अगर आप कैंसर से पीड़ित है और आपका ट्रीटमेंट चल रहा है तो दोबारा कैंसर के फैलने का चांसेस होता है। Cancer Treatment के बाद भी कई मरीजों में कैंसर वापस फैल जाता है। Tata Memorial Hospital के डॉक्टरों ने एक रिसर्च कर कैंसर दोबारा ना हो इसका इलाज खोजा है। टाटा अस्पताल के खारघर स्थित एडवांस सेंटर फॉर ट्रीटमेंट, रिसर्च एंड एजुकेशन इन कैंसर (एक्ट्रेक) अस्पताल के डॉ. इंद्रनील मित्रा के नेतृत्व में ये Cancer Research किया गया है। जिसमें बताया गया है कि रिसर्च में चूहों पर शोध किया है। चूहों में मनुष्य के कैंसर सेल डाले गए। जिसके बाद उनमें ट्यूमर निर्माण हुआ। उसके बाद रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी और सर्जरी के जरिए उनका इलाज किया। इसके बाद कैंसर सेल्स नष्ट होकर उनके बहुत छोटे-छोटे टुकड़े हो गए। यह मरते हुए कैंसर सेल में से क्रोमेटिन कण (क्रोमोजोन के टुकड़े) ब्लड वेन्स के जरिए शरीर के दूसरे हिस्से में पहुंच जाते हैं। ये शरीर में मौजूद अच्छे सेल्स में मिल जाते हैं और उन्हें भी कैंसर सेल में तब्दील कर देते हैं। इस कैंसर रिसर्च से यह स्पष्ट हो गया है कि कैंसर सेल नष्ट होने बावजूद वापस आ जाते हैं।
इलाज के दौरान दोबारा कैंसर होने से रोकेगी 100 रुपये की ये टैबलेट
Recurring Cancer की समस्या का हल खोजने के लिए डॉक्टरों ने चूहों को रेसवेरेट्रॉल और कॉपर (तांबा) के संयुक्त प्रो-ऑक्सिडेंट टेबलेट दी। यह टैबलेट क्रोमोजोन को बेअसर करने में असरदार रही। टाटा मेमोरियल सेंटर (Tata Memorial Centre) के पूर्व निदेशक डॉ. राजेंद्र बडवे ने The CSR Journal से ख़ास बातचीत करते हुए बताया कि कैंसर के इलाज (Cancer Treatment in India) को बेहतर बनाने की दिशा में अधिक शोध की जरूरत है। डॉ. इंद्रनील मित्रा (Dr. Indraneel Mittra) के शोध से दुनियाभर में कैंसर ट्रीटमेंट को और भी बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। वहीं टाटा मेमोरियल सेंटर के उपनिदेशक सेंटर फॉर कैंसर एपिडेमियोलॉजी डॉ. पंकज चतुर्वेदी ने बताया कि समस्या की जड़ का पता लगाने के साथ-साथ उसका निवारण भी उतना ही जरूरी है। कॉपर- रेसवेरेट्रॉल के एक घरेलू नुस्खा है। कैंसर के इलाज को बेहतर बनाने और इलाज के दौरान होने वाले दुष्परिणामों को कम करने में भी मददगार साबित होता है। रेसवेरेट्रॉल अंगूर, बेरीज के छिलके सहित अन्य पदार्थों से मिलता है। कई खाद्य पदार्थों से भी कॉपर मिलता है।
कैंसर इलाज में अभी कॉपर- रेसवेरेट्रॉल की दवाई पर कई मंजूरी बाकी है
एडवांस सेंटर फॉर ट्रीटमेंट, रिसर्च एंड एजुकेशन इन कैंसर (एक्ट्रेक) के डॉक्टरों का दावा है कि ये न्यूट्रास्यूटिकल कैंसर के साइड इफेक्ट्स को 50 फीसदी कम कर सकती है। साथ ही दोबारा कैंसर होने के खतरे को 30 फीसदी तक रोक सकती है। हालांकि टाटा कैंसर हॉस्पिटल ने इस दवा को लेकर कोई कीमत तय नहीं कि है लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दवा की कीमत करीब 100 रुपए हो सकती है। फिल्हाल दवा को फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के अप्रूवल का इंतजार है। सामान्य तौर पर किसी दवा को अप्रूवल के लिए सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) से मान्यता चाहिए होती है। जो स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत काम करता है। किसी भी नई प्रिसक्रिप्शन दवा को देश में बेचने के लिए Drug Controller General of India (DCGI) से अप्रूवल की जरूरत पड़ती है। चूंकि जिस कैंसर की दवा की बात हम कर रहे हैं। वो न्यूट्रास्यूटिकल फूड सप्लीमेंट है इसलिए इसे भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) से मान्यता की जरूरत पड़ेगी, जो खाने-पीने की चीजों पर निगरानी रखने वाली संस्था है।
देश में हर साल करीब 14 लाख कैंसर के मामले सामने आ रहे हैं
कैंसर की ये दवाई साइड इफेक्ट को कम करता है। टाटा के बोन मैरो ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ डॉ. नवीन खत्री के अनुसार इलाज के दौरान मरीज के मुंह में छाले पड़ जाते हैं, कॉपर- रेसवेरेट्रॉल के सेवन से इस तकलीफ से काफी राहत मिलती है। मुंह के कैंसर की कोशिकाओं की आक्रामकता को कॉपर- रेसवेरेट्रॉल का टैबलेट देने के बाद कैंसर सेल की तीव्रता कम हो गई। पेट से संबंधित कैंसर मरीजों के इलाज के दौरान हाथ और पांव की स्किन छूटने के साइड इफेक्ट को भी कम करने में इससे मदद मिलती है। ब्रेन ट्यूमर के मरीजों में भी कॉपर- रेसवेरेट्रॉल के सेवन से बेहतर परिणाम मिले हैं। देश में हर साल करीब 14 लाख कैंसर के मामले सामने आ रहे हैं। जिसमें से करीब 9 लाख लोग अपनी जान गंवा देते हैं। कैंसर के साथ एक बड़ी समस्या ये है कि ये एक बार ठीक होने के बाद दोबारा भी हो सकता है। इसी सिलसिले में वैज्ञानिक सालों से रिसर्च कर रहे हैं कि आखिर एक बार इलाज के बाद कैंसर वापस कैसे लौट आता है। इसी कड़ी में टाटा मेमोरियल हास्पिटल के डॉक्टरों ने बड़ी सफलता मिलने का दावा किया है।