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August 6, 2025

धराली में आसमान से बरसी आफ़त में 10 जवानों सहित 50 लापता, धरती के गर्भ में समाया कल्प केदार

The CSR Journal Magazine
उत्तराखंड में उत्तरकाशी के धराली गांव में मंगलवार दोपहर करीब 1.45 बजे बादल फटने से अब एक 5 लोगों की मौत हो चुकी है। बुधवार सुबह रेस्क्यू-सर्च ऑपरेशन के दौरान एक लाश बरामद की गई। 50 से ज्यादा लोग अभी भी लापता हैं। कल से लेकर अभी तक 130 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है। SDRF, NDRF, ITBP और आर्मी की टीमें बचाव कार्य में जुटी हैं।

उत्तरकाशी में आसमान से बरसी आफत

बादल फटने और सैलाब की तबाही के बाद उत्तरकाशी के धराली में चारों ओर से मलबे और पानी में घिर गया है। रास्ते टूट चुके हैं, संपर्क कट चुका है, लेकिन राहत और बचाव की कोशिशें पूरी जी-जान से चल रही हैं। भारतीय सेना, ITBP, SDRF, NDRF और स्थानीय लोग, सभी एजेंसियों के साथ मिलकर हर जान को बचाने के लिए जी-जान से जुटे हुए हैं। धराली में बादल फटने से जहां भारी तबाही हुई है, वहां पूरी जी-जान से रेस्क्यू चल रहा है। हालांकि कुछ टीमें रास्ते में फंसी हुई है क्योंकि भूस्खलन की वजह से रास्ते बंद है। लेकिन रास्ते को जल्द से जल्द खोलने की कोशिश की जा रही है। ITBP के जवान हर कीमती जान को बचाने में लगे हैं।

उत्तरकाशी में कई जगहों पर लगातार भारी बारिश

उत्तरकाशी में लगातार इस वक्त कई जगहों पर भारी बारिश हो रही है जिसकी वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन में काफी दिक्कत आ रही है। सड़कें खोलने में भी काफी परेशानी आ रही है क्योंकि बारिश की वजह से लगातार मलबा नीचे गिर रहा है। गंगोत्री तीर्थयात्रियों के प्रमुख पड़ाव धराली गांव के बाजार-मकान, होटल सब खीर गंगा नदी में पहाड़ों से बहकर आए मलबे से ढक चुके हैं। सिर्फ 34 सेकेंड में कुदरत ने इतनी ये बर्बादी फैलाई कि पूरा गांव मलबे में तब्दील हो गया है।

सेना का हेलीपैड बहा, कैंप ग़ायब हुआ,10 जवान भी लापता

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में मंगलवार, 5 अगस्त 2025 को बादल फटने से आई भीषण बाढ़ ने भयावह तबाही मचाई। खीर गंगा नदी में अचानक जलस्तर बढ़ने से धराली बाजार और आसपास के गांव जलमग्न हो गए। इस प्राकृतिक आपदा में कई घर, होटल और होमस्टे तबाह हो गए। वहीं, हर्षिल में स्थित भारतीय सेना का कैंप भी मलबे की चपेट में आ गया। इस हादसे में सेना के 8-10 जवान लापता बताए जा रहे हैं। आमी कैंप के कुछ हिस्से के मलबे की चपेट में आने से कम से कम 10 जवानों के लापता होने की आशंका जताई जा रही है। हालांकि बचाव में लगे जवानों ने 2 सैन्यकर्मियों को सुरक्षित निकाल लिया है। लेकिन अभी भी 9 जवानों के लापता होने की आशंका है। देहरादून में सेना के डिफेंस पीआरओ लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष श्रीवास्तव ने यह जानकारी दी है। हर्षिल में तैनात 14 राजरिफ यूनिट के जवान, अपने साथियों के लापता होने के बावजूद, राहत और बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। मुश्किल हालातों के बावजूद करीब 20 लोगों को रेस्क्यू किया गया है। साथ ही जो लोग लापता हैं, उनकी तलाश जारी है।

भेजी जा रहीं सेना की अतिरिक्त टुकड़ियां

रक्षा जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि 150 कर्मियों के साथ सेना की टीम बचाव के काम में लगी है। यूनिट के बेस के बुरी तरह प्रभावित होने और 11 कर्मियों के लापता होने की आशंका के बावजूद, टीम अटूट दृढ़ संकल्प के साथ काम कर रही है। अब तक 20 लोगों को बचाया जा चुका है। इस बीच, बचाव कार्यों में अतिरिक्त टुकड़ियां भेजी जा रही हैं

भागीरथी भी उफान पर, अलर्ट जारी

उत्तरकाशी में भागीरथी नदी जलस्तर बढ़ने से खतरे से निशान से ऊपर बह रही है। जिला प्रशासन ने सुरक्षा के दृष्टिगत नदी किनारे के सभी बस्तियों में अलर्ट मोड पर रहने के निर्देश दिए हैं। भटवाड़ी से लेकर उत्तरकाशी और डुंडा तक भागीरथी नदी के किनारे बस्ती वासियों को सतर्क रहने को कहा गया है। यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर रुकने को कहा गया है।

आधा गांव मलबे में दबा, ताश के पत्तों की तरह गिरीं इमारतें

धराली गंगोत्री धाम से करीब 20 किलोमीटर पहले पड़ता है। यह गंगोत्री धाम की यात्रा का प्रमुख पड़ाव भी है। इस वजह से यहां होटल और होम स्टे कारोबार भी फल फूल रहा था। अधिकारियों ने बताया कि दोपहर बाद की इस घटना में कम से कम आधा गांव मलबे और कीचड़ में दब गया। सैलाब और मलबे के कारण कई मकान और होटल तबाह हो गए हैं। पानी के तेज बहाव और मलबे के कारण 3 से 4 मंजिला इमारतों समेत आस-पास की इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह गईं। खीर गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में बादल फटने की घटनाओं के कारण यह विनाशकारी जल प्रलय आया। बाढ़ में लापता हुए लोगों की संख्या के बारे में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है लेकिन इस संख्या के अनुमानित आंकड़े से अधिक होने की आशंका है।

हिमालय की दरार पर बसा धराली 10 साल में तीसरी बार तबाह हुआ

धराली गांव में 1864, 2013 और 2014 में भी पहाड़ पर बादल फटे। इससे खीर नाले ने तबाही मचाई। भूगर्भ वैज्ञानिकों ने तीनों ही आपदाओं के बाद धराली गांव को कहीं और बसाने की सलाह राज्य सरकार को दी। यह भी बताया कि आपदा के लिहाज से धराली टाइम बम पर बैठा है। लेकिन, इसे शिफ्ट नहीं किया गया। भूगर्भ वैज्ञानिक बताते हैं कि धराली ट्रांस हिमालय (4 हजार मी. से ऊपर) में मौजूद मेन सेंट्रल थर्स्ट में है। यह एक दरार होती है, जो मुख्य हिमालय को ट्रांस हिमालय से जोड़ती है। ये भूकंप का अति संवेदनशील जोन भी है। जिस पहाड़ से खीर गंगा नदी आती है, वो 6 हजार मी. ऊंचा है, जब भी वहां से सैलाब आता है, धराली को तहस-नहस कर देता है। करीब 6 महीने पहले पहाड़ी का एक हिस्सा टूटकर खीर नदी में गिर रहा था, लेकिन ये अटक गया था। संभवत: इस बार वही हिस्सा टूटकर नीचे आया है।

1500 साल पुराना कल्प केदार मंदिर भी ध्वस्त 

आपदा में धराली में स्थित प्राचीन कल्प केदार महादेव मंदिर भी मलबे में दफन हो गया। भागीरथी नदी किनारे स्थित 1500 साल पुराना यह मंदिर पंच केदार परंपरा से जुड़ा होने के कारण स्थानीय लोगों की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र था। लोगों का कहना है कि जिस तरह केदारनाथ धाम के बारे में कहा जाता है कि यह मंदिर वर्षों बर्फ में दबा रहा, उसी तरह कल्प केदार मंदिर भी किसी आपदा की वजह से जमीन में दबा रहा था। कुछ लोग तो इसे महाभारत काल से भी जोड़ते हैं लेकिन इसकी पुष्टि नहीं करते हैं। लोगों का कहना है कि इस प्राचीन मंदिर में दर्शन-पूजन 19वीं सदी से होने लगा। ऐसा दावा है कि 1945 में बहाव कम होने पर लोगों ने खीर गंगा के किनारे मंदिर के शिखर जैसी संरचना को देखा तो जगह की खुदाई की गई। कई फुट जमीन की खुदाई के बाद एक प्राचीन शिव मंदिर निकला, जिसकी बनावट केदारनाथ मंदिर जैसी थी।

गर्भगृह में आ जाता है नदी का जल

स्थानीय लोगों का दावा है कि पहले भी खीर गंगा ने मंदिर को अपनी चपेट में लिया था। 1945 में खुदाई के बाद मंदिर के निकलने के बाद पूजा शुरू हुई थी। खुदाई के बाद भी मंदिर धरातल से नीचे ही था। श्रद्धालु नीचे जाकर मंदिर में पूजा-पाठ करते थे। लोगों का कहना है कि मंदिर के गर्भगृह में जहां शिवलिंग स्थापित है, वहां अक्सर खीरगंगा का जल आ जाता था। लोगों ने मंदिर में जाने के लिए मिट्टी निकालकर रास्ता बनाया था जो एकबार फिर गाद की जद में है।

धराली के हालात पर पीएम मोदी ने की सीएम धामी से बात

उत्तराखंड CMO ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात की और उत्तराखंड जिले के धराली क्षेत्र में हाल ही में आई आपदा और राहत एवं बचाव कार्यों की अद्यतन स्थिति की जानकारी ली। मुख्यमंत्री धामी ने प्रधानमंत्री को बताया कि राज्य सरकार पूरी तत्परता से राहत एवं बचाव कार्यों में लगी हुई है। लगातार हो रही भारी बारिश के कारण कुछ क्षेत्रों में कठिनाइयां आ रही हैं, लेकिन सभी संबंधित एजेंसियां समन्वय के साथ काम कर रही हैं ताकि प्रभावित लोगों को त्वरित सहायता मिल सके। प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्र सरकार की ओर से हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।
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