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December 8, 2025

iPhone यूज़र्स के लिए Apple की चेतावनी: गूगल क्रोम का न करें प्रयोग- सफारी सुरक्षित ऑप्शन 

The CSR Journal Magazine

 

Apple का सुझाव- Safari पर स्विच करें! Apple  ने अपने यूज़र्स को सुझाव दिया है कि iPhone यूज़र्स Chrome छोड़कर Safari ब्राउज़र का उपयोग करें, क्योंकि Safari को iOS के साथ बेहतर रूप से एकीकृत किया गया है और यह गोपनीयता सुरक्षा के लिहाज़ से ज़्यादा भरोसेमंद है। अगर आप ब्राउज़िंग करते समय प्राइवेसी महत्वपूर्ण मानते हैं या ऑनलाइन-ट्रैकिंग से बचना चाहते हैं, तो Safari बेहतर विकल्प माना जा रहा है।

Apple क्यों विरोध कर रहा Chrome का? प्राइवेसी और डेटा सुरक्षा पर बड़ा सवाल

Apple ने हाल ही में iPhone उपयोगकर्ताओं को सलाह दी है कि वे अपने डिवाइस पर Google Chrome का उपयोग करना बंद करें और इसके बजाय Safari या अन्य प्राइवेसी-फोकस्ड ब्राउज़र अपनाएं। यह बयान अचानक आया इशारा नहीं, बल्कि डिजिटल डेटा सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताओं का हिस्सा है। Apple का दावा है कि Google Chrome उपयोगकर्ताओं की ऑनलाइन गतिविधियों, सर्च पैटर्न और ब्राउज़िंग हिस्ट्री को विभिन्न ट्रैकिंग टूल्स और विज्ञापन नेटवर्क्स के जरिए इकट्ठा करता है। Chrome में थर्ड-पार्टी कुकीज़ और ट्रैकिंग स्क्रिप्ट्स जैसी तकनीकें मौजूद होती हैं। ये तकनीकें यह जान सकती हैं कि आप कब क्या पढ़ रहे हैं, क्या खरीदने की सोच रहे हैं, कौन-सी वेबसाइट पर कितना समय बिताया, और यहां तक कि किस ऐप से किस ऐप में स्विच कर रहे हैं। ऐपल  का कहना है कि यह व्यवहार यूज़र-फ्रेंडली नहीं, बल्कि “डेटा-ड्रिवन विज्ञापन टेक्नोलॉजी” का हिस्सा है।

संभावित नुकसान: कौन-कौन से खतरे?

1. डिजिटल प्रोफाइलिंग का खतरा
आप इंटरनेट पर क्या खोजते हैं, किन विषयों के वीडियो देखते हैं- Chrome इन्हें विज्ञापन के आधार के रूप में इस्तेमाल करता है। इससे कंपनियां आपके व्यवहार और पसंद की एक डिजिटल प्रोफाइल बना सकती हैं।
2. ब्राउज़िंग हिस्ट्री का गलत इस्तेमाल
अगर किसी ऐप या वेबसाइट में सुरक्षा कमजोरी है, तो संग्रहीत डेटा साइबर अपराधियों तक पहुंच सकता है।
3. विज्ञापन-ट्रैकिंग पर नियंत्रण कम
Safari कई ट्रैकर्स को स्वतः ब्लॉक कर देता है, जबकि Chrome में यह फीचर सीमित या वैकल्पिक रूप में मौजूद है।
4. बच्चों और किशोरों की डिजिटल सुरक्षा खतरे में
Chrome का डेटा ट्रैकर विज्ञापन सुझावों को प्रभावित करता है, जिससे नाबालिगों तक संवेदनशील या भ्रामक विज्ञापन पहुंच सकते हैं।

Safari क्यों सुरक्षित विकल्प माना जा रहा है?

Apple Safari को iPhone के सिस्टम में इस तरह से जोड़ता है कि- ट्रैकर्स स्वतः ब्लॉक हो जाते हैं,
यूज़र डेटा डिवाइस में ही सुरक्षित रहता है,
विज्ञापन-आधारित ट्रैकिंग सीमित रहती है,
पासवर्ड और ऑटो-फिल सिस्टम एन्क्रिप्टेड होता है।
Apple का दावा है कि Safari “Privacy by Default” पर काम करता है जबकि Chrome “Advertising by Design” पर।

Safari vs Chrome- iPhone उपयोगकर्ताओं के लिए

बिंदु
Safari (Apple)
Chrome (Google)
प्राइवेसी
उच्च — ट्रैकर्स ऑटो ब्लॉक
कम — विज्ञापन-आधारित ट्रैकिंग
डेटा शेयरिंग
न्यूनतम, लोकल स्टोरेज आधारित
गूगल सर्वर और विज्ञापन नेटवर्क्स से जुड़ा
परफॉर्मेंस
iPhone हार्डवेयर के अनुसार ऑप्टिमाइज़
WebKit इन-बिल्ट होने के बावजूद अतिरिक्त प्रोसेसिंग
बैटरी उपयोग
कम बैटरी खपत
अधिक बैटरी खपत
सिंकिंग सिस्टम
iCloud सिंक (Apple ID आधारित)
Google ID आधारित सिंक
बच्चों के लिए सुरक्षा
मजबूत parental control
सीमित और विज्ञापन आधारित सुझाव
पासवर्ड सुरक्षा
ऑन-डिवाइस एन्क्रिप्टेड
क्लाउड-आधारित, सर्वर एक्सेस संभव
ऐड ब्लॉकिंग
सिस्टम लेवल प्रोटेक्शन
आंशिक/ऐड-फोकस्ड

तकनीकी वजह: फर्क कहां है?

भले ही iPhone पर चलने वाले सभी ब्राउज़र Apple के WebKit इंजन का उपयोग करते हैं, लेकिन Chrome अतिरिक्त Google-सर्वर आधारित डेटा संग्रह प्रणालियों से जुड़ा होता है जबकि Safari सिर्फ सिस्टम-इंफ्रास्ट्रक्चर और लोकल डेटा मॉडल इस्तेमाल करता है। यही कारण है कि Apple के अनुसार Chrome का आर्किटेक्चर iOS सुरक्षा दर्शन के विपरीत है।

क्या यूज़र्स को तुरंत बदलाव करना चाहिए?

Apple की सलाह का मतलब Chrome को हटाने का आदेश नहीं है, बल्कि यह एक चेतावनी है कि-
अगर आप privacy-sensitive हैं,
यदि आपका फोन ऑफिस, बैंकिंग या व्यवसायिक उपयोग में आता है,
या यदि आप अपने बच्चों को फोन उपयोग करने देते हैं,
तो Safari या किसी अन्य सुरक्षित ब्राउज़र पर स्विच करना बेहतर है। Apple और Google के बीच यह केवल ब्राउज़र की बहस नहीं, बल्कि डेटा स्वामित्व और डिजिटल स्वतंत्रता की लड़ाई है। जहां Google व्यक्तिगत डेटा के आधार पर विज्ञापन मॉडल बनाता है, वहीं Apple उपयोगकर्ताओं को गोपनीयता-केंद्रित और सुरक्षित डिजिटल वातावरण देने की रणनीति पर चल रहा है। iPhone पर प्रदर्शन, सुरक्षा और प्राइवेसी के मामले में Safari आगे है, जबकि Chrome फीचर-फोकस्ड पर विज्ञापन-आधारित है।

आपका डेटा या आपकी सुविधा- Chrome और Safari की अदृश्य लड़ाई

तकनीक की दुनिया में कभी कभी असली सवाल यह नहीं होता कि कोई चीज़ कितनी तेज़ है, बल्कि यह होता है कि वह आपको किस कीमत पर तेज़ सुविधा दे रही है। आज iPhone उपयोगकर्ताओं के सामने यही सवाल है- क्या उन्हें Google Chrome का इस्तेमाल जारी रखना चाहिए या Safari पर शिफ्ट होना चाहिए? Apple ने हाल ही में जिस तरीके से Chrome पर सवाल उठाए हैं, वह सिर्फ दो कंपनियों के बीच का विवाद नहीं है। यह बहस उस डिजिटल भविष्य की दिशा तय करती है जिसमें हमारी ऑनलाइन पहचान और निजी डेटा सुरक्षित रहेंगे या बाज़ारों में बिकने वाली चीज़ बनेंगे।

Privacy बनाम बाज़ार

Google Chrome आज दुनिया का सबसे लोकप्रिय ब्राउज़र है, लेकिन इसकी लोकप्रियता सही मायनों में उपयोगकर्ताओं की स्वतंत्रता या सुरक्षा की वजह से नहीं, बल्कि उसकी सर्विस इकोसिस्टम और विज्ञापन-आधारित मॉडल की वजह से है। Chrome की पूरी संरचना इस सिद्धांत पर बनी है कि जितना अधिक डेटा एकत्र होगा, उतने सटीक विज्ञापन और उतना अधिक लाभ मिलेगा।इसके उलट Apple की रणनीति बिल्कुल दूसरी है। Apple मानता है कि डिवाइस उपयोग करने का अधिकार उपयोगकर्ता का है और उनकी जानकारी किसी तीसरी पार्टी की सामग्री नहीं होनी चाहिए। यही वजह है कि Safari “Privacy First” नीति पर चलता है। Apple ट्रैकर्स को डिफॉल्ट रूप से ब्लॉक करता है, यूज़र डेटा डिवाइस में ही रखता है और बिना अनुमति कोई डिजिटल पहचान बाहर नहीं जाने देता।

Digital युग में कुछ भी प्राइवेट नहीं!

लेकिन सवाल यह भी है- क्या उपयोगकर्ता पूरी ईमानदारी से प्राइवेसी को महत्व देते हैं? या फिर वे सुविधा, सिंक्रोनाइज़ेशन और ऐप इकोसिस्टम के सामने सुरक्षा को पीछे छोड़ देते हैं? हमारा डिजिटल जीवन अब पर्सनल नहीं रहा। हमारी ब्राउज़िंग हिस्ट्री, हमारी पसंद, हमारी कमजोरी, और यहां तक कि हमारी भावनाएं भी एक एल्गोरिदम की फाइल बन चुकी हैं। ऐसे में यह बहस सिर्फ Chrome और Safari का “टेक्निकल तुलना” नहीं, बल्कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता और डिजिटल लोकतंत्र का सवाल है। अंततः यह निर्णय उपयोगकर्ता का है- क्या वे अपने फोन को केवल उपकरण मानते हैं या अपनी डिजिटल पहचान का संरक्षक?
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