देश के सबसे पुराने केस में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है, रामलला जीत गए है, अब तक के देश के सबसे बड़े मुकदमे का अब अंत गया, अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है। विवादित जमीन रामलला पक्ष को दे दी गई है। ये ऐतिहासिक फैसला सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने सुनाया है। इस पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नज़ीर ने फैसला सुनाया, खास बात है कि यह फैसला पांचों जजों की सर्वसम्मति से सुनाया गया है। बीते महीने ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई पूरी की थी। बरसों से चले आ रहे इस मामले की सुनवाई 40 दिनों में पूरी की गई थी। तब से ही पूरे देश को कोर्ट के फैसले का इंतजार था, जो अब खत्म हुआ है।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने 45 मिनट तक फैसला पढ़ा और अपने फैसले में कहा कि मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाया जाए और इसकी योजना 3 महीने में तैयार की जाए। कोर्ट ने 2.77 एकड़ की विवादित जमीन रामलला विराजमान को देने का आदेश दिया और कहा कि मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन आवंटित की जाए। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हिंदू-मुस्लिम विवादित स्थान को जन्मस्थान मानते हैं, लेकिन आस्था से मालिकाना हक तय नहीं किया जा सकता। पीठ ने कहा कि ढहाया गया ढांचा ही भगवान राम का जन्मस्थान है, हिंदुओं की यह आस्था निर्विवादित है।
तो आईये जान लेते है अयोध्या पर फैसले की बड़ी बातें –
– अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर का रास्ता साफ
– विवादित जमीन रामजन्मभूमि न्यास को मिलेगी
– सुन्नी वक्फ को 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन मिलेगी
– निर्मोही अखाड़े और शिया वक्फ बोर्ड का दावा खारिज
– पक्षकार गोपाल विशारद को मिला पूजा-पाठ का अधिकार
– तीन महीने में केंद्र सरकार करेगी मंदिर ट्रस्ट का गठन
– राम मंदिर निर्माण की रूपरेखा तैयार करेगा नया ट्रस्ट
– मुस्लिम पक्ष को जमीन देने की जिम्मेदारी योगी सरकार की
– आस्था और विश्वास पर नहीं, कानून के आधार पर फैसला
– विवादित ढांचा इस्लामिक मूल का ढांचा नहीं था
– बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी
– मस्जिद के नीचे जो ढांचा था, वह इस्लामिक ढांचा नहीं था
– ढहाए गए ढांचे के नीचे एक मंदिर था, इस तथ्य की पुष्टि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया कर चुका है
– यह सबूत मिले हैं कि राम चबूतरा और सीता रसोई पर हिंदू अंग्रेजों के जमाने से पहले भी पूजा करते थे
बहरहाल फैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया जिसमे पीएम मोदी ने कहा कि इस फैसले को किसी की हार या जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। रामभक्ति हो या रहीमभक्ति, ये समय हम सभी के लिए भारतभक्ति की भावना को सशक्त करने का है। देशवासियों से मेरी अपील है कि शांति, सद्भाव और एकता बनाए रखें। मोदी ने आगे कहा कि हमारे देश की हजारों साल पुरानी भाईचारे की भावना के अनुरूप हम 130 करोड़ भारतीयों को शांति और संयम का परिचय देना है। भारत के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की अंतर्निहित भावना का परिचय देना है। और यही भावना आज देश के हर नागरिक में है।