app-store-logo
play-store-logo
December 15, 2025

UNESCO की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर बनी दीपावली: भारत के प्रकाश पर्व को मिला वैश्विक सम्मान !

The CSR Journal Magazine

 

दीपावली (Deepavali) को यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर (Intangible Cultural Heritage of Humanity) की प्रतिनिधि सूची में औपचारिक रूप से शामिल कर लिया गयाहै। 10 दिसंबर को दिल्ली के लाल किले में UNESCO की इंटैन्जिबल कल्चरल हेरिटेज इंटर-गवर्नमेंटल कमिटी के 20वें सत्र के दौरान यह ऐतिहासिक घोषणा की गई, जिसमें भारत की सांस्कृतिक परंपरा और सामाजिक एकता की वैश्विक मान्यता को रेखांकित किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर कहा, “दीपावली हमारी सभ्यता की   आत्मा है, और अब पूरी दुनिया इसे करीब से समझेगी, सम्मान देगी और अपनाएगी।” उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता और सामाजिक एकता का वैश्विक स्तर पर सम्मान है।

दीपावली को UNESCO की मान्यता- प्रकाश के पर्व से विश्व धरोहर तक का सफर

भारत के लिए यह क्षण ऐतिहासिक और भावनात्मक दोनों है। दीपावली, जो सदियों से भारत की सभ्यता, आस्था और सामाजिक एकता का प्रतीक रही है, अब UNESCO की “मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर” की सूची में शामिल हो चुकी है। इस मान्यता के साथ दीपावली न केवल भारत की, बल्कि पूरी मानवता की साझा सांस्कृतिक विरासत के रूप में स्थापित हो गई है। यह उपलब्धि बताती है कि दीपावली सिर्फ दीप जलाने या उत्सव मनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ज्ञान पर अज्ञान की विजय, आशा, करुणा, सामाजिक सौहार्द और सामूहिक सहभागिता की जीवंत परंपरा है।

क्या है UNESCO की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची ?

UNESCO की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची उन परंपराओं, त्योहारों, ज्ञान प्रणालियों, लोक कलाओं और सामाजिक प्रथाओं को मान्यता देती है-
• जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही हों,
• जो आज भी समाज में जीवित और सक्रिय हों,
• और जो मानवता की सांस्कृतिक विविधता को समृद्ध करती हों।
यह सूची किसी इमारत, स्मारक या स्थल के लिए नहीं, बल्कि जीवित संस्कृति के संरक्षण के लिए बनाई गई है।

दीपावली क्यों बनी UNESCO की धरोहर

दीपावली का उत्सव भारत के लगभग हर कोने में, अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है-
• कहीं यह राम के अयोध्या आगमन की स्मृति है,
• कहीं लक्ष्मी पूजन और समृद्धि का प्रतीक,
• कहीं जैन धर्म में निर्वाण दिवस,
• तो कहीं सिख परंपरा में बंदी छोड़ दिवस !
यही बहुलता और समावेशिता दीपावली को वैश्विक महत्व देती है। यह पर्व समाज के हर वर्ग को जोड़ता है और सामूहिकता की भावना को मजबूत करता है।

UNESCO सूची में शामिल होने के प्रमुख मानदंड (Criteria)

किसी भी परंपरा या उत्सव को UNESCO की अमूर्त धरोहर सूची में शामिल करने के लिए कुछ अहम शर्तें होती हैं:
1. जीवंत परंपरा होना– वह परंपरा आज भी समाज द्वारा अपनाई जा रही हो और केवल इतिहास की वस्तु न बन चुकी हो।
2. पीढ़ियों से चली आ रही विरासत- उसका ज्ञान, रीति-रिवाज और मूल्य पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होते रहे हों।
3. सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान– वह परंपरा किसी समुदाय या समाज की पहचान को मजबूत करती हो।
4. विविधता और समावेशिता– वह मानवता की सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देती हो और भेदभाव से ऊपर उठती हो।
5. संरक्षण की आवश्यकता– उस परंपरा को सुरक्षित रखने और आगे बढ़ाने की आवश्यकता हो, ताकि आधुनिक समय में वह विलुप्त न हो जाए। दीपावली इन सभी मानदंडों पर पूरी तरह खरी उतरती है।

भारत की UNESCO अमूर्त धरोहर परंपरा: एक समृद्ध विरासत

दीपावली से पहले भी भारत की 15 सांस्कृतिक परंपराएं इस सूची में शामिल हो चुकी हैं। भारत की UNESCO अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की सूची में दीपावली के साथ अब कुल 16 अमूर्त सांस्कृतिक तत्व शामिल हैं। इस सूची में शामिल सभी प्रमुख धरोहरें इस प्रकार हैं-
1. परंपरा वैदिक मंत्रोच्चार (Tradition of Vedic Chanting)– 2008 ,
2. रामलीला (Ramlila)– महाकाव्य रामायण का पारंपरिक मंचन – 2008 ,
3. कुटियाट्टम (Kutiyattam)– संस्कृत नाटक 2008,
4. रम्मन (Ramman)– गढ़वाल हिमालय की धार्मिक परंपरा और रंगमंच 2009,
5. मुदियेत्टू (Mudiyettu)– केरल का रीतिवादी नाट्य नृत्य-नाटक 2010
6. कालबेलिया लोकगीत एवं नृत्य (Kalbelia folk songs and dances)– राजस्थान 2010,
7. छाऊ नृत्य (Chhau Dance)– पारंपरिक नृत्य कला 2010,
8. लद्दाख के बौद्ध मंत्रों का पाठ (Buddhist Chanting of Ladakh)-2012,
9. Sankirtana- मणिपुर का रिठम-गीत और नृत्य 2013,
10. धातु के बर्तनों का पारंपरिक शिल्प (Traditional Brass And Copper Craft Of Utensil Making)- पंजाब के जंडियाला गुरु के थढेरा समुदाय का शिल्प 2014,
11. नवरोज़ (Nowroz/Nawrouz)– पारसी और मध्य एशियाई नव वर्ष उत्सव 2016,
12. योग (Yoga)– भारतीय जीवन आधारित परंपरा 2016,
13. कुम्भ मेला (Kumbh Mela)- विशाल तीर्थ और धार्मिक सामाजिक आयोजन 2016,
14. कोलकाता की दुर्गा पूजा (Durga Puja In Kolkata)- सांस्कृतिक आस्था का पर्व 2021,
15. गुजरात का गरबा (Garba Of Gujrat)– पारंपरिक नृत्य उत्सव 2023,
इन सभी के साथ अब दीपावली जुड़ गई है, जिससे भारत की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहरों की संख्या 16 हो गई है।

इस मान्यता का महत्व क्या है

1. वैश्विक पहचान– दीपावली अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर मानवता की साझा विरासत के रूप में पहचानी जाएगी।
2. सांस्कृतिक संरक्षण– यह मान्यता भविष्य की पीढ़ियों को अपनी परंपराओं से जोड़ने में मदद करेगी।
3. सामाजिक एकता का संदेश– दीपावली का संदेश, अंधकार से प्रकाश की ओर, आज की वैश्विक दुनिया के लिए और भी प्रासंगिक हो गया है।
4. सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा– इससे भारत की सांस्कृतिक छवि मजबूत होगी और विश्व स्तर पर उत्सवों के प्रति रुचि बढ़ेगी।

प्रधानमंत्री मोदी का संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर कहा कि, “दीपावली हमारी सभ्यता की आत्मा है। यह मान्यता पूरी दुनिया को भारत के मूल मूल्यों, शांति, सद्भाव और मानवता से जोड़ने का माध्यम बनेगी।” दीपावली का UNESCO की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल होना केवल एक सम्मान नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक सोच की वैश्विक स्वीकृति है। यह बताता है कि भारतीय परंपराएं समय के साथ चलती हैं, फिर भी अपने मूल्यों को नहीं छोड़तीं। आज जब पूरी दुनिया संघर्ष, तनाव और विभाजन से जूझ रही है, तब दीपावली का संदेश- प्रकाश, आशा और एकता, मानवता के लिए पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।
Long or Short, get news the way you like. No ads. No redirections. Download Newspin and Stay Alert, The CSR Journal Mobile app, for fast, crisp, clean updates!

Latest News

Popular Videos