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July 4, 2025

12 वर्षीय छात्र की स्कूल की पहली सुबह बनी आखिरी, साइलेंट हार्ट अटैक ने ले ली जान 

Silent Heart Attack In Children: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले से एक बेहद दुखद और दिल को झकझोर देने वाली खबर सामने आई है। यहां एक 12 साल के बच्चे की स्कूल गेट पर ही अचानक मौत हो गई। यह घटना बाराबंकी के देवा थाना क्षेत्र के घेरी बिशुनपुर गांव की है। बच्चे की अचानक मौत ने आसपास मौजूद लोगों को झकझोर कर रख दिया।

संभावित Silent Heart Attack ने की बच्चे की जान

Silent Heart Attack : उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले से एक बेहद दुखद और दिल को झकझोर देने वाली खबर सामने आई है। यहां एक 12 साल के बच्चे की स्कूल गेट पर ही अचानक मौत हो गई। यह घटना बाराबंकी के देवा थाना क्षेत्र के घेरी बिशुनपुर गांव की है। बच्चे की अचानक मौत से न केवल उसके परिवार, बल्कि पूरे गांव और स्कूल में शोक की लहर फैल गई है। मंगलवार की सुबह 7वीं कक्षा का छात्र अखिल प्रताप सिंह, जो सेंट एंथोनी स्कूल में पढ़ता था, अपने पापा के साथ कार में स्कूल पहुंचा। गर्मियों की छुट्टी के बाद स्कूल का पहला दिन था और अखिल बहुत खुश था। कार से उतरकर बैग लेकर अखिल स्कूल गेट की ओर चल पड़ा। लेकिन जैसे ही वह गेट के पास पहुंचा, अचानक चक्कर खाकर जमीन पर गिर पड़ा और बेहोश हो गया।

अस्पताल पहुंचने से पहले ही गई जान

Silent Heart Attack In Children: बच्चे को तुरंत नजदीकी अवध चिल्ड्रेन हॉस्पिटल ले जाया गया। लेकिन वहां उसकी हालत गंभीर देख डॉक्टरों ने उसे लखनऊ के चंदन हॉस्पिटल रेफर कर दिया। अफसोस की बात यह रही कि लखनऊ पहुंचने से पहले ही रास्ते में उसकी मौत हो गई। अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। सोशल मीडिया पर इस दुखद घरण का वाइरल विडिओ देखकर लोग सदमे में हैं।

बिल्कुल स्वस्थ था अखिल, कोई बीमारी नहीं थी

Silent Heart Attack In Children: परिजनों ने बताया कि अखिल पूरी तरह स्वस्थ था। उसे किसी भी तरह की कोई बीमारी नहीं थी और न ही वह किसी दवाई का सेवन कर रहा था। वह स्कूल खुलने को लेकर काफी उत्साहित था। उसके परिवार को उसकी इस असमय मौत से गहरा सदमा पहुंचा है। उसकी मां बेसुध हो गई है और गांव के लोग भी बहुत दुखी हैं।

Silent Heart Attack की आशंका, जांच जारी

Silent Heart Attack In Children: शुरुआती जांच में डॉक्टरों को संदेह है कि यह मामला ‘साइलेंट हार्ट अटैक’ का हो सकता है। हालांकि अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसी घटनाएं दुर्लभ होती हैं, लेकिन अचानक दिल का दौरा पड़ना एक संभावना हो सकती है। अखिल की अचानक मौत से स्कूल में गहरा सन्नाटा छा गया है। सभी शिक्षक और छात्र भी इस घटना से बहुत दुखी हैं। स्कूल प्रबंधन ने भी इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है और परिवार के साथ संवेदना व्यक्त की है।

सवालों के घेरे में बच्चों की सेहत

Silent Heart Attack In Children: अखिल की अचानक मौत ने छोटे बच्चों में दिल की बीमारी और हार्ट अटैक जैसे गंभीर मामलों पर चिंता बढ़ा दी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अब बच्चों की नियमित स्वास्थ्य जांच और स्कूलों में मेडिकल सुविधा को लेकर गंभीरता जरूरी हो गई है। एक वरिष्ठ डाक्टर ने जानकारी देते हुए बताया कि Silent Heart Attack में लक्षण प्रतीत नहीं होते हैं, लेकिन बीमारी अवश्य रहती है। कभी-कभी ज़्यादा सोचने या शॉक वाली न्यूज सुनने से बच्चों को  Silent Heart Attack आ जाता है। साइलेंट हार्ट अटैक की वजह से सीने में दर्द या सांस लेने में तकलीफ नहीं होती, जो आमतौर पर हार्ट अटैक से जुड़े होते हैं।
बच्चों में हृदय संबंधी समस्याओं का जल्द पहचानना बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि समय पर निदान और उपचार उनके स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है। कई बार माता-पिता को इन समस्याओं का पता लगाना कठिन हो सकता है, क्योंकि लक्षण हल्के या अन्य सामान्य बीमारियों जैसे दिख सकते हैं।

बच्चों में हृदय संबंधी समस्याओं के लक्षण कैसे पहचानें

Silent Heart Attack In Children: बच्चों में दिल की बीमारी के कुछ खास लक्षण होते हैं, जिन्हें हर पैरेंट को जानना बेहद जरूरी है।
सांस से संबंधित समस्याएंः सांस लेने में कठिनाई, खेलने, रोने या दूध पीने के बाद सांस फूलना, सोते समय तेजी से सांस लेना, छाती के अंदर धंसने जैसा महसूस होना।
त्वचा और होंठ का रंग बदलना: त्वचा, नाखून और होंठों का नीला पड़ना (साइनोसिस)। त्वचा का पीला या फीका दिखना, हाथ-पैर ठंडे पड़ जाना।
वजन और विकास में रुकावट: बच्चे का वजन सामान्य से कम होना, सामान्य विकास न होना, दूध पीने में कठिनाई या बार-बार थकावट महसूस करना।
तेज़ या अनियमित दिल की धड़कन: दिल का तेजी से धड़कना (टैकीकार्डिया), अनियमित धड़कन महसूस होना, छाती में दर्द या बेचैनी।
थकावट और सुस्ती: खेलने या सामान्य गतिविधियों के बाद जल्दी थक जाना, लंबे समय तक सुस्ती महसूस करना, नींद के दौरान बेचैनी।
बार-बार फेफड़ों का संक्रमण: बार-बार निमोनिया या ब्रोंकाइटिस होना, खांसी और कफ लंबे समय तक रहना, बेहोशी या चक्कर, खाने-पीने में दिक्कत, स्तनपान या बोतल से दूध पीने में परेशानी, कम भूख लगना। खाने के बाद थकावट महसूस करना।

बच्चों में हृदय संबंधी रोग के प्रकार

जन्मजात हृदय रोग Congenital Heart Disease
Silent Heart Attack In Children: यह हृदय की संरचना या कार्य में गड़बड़ी होती है, जो जन्म से ही मौजूद होती है। इसके प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:
एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट (ASD): हृदय के ऊपरी कक्षों (एट्रिया) के बीच की दीवार में छेद। वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (VSD): हृदय के निचले कक्षों (वेंट्रिकल) के बीच की दीवार में छेद।
वॉल्व संबंधी समस्याएं (Valve Defects): पल्मोनरी या एओर्टिक स्टेनोसिस: वॉल्व का संकरा होना, जिससे रक्त प्रवाह बाधित होता है।
माइट्रल या ट्राइसपिड वॉल्व रेजुर्गिटेशन: वॉल्व का सही तरीके से बंद न होना, जिससे रक्त वापस बहता है।
पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस (PDA): फेफड़ों की धमनी और महाधमनी के बीच की रक्त वाहिका का जन्म के बाद बंद न होना।

बच्चों में जटिल जन्मजात हृदय दोष

टेट्रालॉजी ऑफ फॉलो (TOF): चार दोषों का समूह- वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट, पल्मोनरी स्टेनोसिस, राइट वेंट्रिकुलर हाइपरट्रॉफी, और एओर्टा की विस्थापन।
ट्रांसपोजिशन ऑफ द ग्रेट आर्टरीज (TGA): महाधमनी और फेफड़ों की धमनी की स्थिति का उल्टा होना।
हाइपोप्लास्टिक लेफ्ट हार्ट सिंड्रोम (HLHS): हृदय का बायां हिस्सा अविकसित होना।

अर्जित हृदय रोग- Acquired Heart Disease

रूमेटिक हृदय रोग (Rheumatic Heart Disease)
यह स्ट्रीपटोकोकल गले के संक्रमण के कारण होता है और हृदय वॉल्व को नुकसान पहुंचाता है।
कावासाकी रोग (Kawasaki Disease)
यह बच्चों में कोरोनरी धमनी को प्रभावित करता है और दिल के दौरे का जोखिम बढ़ा सकता है।
मायोकार्डिटिस (Myocarditis)
यह हृदय की मांसपेशियों की सूजन है, जो वायरस या बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होती है।

हार्ट अटैक और हाई ब्लड प्रेशर

Silent Heart Attack In Children: हालांकि दुर्लभ, लेकिन कुछ बच्चों में ब्लड प्रेशर और कोरोनरी धमनी की समस्याएं हो सकती हैं।
सायनोसिस दोष (Cyanotic Defects): यह हृदय रोग का वह प्रकार है जिसमें शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती, जिससे होंठ और त्वचा नीले पड़ जाते हैं। उदाहरण के लिए टेट्रालॉजी ऑफ फॉलो, ट्रांसपोजिशन ऑफ ग्रेट आर्टरीज।
नॉन-सायनोसिस दोष (Non-Cyanotic Defects): इसमें हृदय के दोष होने के बावजूद त्वचा का रंग सामान्य रहता है। उदाहरण के लिए एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट, वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट।

बच्चों में हृदय संबंधी रोग के क्या कारण होते हैं

जन्मजात हृदय रोग के कारण (Congenital Heart Disease)
जन्मजात हृदय रोग हृदय की संरचना में गड़बड़ी के कारण होता है, जो गर्भावस्था के दौरान हृदय के विकास में समस्या के कारण उत्पन्न हो सकता है।
आनुवंशिक (Genetic Factors): परिवार में हृदय रोग का इतिहास। किसी अन्य जन्मजात विकृति जैसे डाउन सिंड्रोम से जुड़ा हुआ। आनुवंशिक विकार या माता-पिता में क्रोमोसोमल असामान्यता।
पर्यावरणीय कारण (Environmental Factors): गर्भावस्था के दौरान संक्रमण (जैसे, रूबेला या जर्मन मीजल्स)। गर्भावस्था में खतरनाक दवाओं या नशीली चीज़ों का सेवन। शराब या धूम्रपान का उपयोग। गर्भावस्था के दौरान विकिरण के संपर्क में आना।
मातृ स्वास्थ्य (Maternal Health): गर्भावस्था में डायबिटीज या अनियंत्रित ब्लड शुगर। थायरॉइड की समस्या। पोषण की कमी, विशेष रूप से फोलिक एसिड की कमी। मोटापा या उच्च रक्तचाप।
गर्भ में ऑक्सीजन की कमी। प्लेसेंटा की अपर्याप्त कार्यक्षमता।

Silent Heart Attack In Children: संक्रमण से संबंधित कारण

रूमेटिक फीवर: गले के स्ट्रीप संक्रमण (Strep Throat) के कारण, जो हृदय वॉल्व को प्रभावित कर सकता है।
कावासाकी रोग: रक्त वाहिकाओं की सूजन, जो कोरोनरी धमनी को नुकसान पहुंचा सकती
पोषण और जीवनशैली: अस्वास्थ्यकर आहार और मोटापा। बच्चों में उच्च रक्तचाप या कोलेस्ट्रॉल। निष्क्रिय जीवनशैली।
चोट या बाहरी कारण: सीने पर चोट। सर्जिकल या चिकित्सा संबंधी जटिलताएं।
जन्म के समय कम वजन। लंबे समय तक दवाओं का उपयोग। गंभीर एनीमिया।
प्रि-मैच्योर डिलीवरी: समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों में हृदय की समस्याओं का जोखिम अधिक होता है।
ट्विन या मल्टीपल प्रेग्नेंसी: एक से अधिक भ्रूण होने पर हृदय विकास पर असर पड़ सकता है।
गर्भावस्था में मां को ऑटोइम्यून रोग (जैसे, ल्यूपस): इससे बच्चे का हृदय प्रभावित हो सकता है।

Silent Heart Attack In Children: सावधान रहना जरूरी

Silent Heart Attack In Children: बच्चों में हृदय संबंधी रोगों के लक्षण अक्सर हल्के से लेकर गंभीर हो सकते हैं, और यह समय पर पहचानने के लिए महत्वपूर्ण हैं। आमतौर पर, सांस लेने में कठिनाई, थकावट, त्वचा या होंठों का नीला पड़ना, छाती में दर्द, और असामान्य दिल की धड़कन हृदय संबंधी समस्याओं के संकेत हो सकते हैं। सही समय पर इन लक्षणों को पहचानना और उन्हें तुरंत डॉक्टर से शेयर करना बच्चों में हृदय रोगों के सही निदान और उपचार के लिए आवश्यक है। अगर बच्चों में इन लक्षणों में से कोई भी दिखे, तो बिना देर किए बाल हृदय रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।

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