महाबलेश्वर (महाराष्ट्र): मुंबई की चकाचौंध भरी जिंदगी छोड़कर, अभिनेत्री मृण्मयी देशपांडे राव (Mrunmayee Deshpande Rao) और उनके पति स्वप्निल राव (Swapnil Rao) ने प्रकृति के करीब एक नया अध्याय रचा है। दोनों ने मिलकर महाबलेश्वर की पहाड़ियों में खाली पड़ी एक बंजर ज़मीन को “शून्य-अपशिष्ट (Zero Waste)” और पर्माकल्चर (Permaculture) आधारित खेत में बदल दिया है। आज उनका यह खेत न केवल पर्यावरण संरक्षण का उदाहरण है बल्कि स्थायी जीवनशैली (Sustainable Living) की दिशा में प्रेरणा भी बन गया है।
स्वप्निल और मृण्मयी की शहर से गांव की ओर यात्रा
मृण्मयी देशपांडे, जो मराठी सिनेमा और टीवी जगत की जानी-मानी अभिनेत्री हैं और स्वप्निल राव, जो इंजीनियरिंग व व्यवसाय क्षेत्र से जुड़े रहे, दोनों ने 2015 में मुलाकात के बाद महसूस किया कि वे तेज रफ्तार शहरी जीवन से थक चुके हैं। उन्होंने एक शांत, स्वावलंबी और प्रकृति-केन्द्रित जीवन अपनाने का निर्णय लिया। 2020 में उन्होंने महाबलेश्वर के पास मलेसूर गांव में एक वीरान पड़ी ज़मीन खरीदी, जो पहले पूरी तरह बंजर थी और रासायनिक खेती से अपनी उपजाऊ क्षमता खो चुकी थी।
पहले ज़मीन को सुना, फिर बोया, और बन गया Food Forest
मृण्मयी और स्वप्निल ने पहले साल खेत में कोई फसल नहीं लगाई। उनका कहना था, “हमने पहले साल सिर्फ देखा, सुना और समझा कि ज़मीन को क्या चाहिए।” धीरे-धीरे उन्होंने पर्माकल्चर सिद्धांतों को अपनाया। यानी प्रकृति के साथ तालमेल में खेती करना, न कि उसके खिलाफ। उन्होंने मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने के लिए गोबर, खाद, जैव अपशिष्ट और वर्षा जल संचयन का उपयोग किया। पांच साल की मेहनत के बाद, जहां कभी पत्थर और सूखी घास थी, वहां आज फलदार पेड़ों और फसलों की हरियाली है। खेत में अब उगते हैं स्ट्रॉबेरी, उड़द, आलू, मटर, गाजर जैसी फसलें, और फलदार पेड़ जैसे, आम, जामुन, एवोकाडो, नारियल, इलायची और दालचीनी। यह खेत अब “फूड फॉरेस्ट” में बदल चुका है, जहां पक्षी, कीट और छोटे जीव फिर से लौट आए हैं।
Zero Waste Farming और स्वच्छ जीवनशैली
राव दंपती का घर भी पूरी तरह पर्यावरण-अनुकूल है। मृण्मयी देशपांडे राव और स्वप्निल राव का ज़ीरो-वेस्ट घर (Zero-Waste Home) उनकी सोच और जीवनशैली का सबसे सुंदर उदाहरण है। यह घर न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि “प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व” का वास्तविक मॉडल भी प्रस्तुत करता है। घर का निर्माण स्थानीय लेटराइट पत्थरों से किया गया है, जो महाबलेश्वर क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध हैं। सीमेंट का बहुत कम उपयोग किया गया है, ताकि निर्माण से कार्बन उत्सर्जन कम हो। दीवारों को पॉलिश या पेंट नहीं किया गया, बल्कि मिट्टी और चूने का मिश्रण इस्तेमाल हुआ, जिससे घर ठंडा और सांस लेने योग्य बना रहता है। फर्श मिट्टी और प्राकृतिक मिश्रण से बनाया गया है, जिससे तापमान नियंत्रण स्वाभाविक रूप से होता है।
स्वनिर्मित सौर ऊर्जा से संचालित घर
मृण्मयी और स्वप्निल का घर पूरी तरह सौर ऊर्जा (Solar Power) पर चलता है। बिजली, लाइट, चार्जिंग, पंखे, सब सोलर पैनल से संचालित हैं। गैस या LPG की जगह वे बायोगैस यूनिट का उपयोग करते हैं, जो किचन के वेस्ट से ऊर्जा बनाती है।
जल संरक्षण – हर बूंद का सदुपयोग
मृण्मयी और स्वप्निल के घर में छत से वर्षा जल एकत्रित कर Rain Water Harvesting System के जरिए टैंकों में जमा किया जाता है। घर और रसोई से निकलने वाला ग्रे वॉटर (सिंक और बाथरूम का पानी) पौधों की सिंचाई के लिए पुन: प्रयोग होता है। ज़मीन में पानी रिसाने के लिए छोटे तालाब और जल-भंडारण गड्ढे बनाए गए हैं। घर का सारा ऑर्गेनिक वेस्ट (रसोई का कचरा) खेत में जाकर कंपोस्ट बनता है। घर में प्लास्टिक का प्रयोग पूरी तरह बंद है। न पैकेजिंग, न बॉटल, न प्लास्टिक बैग। पुराने कपड़े और लकड़ी का पुन: उपयोग फर्नीचर या सजावट में किया जाता है। बाथरूम में भी प्राकृतिक साबुन, शैम्पू और क्लीनर इस्तेमाल होते हैं, किसी रासायनिक उत्पाद का प्रयोग नहीं।
घर का डिजाइन – प्रकृति के साथ तालमेल
मृण्मयी और स्वप्निल का घर चारों ओर पेड़ों और बगीचों से घिरा है, जिससे तापमान नियंत्रित रहता है।खिड़कियां इस तरह बनाई गई हैं कि प्राकृतिक रोशनी और हवा भरपूर आती है, जिससे दिन में बिजली की ज़रूरत नहीं पड़ती। दीवारों और छतों में थर्मल इंसुलेशन प्राकृतिक तरीके से किया गया है, जिससे गर्मी और सर्दी दोनों में आराम बना रहता है।
घरेलू उत्पाद – स्वयं निर्मित और प्राकृतिक
घर में इस्तेमाल होने वाले साबुन, डिओडोरेंट, डिटर्जेंट, हैंडवॉश आदि सभी मृण्मयी और स्वप्निल खुद बनाते हैं। ये उत्पाद वे अपने ब्रांड “Neil & Momo” के नाम से भी बेचते हैं। इनकी खासियत है कि इनमें कोई पैकेजिंग वेस्ट या केमिकल नहीं होता। घर में कोई लक्ज़री उपकरण या सजावटी चीज़ें नहीं हैं। मृण्मयी और स्वप्निल, दोनों सुबह खेत के काम से दिन की शुरुआत करते हैं, फिर घर के काम, बागवानी, और उत्पाद निर्माण करते हैं। उनका कहना है, “हमारा घर सिर्फ रहने की जगह नहीं, बल्कि जीने का तरीका है। हर चीज़ का उद्देश्य और पुन: उपयोग यहां मौजूद है।” घर का सारा कचरा खेत में ही पुन: उपयोग होता है। यह जोड़ा प्लास्टिक-मुक्त जीवन जीता है और रसोई से निकलने वाले हर अपशिष्ट को खाद में बदल देता है।
“Neil & Momo” ब्रांड से हस्तनिर्मित उत्पाद
अपनी Zero Waste जीवनशैली से प्रेरित होकर, मृण्मयी और स्वप्निल ने ‘Neil & Momo’ नाम से एक ब्रांड शुरू किया है, जिसमें वे खुद बनाए हुए साबुन, शैम्पू, डिओडोरेंट और प्राकृतिक उत्पाद बेचते हैं। साथ ही वे ‘पर्माकल्चर वर्कशॉप’ भी आयोजित करते हैं, जहां लोग सीखते हैं कि किस तरह अपनी ज़मीन को जीवंत बनाया जाए और ज़ीरो-वेस्ट जीवनशैली अपनाई जाए।
कम उपभोग, अधिक सृजन
स्वप्निल राव बताते हैं, “शुरुआत आसान नहीं थी। बारिश, मिट्टी की खराबी, और संसाधनों की कमी, सबका सामना करना पड़ा। लेकिन सबसे बड़ी सीख यही मिली कि प्रकृति को जल्दी नहीं किया जा सकता, सब कुछ धीरे-धीरे होता है।” आज उनका फार्म महाराष्ट्र के युवाओं और शहरी परिवारों के लिए प्रेरणा बन चुका है। मृण्मयी और स्वप्निल मानते हैं कि “कम उपभोग और अधिक सृजन” ही असली जीवन है। मृण्मयी कहती हैं, “हमने जाना कि खुशियां वस्तुओं में नहीं, मिट्टी में हैं। जब आप ज़मीन से जुड़ते हैं, तो जीवन का असली अर्थ समझ में आता है।”
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