थाईलैंड इन दिनों एक अजीब, लेकिन गहरी भावनात्मक स्थिति से गुजर रहा है। राजधानी बैंकाक से लेकर छोटे कस्बों तक हर जगह एक ही नज़ारा है, लोग दुकानों के बाहर कतार में खड़े हैं, लेकिन दुकानदारों के पास कहने को सिर्फ एक ही बात है, “माफ कीजिए, काले कपड़े ख़त्म हो गए हैं!”
काले रंग में रंगी थाईलैंड की फ़िज़ा
थाईलैंड इन दिनों एक असामान्य दृश्य का साक्षी है। सड़कें शांत हैं, बाजारों में रौनक कम है, और हर तरफ एक ही रंग दिखाई देता है, काला! लेकिन यह रंग केवल शोक का प्रतीक नहीं है। यह राष्ट्रीय एकता, परंपरा और श्रद्धा की गहरी अभिव्यक्ति भी है। इस असामान्य स्थिति की जड़ में है देश की अत्यंत सम्मानित शख्सियत ‘Queen Mother Sirikit’ का 24 अक्टूबर 2025 को हुआ निधन! 93 वर्ष की आयु में उनका जाना थाईलैंड की राजशाही, संस्कृति और आम नागरिकों के लिए एक भावनात्मक झटका साबित हुआ।
थाईलैंड में राष्ट्रीय शोक- कपड़ों पर छाया Black Crisis
थाईलैंड में जब भी राजपरिवार का कोई सदस्य गुजरता है, तो पूरे देश में शोक का ऐलान किया जाता है। इस बार सरकार ने सभी सरकारी कर्मचारियों को एक वर्ष तक शोक वेश (Mourning Attire) धारण करने का निर्देश दिया है। आम जनता को भी 90 दिनों तक काले या सफेद रंग के कपड़े पहनने की अपील की गई है। यही कारण है कि थाईलैंड के हर गली-कूचे, मॉल और बाजार में काले कपड़ों की मांग विस्फोटक रूप से बढ़ गई है। राजधानी बैंकाक के प्रसिद्ध प्रतुन्म मार्केट और बोबे मार्केट में पिछले कुछ दिनों से ऐसा नज़ारा है, जैसा कभी त्यौहारों पर भी नहीं देखा गया। ग्राहक दुकानों पर उमड़ रहे हैं, लेकिन ब्लैक शर्ट-ब्लाउज़, टी-शर्ट और ब्लैक ड्रेसेज़ के रैक पूरी तरह खाली हैं। एक दुकानदार नत्तनुन कोंगदी ने बताया, “सामान्य दिनों में मैं 200-300 ब्लाउज़ बेचती हूं, लेकिन अब रोज़ाना 10,000 तक बिक रहे हैं। स्टॉक खत्म होते ही लोग मिन्नतें करने लगते हैं कि कहीं से भी ब्लैक कपड़े का इंतज़ाम करा दो।”
कीमतें बढ़ीं, सरकार हुई सख्त
काले कपड़ों की मांग इतनी बढ़ी कि इनकी कीमतें लगभग ढाई गुना तक बढ़ गईं। जहां पहले एक सादा काला टी-शर्ट 200 बाथ में मिल जाता था, अब वही 500 बाथ तक में बिक रहा है। इस पर सरकार ने तुरंत संज्ञान लिया है। Department of Internal Trade (DIT) ने दुकानदारों को चेतावनी दी है कि वे शोक की स्थिति में मुनाफाखोरी न करें। यदि कोई व्यापारी अत्यधिक कीमत वसूलता पाया गया, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
फैक्ट्रियों में बढ़ा दबाव, पर्यटकों को भी काले कपड़े पहनने का आदेश
थाईलैंड के वस्त्र उद्योग पर भी अचानक दबाव बढ़ गया है। कई परिधान फैक्ट्रियां अब दिन-रात काले कपड़े बना रही हैं, लेकिन धागे और रंग की कमी के चलते आपूर्ति पूरी नहीं हो पा रही। सरकार ने कपड़ा निर्माताओं को कहा है कि वे अस्थायी उत्पादन-लक्ष्य बढ़ाएं और आपातकालीन रूप से बाजार में आपूर्ति बहाल करें।थाईलैंड सरकार ने विदेशी पर्यटकों से भी अपील की है कि वे इस शोक अवधि में शालीन और सादे कपड़ेपहनें तथा मनोरंजन या तेज संगीत वाले कार्यक्रमों से बचें। कई ट्रैवल एजेंसियों ने अपने ग्राहकों को पहले ही चेताया है कि देश में शोक अवधि के दौरान कुछ उत्सव या रात्रिकालीन गतिविधियां सीमित रहेंगी।
Queen Mother Sirikit – थाईलैंड की मातृशक्ति
Queen Mother Sirikit न केवल राजा भूमिबोल अदुल्यादेज़ की धर्मपत्नी थीं, बल्कि वे देश की संस्कृति, कला और पारंपरिक परिधान की प्रतीक भी मानी जाती थीं। उनकी पोशाक-शैली और सामाजिक कार्यों ने थाईलैंड की महिलाओं को दशकों तक प्रेरित किया। उनके निधन के बाद पूरा देश उन्हें “राष्ट्रमाता” के रूप में याद कर रहा है।थाईलैंड का राजपरिवार सदियों से केवल शासन की नहीं, बल्कि जनमानस की आत्मा का केंद्र रहा है।
क्वीन मदर सिरीकिट, जिनका 24 अक्टूबर 2025 को निधन हुआ, केवल एक रानी नहीं थीं, वे थाई संस्कृति, महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास की जीवंत प्रतीक थीं। उनके निधन के बाद पूरा देश जैसे अपने परिवार के किसी सदस्य को खोने का दर्द महसूस कर रहा है। थाई परंपरा में राजा और रानी को ‘धर्मराजा’ (धार्मिक राजा) की संकल्पना से देखा जाता है, जो जनता की रक्षा और कल्याण के प्रतीक होते हैं। इसलिए जब राजपरिवार में किसी का निधन होता है, तो यह केवल एक “राजनैतिक शोक” नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक आत्मदुःख बन जाता है।
काले कपड़े- सम्मान का एक मौन संदेश
थाई समाज में “काला” रंग केवल मृत्यु का प्रतीक नहीं, बल्कि सम्मान और निष्ठा का संकेत भी है। लोग स्वयंसेवक भाव से इस रंग को पहनते हैं, किसी सरकारी आदेश से नहीं, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव से। गांवों से लेकर शहरों तक, हर कोई यह मानता है कि काले वस्त्र पहनना उनके “राजकुल के प्रति सम्मान” की अभिव्यक्ति है। यह परंपरा इतनी गहरी है कि लोग अक्सर अपने पुराने सफेद कपड़ों को रंगवाकर काले बनवा लेते हैं, ताकि वे इस शोक में भागीदार हो सकें।
राजसत्ता और जनता के बीच भावनात्मक जुड़ाव
2016 में जब राजा भूमिबोल अदुल्यादेज़ का निधन हुआ था, तब भी ऐसी ही स्थिति बनी थी। सरकार ने एक साल का राष्ट्रीय शोक घोषित किया था, और पूरे देश ने स्वेच्छा से उस अवधि में रंगीन कपड़े पहनना छोड़ दिया था। उस समय भी काले कपड़ों की इतनी भारी मांग हुई कि फैक्ट्रियों को 24 घंटे उत्पादन करना पड़ा। यह परंपरा केवल एक रस्म नहीं, बल्कि राजसत्ता और जनता के बीच भावनात्मक रिश्ते की गवाही है, ऐसा रिश्ता जो शायद आधुनिक लोकतंत्रों में अब बहुत कम दिखता है।
आधुनिकता और परंपरा का संगम- थाईलैंड
थाईलैंड तेजी से विकसित हो रहा देश है, Digital Economy, Tourism और वैश्विक फैशन से जुड़ा हुआ ! फिर भी, जब बात संस्कृति और राजपरिवार की आती है, तो पूरा देश अपने आधुनिक चोले को एक तरफ रख देता है और परंपरा में लौट आता है। यह एक संघर्ष नहीं, बल्कि संतुलन का उदाहरण है, जहां आधुनिकता और श्रद्धा साथ-साथ चलती हैं।काले कपड़ों की यह लहर आर्थिक दृष्टि से भले ही एक चुनौती बन गई हो, लेकिन सामाजिक दृष्टि से यह राष्ट्रीय एकता की मिसाल है। हर वर्ग, हर समुदाय, हर धर्म के लोग एक ही भाव से एक रंग में लिपटे हैं। यह वही भावना है जो किसी भी देश को संवेदनशील और संगठित समाज बनाती है।
दुख में एकजुटता का प्रतीक- काला रंग
थाईलैंड इस समय सिर्फ एक रंग में डूबा हुआ है, काले रंग में, जो दुख और एकजुटता दोनों का प्रतीक है। थाईलैंड में यह सामूहिक चेतना का समय है। यह दिखाता है कि किसी राष्ट्र की ताकत केवल उसके कानून या अर्थव्यवस्था में नहीं, बल्कि उसकी संस्कृति और भावनात्मक एकता में छिपी होती है। काले कपड़ों की कमी भले कुछ दिनों में पूरी हो जाएगी, पर Queen Mother Sirikit के प्रति यह जनश्रद्धा आने वाली पीढ़ियों तक बनी रहेगी एक ऐसी विरासत के रूप में, जो बताती है कि सिर्फ खुशी ही नहीं, कभी-कभी शोक भी समाज को जोड़ता है।
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