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December 25, 2025

125 साल पुराने पुल को विदाई, 481 करोड़ का मेगा प्रोजेक्ट बदलेगा टाटानगर–हावड़ा रेल सफर की तस्वीर

The CSR Journal Magazine
टाटानगर से हावड़ा के बीच रेल यात्रा करने वाले हजारों यात्रियों के लिए बड़ी और राहत भरी खबर सामने आई है। दक्षिण पूर्व रेलवे ने इस व्यस्ततम रूट की सबसे पुरानी और बड़ी बाधा को हटाने की दिशा में ठोस कदम उठाया है। रूपनारायण नदी पर बने 125 साल पुराने कोलाघाट रेल पुल को रिटायर कर उसकी जगह एक नया और अत्याधुनिक पुल बनाया जाएगा। इस परियोजना पर करीब 481 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जिससे टाटानगर–हावड़ा रेल मार्ग पर सफर पहले से कहीं ज्यादा आसान और तेज हो जाएगा।

1900 में बना पुल अब बना परेशानी की जड़

हावड़ा–खड़गपुर सेक्शन में देउल्टी और कोलाघाट स्टेशनों के बीच स्थित कोलाघाट पुल संख्या 57 को वर्ष 1900 में कमीशन किया गया था। यह पुल लंबे समय तक रेलवे की लाइफलाइन रहा, लेकिन समय के साथ इसकी संरचना कमजोर होती चली गई। उम्र पूरी कर चुके इस स्टील गार्डर पुल की जर्जर हालत के कारण रेलवे को कई कड़े फैसले लेने पड़े, जिससे यात्रियों को रोजाना परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

ट्रेनों की रफ्तार पर लगी ब्रेक

सुरक्षा कारणों से रेलवे ने डाउन मेन लाइन पर मालगाड़ियों और अधिकांश मेल व एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया है। वर्तमान में लगभग सारा ट्रैफिक मिडिल लाइन से चलाया जा रहा है, जिससे इस सेक्शन में भारी बॉटलनेक बन गया है। जो गिनी-चुनी यात्री ट्रेनें पुराने पुल से गुजरती भी हैं, उनकी रफ्तार अधिकतम 30 किलोमीटर प्रति घंटा तक सीमित कर दी गई है। इसका सीधा असर ट्रेनों की समयबद्धता पर पड़ रहा है और यात्रियों को लगातार देरी झेलनी पड़ रही है।

481 करोड़ की लागत से बनेगा आधुनिक पुल

इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए दक्षिण पूर्व रेलवे ने 481.11 करोड़ रुपये की लागत से नए पुल के निर्माण की योजना को मंजूरी दी है। यह नया पुल आधुनिक तकनीक पर आधारित होगा और इसे अगले 100 वर्षों की जरूरतों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। पुल के निर्माण में कंपोजिट स्ट्रक्चर और ओपन वेब गर्डर जैसी उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे इसकी मजबूती और क्षमता दोनों बढ़ेंगी।

कोलाघाट स्टेशन का भी होगा कायाकल्प

इस मेगा प्रोजेक्ट के तहत केवल पुल ही नहीं, बल्कि कोलाघाट स्टेशन का भी व्यापक विकास किया जाएगा। डायवर्टेड एलाइनमेंट पर ऊंचे और आधुनिक प्लेटफॉर्म बनाए जाएंगे, ताकि यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें। स्टेशन के पुनर्विकास से न सिर्फ यात्रियों की सुविधा बढ़ेगी, बल्कि इस क्षेत्र में रेल संचालन भी अधिक व्यवस्थित हो सकेगा।

तीन लाइनों का ट्रैफिक फिर होगा सुचारू

दक्षिण पूर्व रेलवे के अधिकारियों के अनुसार, वर्तमान में तीन लाइनों का ट्रैफिक मजबूरी में दो लाइनों पर चल रहा है, जिससे सेक्शन की क्षमता प्रभावित हो रही है। नया पुल बनने के बाद तीनों लाइनों पर ट्रैफिक सुचारू रूप से संचालित किया जा सकेगा। इससे हावड़ा–खड़गपुर सेक्शन की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और ट्रेनों की लेटलतीफी पर काफी हद तक अंकुश लगेगा।

2027 के अंत तक पूरा होने का लक्ष्य

रेलवे ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना को वर्ष 2027 के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इसके पूरा होते ही टाटानगर और हावड़ा के बीच ट्रेनों की औसत रफ्तार बढ़ेगी, यात्रा समय कम होगा और यात्रियों को सुरक्षित व भरोसेमंद सफर मिलेगा। यह परियोजना न केवल यात्रियों के लिए राहत लेकर आएगी, बल्कि पूर्वी भारत के रेल नेटवर्क को भी नई मजबूती प्रदान करेगी।

टाटानगर के यात्रियों को मिलेगा बड़ा फायदा

टाटानगर–हावड़ा रूट झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा को जोड़ने वाला अहम रेल कॉरिडोर है। नए पुल के निर्माण से इस रूट पर निर्भर लाखों यात्रियों और व्यापारिक गतिविधियों को सीधा लाभ मिलेगा। कुल मिलाकर, यह परियोजना क्षेत्र की कनेक्टिविटी को नई गति देने वाली साबित होगी।
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