पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य की महिलाओं से अपील की है कि यदि विशेष गहनपुनरीक्षण (Special Intensive Revision- SIR) के दौरान उनके नाम मतदाता सूची से हटाए जाते हैं तो वे प्रदर्शन करने के लिए आगे आएं। ममता ने कहा कि महिलाएं सशक्त हैं और अपने नामों को हटाने की किसी भी कोशिश का सख्ती से विरोध करेंगी। उन्होंने रैली में कहा कि महिलाएं रसोई के औज़ार लेकर तैयार रहेंगी और पुरुष उनके पीछे खड़े रहेंगे ताकि धोखे से वोटर सूची से नाम हटाने की किसी भी कोशिश का जवाब दिया जा सके।
ममता बनर्जी का आह्वान: मतदाता सूची से नाम हटे तो सड़कों पर उतरें महिलाएं
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने SIR प्रक्रिया के बीच मतदाता सूची में संभावित अनियमितताओं को लेकर तीखा बयान दिया। उन्होंने महिलाओं से अपील की कि यदि उनका नाम मतदाता सूची से हटाया जाता है, तो वे अपने घर के रसोई उपकरण, जैसे बेलन, कलछी या करछुल लेकर सड़कों पर उतरें और विरोध दर्ज कराएं। ममता ने कहा कि लोकतंत्र की सबसे मजबूत ताकत महिलाएं हैं, और वे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए खुद आगे आएंगी, जबकि पुरुष साथी उनके पीछे खड़े रहेंगे। अपने भाषण में ममता ने आरोप लगाया कि SIR प्रक्रिया के नाम पर पात्र मतदाताओं, खासकर गरीब, अल्पसंख्यक और महिला मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं। उन्होंने इसे “राजनीतिक साजिश” करार देते हुए कहा कि कुछ ताकतें चुनावी फायदा उठाने के लिए मतदाता संख्या घटाने का प्रयास कर रही हैं।
ममता ने दी धरने पर बैठने की धमकी
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर किसी भी योग्य व्यक्ति का नाम गलत तरीके से हटाया गया, तो वे स्वयं धरने पर बैठेंगी और चुनाव आयोग तथा केंद्र सरकार की दबाव वाली राजनीति के खिलाफ लड़ेंगी। ममता ने बूथ स्तर के अधिकारियों से निष्पक्ष रहने की अपील करते हुए कहा कि किसी भी नागरिक को उसके संवैधानिक अधिकार, मताधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। उन्होंने दावा किया कि जनता से बड़ी संख्या में शिकायतें मिल रही हैं, और इसलिए लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। भाषण के अंत में उन्होंने कहा कि बंगाल की महिलाएं हमेशा से अन्याय के खिलाफ खड़ी रही हैं और अगर मतदाता सूची में छेड़छाड़ हुई, तो सबसे पहले वही आवाज़ उठाएँगी।
SIR क्या है?- मतदाता सूची को अद्यतन करने की विशेष प्रक्रिया
Special Intensive Revision (SIR) चुनाव आयोग द्वारा चलाई जाने वाली एक विशेष प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य है-
मतदाता सूची को पूरी तरह अपडेट और त्रुटि-रहित बनाना,
मृत, स्थानांतरित या डुप्लिकेट नाम हटाना,
और योग्य नए मतदाताओं को शामिल करना।
इस प्रक्रिया में बूथ-स्तरीय कर्मचारी घर-घर जाकर सत्यापन करते हैं। नागरिकों को यह अधिकार है कि यदि उनके नाम को गलत तरीके से हटाया गया हो तो वे दावा या आपत्ति दर्ज कर सकें। प्रक्रिया के अंत में ड्राफ्टरोल जारी होता है और उसके बाद अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाती है।
SIR का कानूनी पक्ष- किस आधार पर नाम हटाया या जोड़ा जाता है?
SIR प्रक्रिया जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और 1951 तथा चुनाव आयोग के बनाए नियमों के अंतर्गत चलती है। इसके कानूनी प्रावधान निम्न हैं-
1. नाम हटाने के लिए कानूनी आधार
किसी मतदाता का नाम केवल इन स्थितियों में हटाया जा सकता है-
. वह व्यक्ति मृत हो चुका हो,
. वह स्थायी रूप से किसी अन्य क्षेत्र में स्थानांतरित हो गया हो,
• वह अयोग्य पाया गया हो (जैसे उम्र या नागरिकता संबंधी पात्रता नहीं),
• या मतदाता सूची में उसका नाम डुप्लिकेट पाया गया हो।
कानून यह स्पष्ट कहता है कि “अस्थायी अनुपस्थिति” या “राजनीतिक कारणों” से नाम नहीं हटाया जा सकता।
2. दावा-आपत्ति का वैधानिक अधिकार
नागरिकों को संवैधानिक अधिकार है कि वे-
• अपने नाम के हटने पर फॉर्म-6, 7 या 8 के माध्यम से आपत्ति दर्ज कर सकते हैं,
• संबंधित अधिकारी को व्यक्तिगत सुनवाई देनी होती है,
• और निर्णय के खिलाफ एपील की प्रक्रिया भी उपलब्ध रहती है।
3. किसी भी संशोधन पर पारदर्शिता और सार्वजनिक सूचना अनिवार्य
कानून के अनुसार, किसी क्षेत्र में SIR के दौरान सभी परिवर्तनों की सार्वजनिक घोषणा, नोटिस और पुनरीक्षण शिविरों का आयोजन अनिवार्य है ताकि मतदाताओं को पूर्ण जानकारी मिले।
चुनाव आयोग का पक्ष- SIR क्यों चलाया जा रहा है?
मुख्यमंत्री के आरोपों के बीच चुनाव आयोग ने अपना पक्ष साफ करते हुए कहा है कि-
1. SIR एक प्रशासनिक प्रक्रिया है, राजनीतिक नहीं
चुनाव आयोग का बयान है कि SIR का उद्देश्य केवल मतदाता सूची को सटीक बनाना है, न कि किसी राजनीतिक दल को फायदा पहुंचाना। आयोग के अनुसार, “यह प्रक्रिया पूरे देश में लागू दिशा-निर्देशों के अनुरूप है और इसमें किसी भी राजनीतिक हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं है।”
2. गलत नाम हटाने पर त्वरित सुधार की व्यवस्था
आयोग का कहना है कि यदि किसी व्यक्ति का नाम गलती से हट जाता है, तो उसे तुरंत दावा-आपत्ति के माध्यम से वापस जोड़ा जा सकता है। आयोग यह भी कहता है कि, “किसी भी पात्र मतदाता को मताधिकार से वंचित नहीं किया जाएगा।”
3. डिजिटल सत्यापन और फर्जी नामों की पहचान
SIR में डेटा-आधारित सत्यापन, आयु-विसंगतियों की जांच, और डुप्लिकेट एंट्री खोजने के लिए डिजिटल तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। आयोग का तर्क है कि यह कदम लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता बढ़ाने के लिए आवश्यक है।
4. महिलाओं और विशेष वर्गों की सुरक्षा पर जोर
चुनाव आयोग ने कहा है कि महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों और पहली बार वोट देने वालों के लिए विशेष हेल्पलाइन और प्रमाण-सत्यापन शिविर लगाए जाएंगे ताकि नाम हटने की समस्या न्यूनतम हो।
राजनीतिक टकराव तेज- आगे क्या?
पश्चिम बंगाल में यह मुद्दा अब एक प्रमुख राजनीतिक विवाद बन गया है। जहां ममता बनर्जी इसे “लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला” बता रही हैं, वहीं चुनाव आयोग इसे “सामान्य और विधिसम्मत प्रक्रिया” बता रहा है। आने वाले दिनों में SIR की ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी होते ही-
• नागरिकों के सामने दावा-आपत्ति दर्ज करने का मौका होगा,
• राजनीतिक दल अपनी-अपनी शिकायतें पेश करेंगे,
• और अंत में अंतिम मतदाता सूची तैयार की जाएगी, जो आगामी चुनावों में इस्तेमाल होगी।
Long or Short, get news the way you like. No ads. No redirections. Download Newspin and Stay Alert, The CSR Journal Mobile app, for fast, crisp, clean updates!

