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September 20, 2025

नहीं बिकेगा टाटा का ‘ताज’ Pierre! IHCL ने किया अफवाहों का खंडन 

The CSR Journal Magazine
New York स्थित Taj Pierre Hotel के बिकने की अटकलों पर अब विराम लग गया है। टाटा ग्रुप की कंपनी Indian Hotels Company LTD ने कहा है कि होटल उनके पास केवल लीज पर उपलब्ध है और इसका मालिकाना हक कंपनी के पास नहीं है। IHCL ने कहा कि Pierre Hotel का ऑपरेशन पहले की तरह ही जारी रहेगा।

टाटा के New York स्थित Pierre होटल के बिकने की उड़ी अफ़वाह

मुंबई में स्थित ताज होटल सिर्फ देश की आन-बान-शान ही नहीं है, बल्कि ये टाटा परिवार की वो विरासत है, जिसने अपने अंदर एक लंबा इतिहास समेटा हुआ है। इस होटल को टाटा ग्रुप की होटल चेन Indian Hotels Company LTD यानी IHCL मैनेज करती है। IHCL सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि अमेरिका, मिडिल ईस्ट और यूके समेत दुनिया के कई देशों में होटल्स का संचालन करती है। पहले खबरें आई थीं कि अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित IHCL का होटल बिकने वाला है, लेकिन अब इन अटकलों पर विराम लग गया है। कंपनी ने इस दावे को खारिज कर दिया है और इसे महज अटकलबाजी बताया है।

टाटा का लक्ज़री होटल Pierre

ऐसी अफ़वाहें उड़ीं कि टाटा अपने ताज होटल्स चेन के सबसे शानदार होटल में से एक न्यूयॉर्क के लग्जरी The Pierre Hotel को बेच सकती है। देश के बड़े उद्योगपति घराने टाटा समूह ने बड़ा फैसला लिया है। यह ताज होटल्स चेन के सबसे शानदार होटल में से एक माना जाता है। होटल में 189 कमरे, रेस्टोरेंट और लग्जरी अपार्टमेंट मौजूद हैं। टाटा ग्रुप की होटल कंपनी इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड ने अपनी सहायक कंपनी यूनाइटेड ओवरसीज होल्डिंग में 2324 करोड़ रुपये का निवेश किया था, पर कंपनी को 82 करोड़ का घाटा हुआ। यूनाइटेड ओवरसीज होल्डिंग द पियरे होटल को संभालती है।

ब्रुनेई के सुल्तान और सऊदी व्यापारी का नाम खरीदार के रूप में सामने आया

खबरों के मुताबिक खरीदार के तौर पर ब्रुनेई के सुल्तान हसनल बोल्किया (Hassanal Bolkiah) और सऊदी व्यापारी एस्सम खशोगी का नाम भी सामने आया। ख़बरों के हिसाब से अगर यह सौदा होता, तो ताज करीब 20 साल बाद इस प्रतिष्ठित होटल का प्रबंधन छोड़ देता। इसके बाद अमेरिका में ताज के पास सिर्फ एक होटल-ताज कैम्पटन प्लेस (सैन फ्रांसिस्को) बचता। बातें यहां तक भी हुईं कि द पियरे होटल का बोर्ड बिक्री के लिए अंतिम दौर की बातचीत में है। अगर डील पक्की हो जाती है, तो होटल का मैनेजमेंट लग्जरी चेन डोर्चेस्टर कलेक्शन को मिल सकता है, जो सुल्तान हसनल बोल्किया के स्वामित्व में है। वहीं, एस्सम खशोगी इस डील को फंड करने वाले हैं।

कंपनी ने खारिज किया दावा

दरअसल न्यूयॉर्क की मीडिया ने दावा किया था कि अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में सेंट्रल पार्क के सामने स्थित ताज का पियरे होटल लगभग 2 बिलियन डॉलर में बिक सकता है। रिपोर्ट में कहा गया था कि इसके लिए सऊदी अरब का एक प्रमुख परिवार कुछ फाइनेंस दे सकता है। लेकिन इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड ने अब इस दावे को खारिज कर दिया है। फाइनेंशियल टाइम्स के मुताबिक IHCL ने कहा है कि उनके पास न्यूयॉर्क के पियरे होटल का मालिकाना हक नहीं है। कंपनी ने कहा कि होटल का लीज अधिकार हमारे पास है और ऑपरेशन पहले की तरह ही जारी है। कंपनी ने मीडिया में आई खबरों को भ्रामक और अटकलबाजी बताया है।

मुंबई के Gateway पर शान से खड़ा ताज

मुंबई में समुद्र के किनारे बना होटल ताज अपने भीतर एक लंबा इतिहास समेटे हुए है। मुंबई की इस शान को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। इस होटल के बाहर फोटो खिंचवाने वालों की भीड़ लगी रहती है। जो भी मुंबई घूमने जाता है, वो एक न एक बार ताज का दीदार करने के लिए जरूर जाता है। जो यहां ठहर नहीं पाते, वो बाहर से इसकी खूबसूरती निहारकर लौट जाते हैं। होटल ताज (Hotel Taj) केवल टाटा समूह (Tata Group) की शान नहीं है बल्कि दुनियाभर में भारत के मान को बढ़ा रहा है। इस होटल ने देश की गुलामी से लेकर युद्ध के दर्द को झेला है। आतंक की मार को सहा है, लेकिन आज भी यह उसी बुलंदी, उसी मजबूती के साथ खड़ा है। आज ताज दुनिया का सबसे भव्य होटलों में शुमार है। इसके शुरुआत की कहानी भी दिलचस्प हैं।

ताज होटल का शानदार भारतीय इतिहास

इस कहानी की शुरुआत जमशेदजी टाटा के समय से होती है। तब बॉम्बे के काला घोड़ा इलाके में वाटसन्स नाम का होटल हुआ करता था। इस होटल में भारतीयों की एंट्री नहीं थी। एक बार जब जमशेदजी टाटा वहां पहुंचे, तो उन्हें दरवाजे पर ही रोक लिया गया। उन्हें ‘फोर व्हाइट ओनली’ कहकर होटल में घुसने से रोक दिया गया। होटल के गेट से ही उन्हें यह कहकर वापस भेज दिया गया कि यहां सिर्फ ‘गोरे’ लोग यानी अंग्रेजों को ही एंट्री मिलती है। ये बात उन्हें चुभ गई थी और उसी दिन उन्होंने संकल्प लिया था कि बॉम्बे में एक वर्ल्ड क्लास होटल बनाएंगे, जहां भारतीय शान से आ-जा सकेंगे। टाटा समूह (Tata Group) के संस्थापक जमशेदजी टाटा ने 1898 में होटल ताज की नींव रखी।

यूं पड़ा नाम ‘ताज’

4 सालों में होटल के निर्माण का काम पूरा हो गया। नाम रखने की बारी आई तो उन्होंने आगरा के ताजमहल (Taj Mahal) के नाम पर होटल का नाम ताज पैलेस (The Taj Palace) रखने का फैसला किया। पहली बार 16 दिसंबर, 1902 को होटल ताज को मेहमानों के लिए खोला गया। होटल का आर्किटेक्चर आर्किटेक्ट सीताराम खांडेराव वैद्य और डीएन मिर्जा ने किया। बाद में सीताराम की मृत्यु के बाद अंग्रेज आर्किटेक्ट डब्ल्यू ए चैंबर्स ने बाकी बचे काम को पूरा किया। ताज होटल के लिए दुनिया के अलग-अलग कोने से सामान मंगवाया गया। पेरिस से बॉलरूम के लिए खंभे, जर्मनी से लिफ्ट और अमेरिका से पंखे इत्यादि। जब ताज पूरी तरह बनकर तैयार हुआ, तो उस समय इसकी कुल लागत 26 लाख रुपये आई थी।

टाटा ने हायर किए अंग्रेज़ बटलर

होटल ताज देश का पहला होटल था जिसे बार (हार्बर बार) और दिन भर चलने वाले रेस्त्रां का लाइसेंस मिला था। यह पहला होटल था, जहां बिजली थी। इतना ही नहीं, ताज देश का पहला होटल था, जहां इंटरनेशनल स्तर का डिस्कोथेक था। जहां जर्मन एलीवेटर्स लगाए गए थे। यह पहला होटल था, जहां अंग्रेज बटलर्स हायर किए गए थे। पहले होटल का किचन फ्रेंच शेफ संभालते थे। टाटा ने अंग्रेजों को हायर किया। धीरे-धीरे ये होटल सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया के लिए एक आइकॉन बन गया। आज दुनियाभर में ताज होटल की 100 से ज्यादा चेन है और इसके ऑपरेशन की जिम्मेदारी टाटा ग्रुप की कंपनी इंडियन होटल्स प्राइवेट लिमिटेड के पास है।

मुंबई के उतार-चढ़ाव का साक्षी ‘होटल ताज’

होटल ताज ने गुलाम भारत से लेकर देश की आजादी की पहली किरण को देखा है। होटल ने 123 सालों का इतिहास अपने भीतर समेट रखा है। पहले विश्व युद्ध के दौरान होटल को 600 बेड वाले अस्पताल में बदल दिया गया। इस होटल ने भारत-पाकिस्तान के विभाजन का दर्द भी देखा है। टाटा के इस होटल की भव्यता ऐसी कि दुश्मन देश भी उससे जलते हैं। इसी जलन का नतीजा साल 2008 के मुंबई हमला था। आतंकी हमले का मेन टारगेट होटल ताज था। आंतकवादियों ने इस होटल को काफी नुकसान पहुंचाया। कई उतार-चढ़ाव देखने के बाद भी आज यह होटल सिर्फ टाटा का नहीं बल्कि देश का मान दुनियाभर में बढ़ा रहा है।
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