भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) आधार कार्ड के स्वरूप में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है। नई योजना के तहत आधार कार्ड पर अब केवल धारक की फोटो और QR Code छपा होगा। नाम, पता, आधार नंबर और अन्य निजी विवरण कार्ड पर प्रिंट नहीं किए जाएंगे। यह कदम आधार संबंधी जानकारी के दुरुपयोग और अनधिकृत ऑफ़लाइन वेरिफिकेशन को रोकने के उद्देश्य से प्रस्तावित किया गया है।
आधार कार्ड के डिजाइन में बड़ा बदलाव संभव, सिर्फ फोटो और QR Code होगा अंकित
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) एक महत्वपूर्ण बदलाव पर विचार कर रहा है। भविष्य में आधार-कार्ड पर सिर्फ धारक की तस्वीर और QR Code ही प्रिंट किया जाए, न कि नाम, पता, आधार नंबर जैसी व्यक्तिगत जानकारियां। यह प्रस्ताव डेटा दुरुपयोग और अवैध ऑफलाइन सत्यापन को रोकने के मकसद से लाया गया है। UIDAI के सीईओ भुवनेश कुमार ने एक ऑनलाइन कॉन्फ़्रेंस में कहा है कि अगर आधार-कार्ड पर सभी डिटेल छापी रहेंगी, तो कुछ लोग उन जानकारियों का गलत उपयोग करते रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि “अगर हम और डिटेल छापेंगे, तो लोग वही मानेंगे और जो लोग इसका दुरुपयोग करना जानते हैं, वे करते रहेंगे।”
सारी जानकारी QR Code में एन्कोड होगी
UIDAI के शीर्ष अधिकारियों के अनुसार, कई निजी संस्थान जैसे होटल, कार्यक्रम आयोजक और किराये पर घर देने वाले नियमों के बावजूद आधार कार्ड की फोटोकॉपी मांगते हैं, जिससे नागरिकों की निजी जानकारी लीक होने का खतरा बढ़ जाता है। नए डिज़ाइन में, आवश्यक सभी जानकारी (जैसे नाम, पता, जन्मतिथि) QR Code में एन्कोड की जाएगी, जिसे स्कैन करके अधिकृत तरीके से एक्सेस किया जा सकेगा। ऐसे डिज़ाइन के पीछे यह तर्क है कि कार्ड को सिर्फ देख लेने भर से पहचान पूरी तरह स्पष्ट नहीं होगी, जिससे गलत इस्तेमाल की गुंजाइश कम होगी नए कार्ड डिज़ाइन में डेटा केवल QR कोड में रहेगा, जिसे जरूरत होने पर सुरक्षित डिजिटल तरीके से स्कैन कर सत्यापित किया जा सकेगा।
UIDAI की योजना का क्या उद्देश्य है ?
डेटा गोपनीयता बढ़ाना– कार्ड पर कम जानकारी छाप कर निजी डेटा का खुला दुरुपयोग रोकना।
फर्जी या नकली आधार कार्ड का खतरा कम करना– QR Code में संवेदनशील जानकारी रख कर, और केवल चित्र दिखाकर, कार्ड की सत्यता बेहतर ढंग से जांची जा सकती है।
ऑफलाइन सत्यापन कम करना– होटल, इवेंट हॉल या अन्य जगहों पर लोग आधार की कॉपी ले लेते हैं, जो अब कमी हो सकती है क्योंकि ऑफलाइन सत्यापन पर रोक की तैयारी है।
हालांकि अभी तक पक्का कानून लागू नहीं हुआ है। इस प्रस्ताव को UIDAI की बैठक में 1 दिसंबर को विचार किया जाना है। अगर यह हरी झंडी मिलती है, तो आने वाले समय में आधार-कार्ड का स्वरूप काफी बदल सकता है।
आधार सुरक्षा की नई चुनौती: दुरुपयोग रोकने की जिम्मेदारी सिस्टम और नागरिक दोनों की
भारत का आधार कार्यक्रम दुनिया की सबसे बड़ी पहचान प्रणाली मानी जाती है। एक अरब से अधिक लोगों की डिजिटल पहचान, जिसमें नाम, पता, जन्मतिथि से लेकर बायोमेट्रिक विवरण तक शामिल है, इसे एक मजबूत और व्यापक डॉक्यूमेंट बनाती है। लेकिन इतनी बड़ी प्रणाली जितनी उपयोगी है, वह उतनी ही संवेदनशील भी है। हाल के वर्षों में सामने आए आधार-दुरुपयोग के मामलों ने साफ़ कर दिया है कि इसकी सुरक्षा सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि सामाजिक और प्रशासनिक चुनौती भी है।
आधार डिटेल्स के ज़रिए करोड़ों की ठगी
मुंबई में 86 वर्षीय बुजुर्ग महिला से 20 करोड़ रुपये की ठगी, उत्तर प्रदेश में नकली आधार कार्ड बनाने वाला नेटवर्क, और बायोमेट्रिक डेटा चुराकर AEPS के माध्यम से बैंक खातों को खाली करने जैसी घटनाएं इस बात की ओर इशारा करती हैं कि अपराधियों ने पहचान दस्तावेज़ों को नए और खतरनाक तरीकों से निशाना बनाना शुरू कर दिया है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि अधिकतर मामले तकनीकी खामी से नहीं, बल्कि लापरवाही, अनाधिकृत डेटा-एक्सेस और जागरूकता की कमी से जुड़े हैं।
आधार कार्ड डिज़ाइन के साथ सिस्टम को भी बदलने की ज़रूरत
इसी पृष्ठभूमि में UIDAI द्वारा केवल फोटो और QR Code वाला नया आधार कार्ड जारी करने का प्रस्ताव स्वागत योग्य कदम है। यदि कार्ड पर नाम, पता और नंबर प्रिंट न हों, तो फोटोकॉपी मांगने वाली संस्थाएं , जैसे होटल, इवेंट आयोजक, प्रॉपर्टी डीलर, संवेदनशील जानकारी तक बिना वजह पहुंच नहीं पाएंगी। QR आधारित सत्यापन एक सुरक्षित, ट्रैक करने योग्य और आधुनिक प्रणाली है, जो गलत हाथों में डेटा जाने की आशंका को कम कर सकती है।लेकिन सवाल यह भी है कि क्या केवल कार्ड के डिजाइन बदलने से समस्या खत्म हो जाएगी? जवाब है- नहीं ! मुद्दा सिर्फ कार्ड का नहीं, बल्कि उसके चारों ओर बने पूरे इकोसिस्टम का है। KYC करने वाले एजेंटों की निगरानी, AEPS में बायोमेट्रिक सुरक्षा, और अनधिकृत ऐप व वेबसाइटों द्वारा डेटा इकट्ठा करने पर सख्त रोक, इन सभी पर समान रूप से काम करने की जरूरत है। UIDAI ने कई सुधार किए हैं, लेकिन इस तेजी से बदल रही दुनिया में सुरक्षा उपायों को और मजबूत करना ही होगा।
जिम्मेदारी नागरिकों की भी है
आधार की फोटोकॉपी बिना सोचे-समझे देना, फोन कॉल पर OTP या आधार नंबर साझा करना, बायोमेट्रिक लॉक का उपयोग न करना, ये सभी बातें लोगों को खुद जोखिम में डाल देती हैं। डिजिटल दुनिया में सुरक्षा सरकार और नागरिक दोनों की साझी जिम्मेदारी है। भारत आज डिजिटल परिवर्तन के सबसे तेज दौर से गुजर रहा है। ऐसे समय में आधार सिर्फ एक पहचान पत्र नहीं, बल्कि नागरिक और राज्य के बीच भरोसे का पुल है। इस भरोसे को बचाए रखना देश के लिए आवश्यक है। दुरुपयोग रोकने के लिए UIDAI के कदम जरूरी हैं, पर उतने ही जरूरी हैं, जागरूक नागरिक, जिम्मेदार संस्थाएं और समय-समय पर अपडेट होती सुरक्षा नीतियां! आधार प्रणाली की सुरक्षा हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है और इसके लिए जागरूकता और तकनीक, दोनों को साथ-साथ चलना होगा।
ऑफ़लाइन वेरिफिकेशन और डेटा दुरुपयोग पर रोक लगाने के लिए प्रस्ताव
नए स्वरूप का एक बड़ा लाभ यह माना जा रहा है कि इससे आधार नंबर के अनधिकृत उपयोग, पहचान की चोरी और धोखाधड़ी की संभावनाएं कम होंगी। अधिकारी बताते हैं कि “कार्ड को केवल देखकर किसी भी संवेदनशील जानकारी तक पहुंच नहीं होगी, जिससे दुरुपयोग का जोखिम घट जाएगा।”UIDAI एक नए मोबाइल ऐप पर भी काम कर रहा है, जो डिजिटल सत्यापन को सरल और सुरक्षित बनाएगा। यह ऐप वर्तमान mAadhaar ऐप का उन्नत संस्करण हो सकता है और QR आधारित पहचान साझा करने की सुविधा देगा।
इस प्रस्ताव पर UIDAI की आगामी बैठक में औपचारिक विचार किया जाएगा। स्वीकृति मिलने के बाद देश में जारी होने वाले नए आधार कार्ड का डिज़ाइन पूरी तरह बदल सकता है। यह कदम डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करने और नागरिकों की गोपनीयता की रक्षा का महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।
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