कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) तकनीक ने हाल के वर्षों में डिजिटल दुनिया में क्रांति ला दी है। इसके जरिए हम अपने जीवन के कई क्षेत्रों में सुविधाएँ पाते हैं, जैसे स्मार्ट असिस्टेंट, ऑटोमेटेड सर्विसेज और ऑनलाइन कंटेंट क्रिएशन। लेकिन इसके साथ ही AI का गलत इस्तेमाल भी बढ़ रहा है, खासकर फेक वीडियो और डीपफेक सामग्री बनाने में।
फेक वीडियो और डीपफेक क्या हैं?
AI-Generated वीडियो ऐसे डिजिटल फुटेज होते हैं जिन्हें वास्तविक दिखाने के लिए कम्प्यूटर तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। इन वीडियो में किसी की वास्तविक पहचान को मॉर्फ करके, या पूरी तरह फर्जी सीक्वेंस बनाकर लोगों को भ्रमित किया जा सकता है। सोशल मीडिया पर ये वीडियो तेजी से वायरल होते हैं और कई बार असली और नकली के बीच अंतर करना लगभग नामुमकिन हो जाता है। यही वजह है कि युवाओं और डिजिटल यूज़र्स के बीच प्राइवेसी और सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता बढ़ रही है।
सोशल मीडिया और यूज़र पर प्रभाव
विशेषज्ञों के अनुसार, AI फेक वीडियो का प्रभाव केवल मनोरंजन या ट्रोलिंग तक सीमित नहीं है। इसका इस्तेमाल किसी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाने, गलत सूचना फैलाने और ट्रोलिंग बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर वायरल होने वाले ऐसे वीडियो तेजी से फैलते हैं, जिससे यूज़र्स दबाव और तनाव का शिकार हो जाते हैं।
कानूनी जोखिम
कानूनी दृष्टिकोण से भी स्थिति गंभीर है। भारत में IT Act, 2000 की धारा 67, 67A और 67B के तहत अश्लील या भ्रामक डिजिटल कंटेंट साझा करना गंभीर अपराध माना जाता है। इसके तहत सिर्फ वीडियो शेयर करने या डाउनलोड करने की कार्रवाई भी कानूनी कार्रवाई का कारण बन सकती है। जुर्माना और जेल की सजा तक का जोखिम रहता है।
यूज़र्स के लिए सुरक्षा उपाय
यूज़र्स को सलाह दी जाती है कि किसी भी अनजान या संदिग्ध वीडियो को देखने, डाउनलोड करने या शेयर करने से पहले उसकी प्रामाणिकता की जांच करें। डिजिटल सुरक्षा सेटिंग्स को मजबूत रखें, पासवर्ड और निजी जानकारी साझा करते समय सतर्क रहें और केवल विश्वसनीय स्रोतों से ही कंटेंट का उपयोग करें।
AI का सही और गलत इस्तेमाल
AI तकनीक का सकारात्मक इस्तेमाल बहुत सारे अवसर भी प्रदान करता है, लेकिन इसका दुरुपयोग सामाजिक और कानूनी दृष्टि से खतरा बन सकता है। इसलिए जागरूक रहना और सावधानी अपनाना डिजिटल दुनिया में सुरक्षित रहने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका है।
AI-Generated वीडियो और फेक कंटेंट की बढ़ती चुनौती ने डिजिटल सुरक्षा को नई दिशा दी है। सावधानी, जागरूकता और कानून की जानकारी ही इस खतरे से बचने का सबसे प्रभावी उपाय हैं।