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उन्नाव कांड – रेप और राजनीति

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कोई धरने पर बैठ रहा है, कोई राज्यपाल से मिल रहा है, कोई मुख्यमंत्री योगी से इस्तीफा मांग रहा है तो आरोपियों को फांसी और एनकाउंटर की मांग कर रहा है, देश मे रेप और उसपर होती राजनीति अपने चरम पर है, क्या हो रहा है हमारे देश में, क्यों महिलाओं के प्रति हैवानियत हो रही है, क्यों आरोपियों में कानून का ख़ौफ़ नही है। हालही में हुए दो रेप कांड और फिर जो हैवानियत की तस्वीर सामने आई उसे देख पूरा देश सख्ते में आ गया। गुस्सा है, नफ़रत है और ये तस्वीर बदलने की जरूरत को समझते हुए लोग बेटियों के खातिर सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे है ताकि सरकारें अपनी कुम्भकर्णी नींद से जागे।

हैदराबाद डॉक्टर के साथ रेप और फिर जिंदा जला देने के मामले के बाद, उन्नाव की घटना से पूरा देश दहल गया, 5 दिसंबर को उन्नाव में रेप के बाद जलाई गई पीड़िता ने शुक्रवार 6 दिसंबर की रात पौने 12 बजे दम तोड़ दिया, 90 फीसदी जलने के बाद उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। डॉक्टरों के बड़े प्रयासों के बावजूद पीड़िता को बचाया नहीं जा सका, शाम में ही उसकी हालत खराब होनी शुरू हो गई थी और रात 11.10 बजे उसे कार्डियक अरेस्‍ट आया और रात में 11.40 बजे उसकी मौत हो गई।

मौत के बाद जिस तरह से राजनीति हो रही है वो भी बेहद ही शर्मनाक है, राजनीतिक सुर्खियों में बने रहने के लिए पूर्व सीएम अखिलेश यादव धरने पर बैठे, प्रियंका गांधी पीड़िता के परिवार से मिली, तमाम छीटाकशी हो रही है, सरकार का दावा है कि मामला फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाकर जल्द ही दोषियों पर कार्यवाई की जाएगी।

बहरहाल अगर हम मामले की बात करें तो पीड़िता के साथ एक आरोपी का पुराना विवाद था, पीड़िता के मुताबिक आरोपी ने शादी के नाम पर कई बार उसके साथ यौन संबंध बनाए, उसके बाद जब वो शादी के लिए तैयार नहीं हुआ तो बाद में ब्लैकमेलिंग पर उतर आया, फिर 12 दिसंबर 2018 के दिन भी उसने एक और दोस्त के साथ मिलकर बलात्कार किया, जिसकी शिकायत करने के बाद आरोपी की गिरफ्तारी हुई थी। आरोपी जमानत पर बाहर आने के बाद ही उसने 5 लोगों के साथ मिलकर रेप पीड़िता को ज़िंदा जलाने की कोशिश की। पीड़िता को जलाने वाले 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

आंकड़ों की माने तो हर दिन भारत में 90 रेप के केस रजिस्टर्ड होते है। यानी हर साल लगभग 32500 केसेस आते है, और कोई मामलों में समाज और लोकलज्जा की दर से केसेस पुलिस स्टेशन पहुंचते ही नही है। बहरहाल कानून की सख्ती और समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान और आदर की शिक्षा से ही बदलाव आएगा।