सिनेमा जगत से एक बुरी खबर सामने आ रही है। दरअसल, दिग्गज अदाकारा संध्या शांतारम ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है। 94 की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली। संध्या के निधन से पूरे मनोरंजन जगत को बड़ा धक्का लगा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, संध्या बढ़ती उम्र की समस्याओं से ग्रस्त थीं। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संध्या शांताराम के निधन पर निर्देशक मधुर भंडारकर ने उन्हें सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि देते हुए जानकारी साझा की।
नहीं रहीं नवरंग की नटखट संध्या
नवरंग फिल्म के होली के गीत ‘अरे जा रे हट नटखट’ से फेम हासिल करने वाली वेटरन एक्ट्रेस संध्या शांताराम ने 94 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। हिंदी और मराठी सिनेमा में अपने विशिष्ट योगदान और फिल्म निर्माता वी. शांताराम की पत्नी के रूप में जानी जाने वाली दिग्गज भारतीय अभिनेत्री संध्या शांताराम का 4 अक्टूबर, 2025 को निधन हो गया। वह 94 वर्ष की थीं। एक अभिनेत्री और प्रशिक्षित शास्त्रीय नृत्यांगना के रूप में उनके काम ने फिल्म जगत पर अमिट छाप छोड़ी।
मधुर भंडारकर ने दी संध्या को श्रद्धांजलि
मधुर भंडारकर ने X पर संध्या को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने अभिनेत्री की एक पुरानी तस्वीर साझा कर लिखा, ‘महान अदाकारा संध्या शांताराम जी के निधन से दुखी हूं। ‘पिंजरा, दो आंखें बारह हाथ’, ‘नवरंग’ और ‘झनक झनक पायल बाजे’ जैसी फिल्मों में उनकी भूमिकाएं हमेशा याद रखी जाएंगी। उनकी अद्भुत प्रतिभा और मंत्रमुग्ध कर देने वाले नृत्य कौशल ने सिनेमा जगत पर एक अमिट छाप छोड़ी है। ओम शांति।’ बता दें कि संध्या मशहूर फिल्मकार वी. शांताराम की तीसरी पत्नी थीं।
Saddened by the passing of legendary actress Sandhya Shantaram Ji. Her iconic roles in films like #Pinjra, #DoAnkhenBarahHath, #Navrang, and #JhanakJhanakPayalBaaje will forever be cherished. Her remarkable talent and mesmerizing dance skills have left an indelible mark on the… pic.twitter.com/fOttHtmuMz
— Madhur Bhandarkar (@imbhandarkar) October 4, 2025
आशीष शेलार ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि
महाराष्ट्र के सूचना प्रौद्योगिकी और सांस्कृतिक मामलों के मंत्री आशीष शेलार ने इंस्टाग्राम पर अभिनेत्री को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने लिखा, “भावपूर्ण श्रद्धांजलि! ‘पिंजरा’ फिल्म की प्रसिद्ध अभिनेत्री संध्या शांताराम जी के निधन की खबर अत्यंत दुखद है। मराठी और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में उन्हें अपनी अद्वितीय अभिनय क्षमता और नृत्य कौशल से दर्शकों के दिलों पर एक अलग छाप छोड़ी।”
बेहतरीन अदाकारा होने के साथ शानदार डांसर भी थीं संध्या
संध्या शांताराम के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार 4 अक्टूबर को शिवाजी पार्क स्थित वैकुंठ धाम में किया गया। संध्या को ‘झनक झनक पायल बाजे’, ‘दो आंखें बारह हाथ’, ‘नवरंग’ और मराठी फिल्म ‘पिंजरा’ जैसी फ़िल्मों में उनके यादगार अभिनय के लिए याद किया जाता है। वो न सिर्फ अपनी अदाकारी, बल्कि अपने शानदार डांस के लिए भी जानी जाती थीं। उन्होंने मराठी और हिंदी सिनेमा में अपने अद्भुत अभिनय और नृत्य कौशल से पर्दे पर एक अनूठी छाप छोड़ी।
वी. शांताराम ने ही की थी संध्या की खोज
वी. शांताराम ने साल 1951 में अपनी फिल्म ‘अमर भूपाली’ के लिए नई प्रतिभाओं की तलाश के दौरान संध्या की प्रतिभा को पहचाना था। फिल्म निर्देशक को उनकी मनमोहक आवाज ने प्रभावित किया था। इस फिल्म में संध्या ने एक गायिका का किरदार निभाया था। बता दें कि वी. शांताराम ने अपनी दूसरी पत्नी जयश्री से तलाक लेने के 1 महीने बाद ही संध्या से शादी कर ली। दोनों ने फिल्म ‘पिंजरा’ में साथ काम किया था।
‘झनक झनक पायल बाजे’ से मिली ख्याति
संध्या को 1955 की संगीतमय ड्रामा फिल्म झनक झनक पायल बाजे से फेम मिली, जिसमें उन्होंने एक कथक नर्तकी की भूमिका निभाई थी। औपचारिक नृत्य प्रशिक्षण न होने के बावजूद, उन्होंने सह-कलाकार गोपी कृष्ण से गहन प्रशिक्षण लिया। इस फिल्म में दो डांस चुनौतियों का सामना करते हुए एक प्रतियोगिता की तैयारी करती हैं, जिसने चार फिल्मफेयर पुरस्कार और हिंदी में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता।
नवरंग के होली गीत का चेहरा बनी संध्या
वह शांताराम की कई प्रशंसित फ़िल्मों में दिखाई दीं, जिनमें “दो आंखे बारह हाथ” (1957) शामिल हैं, जहां उन्होंने चंपा नामक एक खिलौना विक्रेता की भूमिका निभाई, जो जेल वार्डन और कैदियों को मोहित कर लेती है, और “नवरंग” (1959) जिसमें उन्होंने एक कवि की साधारण पत्नी का किरदार निभाया, जिसकी काल्पनिक छवि उसकी प्रेरणा बन जाती है। “नवरंग” में, होली गीत “अरे जा रे हट नटखट” में उनका अभिनय प्रतिष्ठित बन गया, जिसमें घुंघरू से सजे हाथी के साथ नृत्य दिखाया गया था।
संध्या के शानदार करियर में “सेहरा” (1963), “स्त्री” (1961), और मराठी फ़िल्म “पिंजरा” (1972) भी शामिल हैं, जिसमें उन्होंने एक तमाशा कलाकार की भूमिका निभाई, जो एक स्कूल टीचर के साथ प्रेम में उलझी हुई थी, जिसे श्रीराम लागू ने अपनी पहली फ़िल्म में निभाया था।
संध्या का निडर अंदाज़ साहसिक दृश्यों तक भी फैला
महाभारत की शकुंतला की कहानी पर आधारित फ़िल्म स्त्री में, संध्या ने बिना किसी बॉडी डबल के, एक शेर को वश में करने वाले के मार्गदर्शन में, जीवित शेरों के साथ अभिनय किया। उनकी फ़िल्मोग्राफी की अन्य उल्लेखनीय फ़िल्मों में अमर भूपाली (1951), तीन बत्ती चार रास्ता (1953), जिसमें उन्होंने एक अनाकर्षक लेकिन गुप्त रूप से प्रतिभाशाली रेडियो गायिका कोकिला की भूमिका निभाई, और नवरंग (1959) शामिल हैं। संध्या शांताराम की फ़िल्मों में आखिरी बड़ी भूमिका पिंजरा में थी। दशकों बाद भी, वह एक प्रभावशाली हस्ती बनी रहीं और 2009 में नवरंग की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित वी. शांताराम पुरस्कारों में विशेष रूप से उपस्थित रहीं थी।
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