 10 नवंबर की शाम दिल्ली के दिल-ओ-दिमाग में सनसनीखेज धमाका हुआ- एक कार बम विस्फोट ठीक लाल किला (Red Fort) मेट्रो स्टेशन गेट के पास ! इस हमले ने न सिर्फ शहर को हिला दिया, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को एक बड़े आतंकवादी नेटवर्क की गहराई में झांकने के लिए मजबूर कर दिया। लगभग एक हफ्ते बाद, 17 नवंबर को गुजरात के तटीय जिले गिर-सोमनाथ में एक दरगाह से हथियारों का बड़ा जखीरा बरामद हुआ। अब सुरक्षा एजेंसियां इन दो घटनाओं के बीच संभावित संवेदनशील कड़ी तस्करी,  स्टैशिंग, और आतंकवादी नेटवर्क की जांच कर रही हैं।

सोमनाथ में कहां बरामद हुए हथियार?

गिर-सोमनाथ के कोडिनार तालुका में स्थित हज़रत कच्ची पीर बाबा दरगाह (Kodinar Dargah) के परिसर से तलाशी के दौरान पुलिस ने तेजधार हथियार बरामद किए हैं। तलाशी में तलवारें, कुल्हाड़ियां (Axe), चाकू और एक दौगरह (Dagger) जैसे हथियार बरामद हुए। इस छापेमारी का नेतृत्व गिर-सोमनाथ पुलिस की Special Operations Group (SOG) टीम कर रही थी, जिसमें स्थानीय पुलिस अधिकारियों के साथ विस्फोटक निष्क्रियकरण दल भी शामिल था। दरगाह के देखभालकर्ता Aminsha Ismailsha Kanojiaको हिरासत में लिया गया है। FIR उस पर गुजरात पुलिस अधिनियम की धारा 135 (अनियमित हथियार रखने का आरोप) के तहत दर्ज की गई है। पुलिस का कहना है कि ये हथियार “कोई वैध दस्तावेज़ या लाइसेंसिंग के बिना” प्राप्त किए गए थे। गिर-सोमनाथ तटीय इलाका माना जाता है संवेदनशील क्षेत्र क्योंकि यह बंदरगाहों और तटीय गावों से जुड़ा है। छापेमारी ऐसे समय में हुई है जब राष्ट्रीय जांच एजेंसियां लाल किला धमाके की गुत्थी सुलझाने में लगी हैं।

घटनाओं का समय-रेखा (Timeline)

10 नवंबर 2025- शाम 6:52 बजे (IST): दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन (गेट नो. 1) के पास एक सफेद Hyundai i20 कार विस्फोटित हो जाती है। विस्फोट में कम-से-कम 8–13 लोगों की मौत हुई और कई अन्य घायल हुए। स्थानीय पुलिस और फोरेंसिक टीमों ने साइट पर विस्फोटक अवशेष और अन्य सबूत एकत्र करना शुरू किया। शुरुआत में यह माना गया कि यह कार इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) हो सकती है, और मामला आतंकवादी हमला की शक पर उठाया गया।
11–12 नवंबर 2025- राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को जांच सौंप दी जाती है। जांच में जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammad) मॉड्यूल के लिंक की संभावना सामने आती है। फरीदाबाद (हरियाणा) में छापेमारी में लगभग 2,900 किलो विस्फोटक सामग्री ज़ब्त की जाती है, विस्फोटकों, टाइमिंग डिवाइस, तार, आदि सहित। जांच में यह सवाल उठता है कि विस्फोट स्थल पर मिली विस्फोटक सामग्री (जैसे अमोनियम नाइट्रेट) वही है जो फरीदाबाद में बरामद सामग्री से मेल खाती है। 3 कार्ट्रिज (9 मिमी) भी विस्फोट स्थल के आसपास बरामद हुए- दो जिंदा राउंड और एक खर्च हुआ खोखा। यह एम्यूनिशन भारत में आम नागरिकों के लिए प्रतिबंधित (Prohibited Bore) है। अमीर राशिद अली, जिसने उस आई20 को अपने नाम पर रजिस्टर किया था, को न आई ए हिरासत में लेती है।
17 नवंबर 2025- गिर-सोमनाथ (गुजरात) में कोडिनार तालुका के एक दरगाह परिसर में व्यापक तलाशी अभियान शुरू किया जाता है। तलाशी के दौरान तेजधार हथियारों का जखीरा बरामद किया जाता है, जैसे तलवारें, कुल्हाड़ियाँ, खंजर, बड़े चाकू आदि। दरगाह के देखभालकर्ता अमीनशा इस्माइलशा कानोजिया (Aminsha Ismailsha Kanojia) को हिरासत में लिया जाता है। FIR दर्ज की जाती है, जिसमें अयोग्य दस्तावेज़ीकरण और लाइसेंस के बिना हथियार रखने का आरोप है। गिर-सोमनाथ पुलिस, विशेष ऑपरेशन ग्रुप (SOG) और अन्य स्थानीय अधिकारी लगातार छानबीन कर रहे हैं, और यह कहा गया है कि तटीय इलाकों की संवेदनशीलता के मद्देनज़र यह कदम उठाया गया था।

बरामदगी का विवरण और प्रमाण

गुजरात के गिर-सोमनाथ में कोडिनार दरगाह से मिली बरामदगी को पुलिस ने गंभीर माना है। तलाशी टीम ने यह बताया है कि दरगाह के परिसर में ऐसा कोई लाइसेंस या वैध दस्तावेज नहीं मिला जिनसे यह साबित हो सके कि ये हथियार कानूनी रूप से रखे गए थे। पुलिस अधिकारी SP (जिला स्तर) का कहना है कि दरगाह परिसर की नियमित गिनती और चेकिंग पहले की गई नहीं थी, और यह ऑपरेशन उसी “संवेदनशील समुद्र तटीय इलाकों पर निगरानी तेज़ करने की रणनीति” का हिस्सा है। FIR में यह उल्लेख किया गया है कि कई नियमों का उल्लंघन है, न केवल हथियारों की अवैध भंडारण, बल्कि किराए पर रहने वालों (मुसाफिरों) की पहचान और स्थानीय पुलिस को रजिस्ट्रेशन न करने जैसे अनियमितताएं भी मिली हैं।
देखभालकर्ता अमीनशा इस्माइलशा कानोजिया को हिरासत में लेकर पुलिस यह भी जानने की कोशिश कर रही है कि क्या यह सिर्फ स्थानीय छिपाने का स्टैश था, या इसे बड़े आतंकवादी नेटवर्क की सप्लाई चेन का हिस्सा माना जाना चाहिए।

संभावित लिंक: गिर-सोमनाथ बरामदगी और दिल्ली धमाके

यह वह बिंदु है जहां गिर-सोमनाथ में बरामदगी और दिल्ली धमाके के बीच सामान्य संदिग्ध धागे एक दूसरे से गुज़रते दिखते हैं-

1. भौगोलिक और रणनीतिक महत्व

गिर-सोमनाथ एक तटीय इलाका है, समुद्री मार्गों के नजदीक। तटवर्ती इलाकों को आतंकवादी स्टैशिंग पॉइंट के रूप में उपयोग करने की आशंका एजेंसियों के लिए गंभीर है। दरगाहों जैसे धार्मिक स्थल इस तरह के छुपे नेटवर्क के लिए “आतंकवाद का लॉजिस्टिक हब” बन सकते हैं।

2. हथियारों का प्रकार और भंडारण

दरगाह परिसर से मिली तलवारें, चाकू, कुल्हाड़ियां आदि न सिर्फ लड़ाकू रूप में खतरनाक हैं, बल्कि वे स्थानीय संघर्ष, आत्मरक्षा हमले या आतंकवादी ऑपरेशन में इस्तेमाल हो सकते हैं। ये हथियार तुरंत विस्फोटक हमले के समान प्रतीकात्मक संदेश देते हैं।

3. नेटवर्क और लॉजिस्टिक सप्लाई चेन

दिल्ली धमाके में उपयोग किए गए विस्फोटक और संभवतः अधिक गंभीर आतंकवादी डिजाइन फरीदाबाद मॉड्यूल से सम्बद्ध हैं। गिर-सोमनाथ में हथियार भंडार की बरामदगी इस बात की ओर संकेत कर सकती है कि आतंकवादी नेटवर्क न केवल विस्फोटकों का भंडारण कर रहा था, बल्कि क्लासिक हथियारों का भी स्टैश बना रहा था जो आवश्यक हो सकते हैं।

4. संयोजन और तैयारी

एक रणनीति जो कुछ आतंकवादी नेटवर्क अपनाते हैं, वह है “बहु-फेज़ हमले”! शुरुआत में स्टोरेज और हथियार संग्रह, बाद में बड़े हमले के लिए विस्फोटक उपयोग। गिर-सोमनाथ में तलाशी और हथियार बरामदगी इस रणनीति के अनुरूप हो सकती है जहां पहले स्टोरेज की कसावट हो, और फिर हमला या योजनाबद्ध कार्रवाई की ओर कदम बढ़ाया जाए।

5. राजनीतिक और धार्मिक कवर

दरगाह जैसा धार्मिक स्थल आतंकवादी नेटवर्क के लिए कवर प्रदान कर सकता है, धार्मिक गतिविधियों के नाम पर आस-पास आने-जाने वालों का बहाना, सामाजिक स्वीकार्यता, और कम परीक्षण। यदि यह मामला सिर्फ स्थानीय संघर्ष नहीं, बल्कि बड़े आतंकवाद की तैयारी है, तो यह न सिर्फ तस्करी की कड़ी है, बल्कि सामाजिक-राजनीतिक चुनौती भी है।

खतरों का विश्लेषण

इन घटनाओं के मिलने वाले संकेतों से बने संभावित खतरों का मूल्यांकन करना निहायत ज़रूरी है-

1. तटीय सुरक्षा खामी

यदि गिर-सोमनाथ जैसे तटीय क्षेत्र आतंकवादी स्टैश बनाते हैं, तो समुद्री मार्गों से हथियारों की तस्करी, स्टैशिंग और सप्लाई संभावित हो जाती है। यह भारत के तटीय राज्यों में सुरक्षा का एक बड़ा जोखिम है, खासकर बंदरगाहों, धार्मिक स्थलों और छोटे गांवों के माध्यम से।

2. बहु-स्तरीय आतंकवादी नेटवर्क

हथियारों का संग्रह + विस्फोटक निर्माण + वित्त पोषण + लॉजिस्टिक्स- ये सभी एक पेशेवर और संगठित आतंकवादी नेटवर्क की झलक दे सकते हैं। यदि इतनी व्यापक तैयारी की जा रही है, तो आगे के हमलों की आशंका भी गंभीर है।

3. वसूली और फंडिंग चैनल

हवाला ट्रांज़ैक्शन्स, नकली पहचान, और धार्मिक संस्थानों के नकली लाभ का उपयोग आतंकवादी संगठन कर सकते हैं। यदि इन चैनलों का पता न लगाया जाए, तो नेटवर्क आसानी से तेज़ी से पनप सकता है।

4. राजनीतिक और सामाजिक ध्रुवीकरण

जब धार्मिक स्थलों (जैसे दरगाह) का आतंकवाद के संदर्भ में उल्लेख किया जाता है, तो यह सामाजिक तनाव, धार्मिक असहिष्णुता और राजनीतिक ध्रुवीकरण को और बढ़ा सकता है। यह एक संवेदनशील स्थिति है जिसे न सिर्फ सुरक्षा एजेंसियों, बल्कि सामाजिक और राजनैतिक नेतृत्व को भी सावधानी से प्रबंधित करना होगा।

5. नियामक और निगरानी संरचनाओं की कमी

वर्तमान में तटीय क्षेत्रों, धार्मिक स्थलों और बंदरगाहों पर निगरानी की कमी, स्थानीय कानून प्रवर्तन की संसाधन सीमाएं और वैध दस्तावेज़ीकरण की अनियमितताएं ऐसे नेटवर्क के विकास के लिए अवसर प्रदान करती हैं। यदि नियामक सुधार नहीं किया गया, तो खतरा और बढ़ सकता है।

रणनीतिक महत्ता और भविष्य की चुनौतियां

गिर-सोमनाथ में हथियारों की बरामदगी और दिल्ली लाल-किला धमाका दोनों ही घटनाएं हमें यह याद दिलाती हैं कि भारत में आतंकवादी खतरे सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं रह गए हैं, बल्कि तटीय और धार्मिक क्षेत्रों में भी पैठ बना सकते हैं। यह एक बहु-आयामी रणनीति का संकेत है, जो हथियारों की तस्करी, स्टैशिंग, फंडिंग और सिंबलिक-स्थान उपयोग (जैसे धरोहर स्थल) के माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा को चुनौती दे सकती है।

राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ता खतरे का दायरा

जांच एजेंसियों के लिए यह अब सिर्फ एक “घटनाओं की गुत्थी” नहीं है, बल्कि एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यदि गिर-सोमनाथ के हथियार भंडार को व्यापक आतंकवादी ऑपरेशनल नेटवर्क की हिस्सेदारी माना जाए, तो इसका मतलब है कि हमारे ख़तरे का दायरा बढ़ चुका है और आगे अधिक समन्वित, जागरूक और रणनीतिक प्रतिक्रिया की आवश्यकता है। अगर सुरक्षात्मक सिफारिशें समय पर लागू की जाएं तो भारत न सिर्फ इस विशिष्ट संकट से निपट सकता है बल्कि भविष्य में इस तरह के नेटवर्क के विस्तार को रोकने की दिशा में एक मजबूत आधार तैयार कर सकता है। वहीं यदि हम कार्रवाई न करें, तो गिर-सोमनाथ जैसे तटीय स्थल एक रणनीतिक “हॉटस्पॉट” बन सकते हैं, जो न केवल स्थानिक हमलों बल्कि लंबे समय तक चलने वाली आतंकी संरचनाओं को पनपने की आज़ादी दें।
इसलिए, राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में तटीय सुरक्षा, धार्मिक संस्थानों की पारदर्शिता, जांच तंत्र, और सामुदायिक सहभागिता को न जोड़ना अब विचार का विषय नहीं, बल्कि अनिवार्य आवश्यकता बन गया है।
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