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August 18, 2025

QR स्मार्ट टैग और GPS से लैस होंगे शिमला के आवारा कुत्ते

The CSR Journal Magazine
शिमला में पहली बार बढ़ते आवारा कुत्तों के खतरे से निपटने के अपने अभियान के तहत नगर निगम शहर के सभी आवारा कुत्तों को QR Smart Tag से लैस करने जा रहा है। कुत्तों के गले में बंधे ये टैग उनकी नसबंदी की स्थिति, टीकाकरण रिकॉर्ड, समग्र स्वास्थ्य, उम्र और व्यवहार जैसी महत्वपूर्ण जानकारी संग्रहीत करेंगे। GPS की मदद से नगर निगम नियंत्रण कक्ष से यह पता चल सकेगा कि कौन सा कुत्ता किस इलाके में घूम रहा है और उसकी गतिविधियां कैसी हैं। QR Code को स्कैन कर निवासी तुरंत इन विवरणों तक पहुंच सकेंगे।

शिमला वासियों को मिलेगी आक्रामक कुत्तों से आज़ादी

टैगिंग प्रक्रिया आगामी कुत्तों की जनगणना के दौरान की जाएगी, जो ग़ैर सरकारी संस्थाओं और स्वयंसेवकों की मदद से आयोजित की जाएगी। इसके साथ ही निगम, निवासियों को आवारा कुत्तों, खासकर आक्रामक या काटने की प्रवृत्ति वाले कुत्तों के साथ सुरक्षित व्यवहार के बारे में शिक्षित करने के लिए एक व्यापक जन जागरूकता अभियान शुरू करेगा। आक्रामक स्वभाव वाले या बार-बार काटने वाले कुत्तों को चिन्हित कर Tutikandi Dog Hut में शिफ्ट किया जाएगा ताकि लोगों को सुरक्षित माहौल मिल सके। GPS Collar से निगम कुत्तों की लोकेशन और उनके बदलते व्यवहार पर नजर रख सकेगा। सामुदायिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्कूली बच्चों, स्थानीय निवासियों और वार्ड पार्षदों को लक्षित करते हुए सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) सामग्री व्यापक रूप से वितरित की जाएगी।

Ridlan AI Foundation करेगा नगर निगम की मदद

शिमला नगर निगम Ridlan AI Foundation के साथ मिलकर इस काम को करने जा रहा है। एक महीने के भीतर नगर निगम को न सिर्फ शहर में सभी लावारिस कुत्तों का पूरा वार्डवार आंकड़ा मिल जाएगा, बल्कि इनके आक्रामक होते व्यवहार को लेकर भी जानकारी मिलेगी। अभियान के दौरान सभी लावारिस कुत्तों को QR Smart Tag और GPS आधारित पट्टे पहनाए जाएंगे। इस अभियान में बाहर से आए विशेषज्ञ भी शामिल हैं और यह देश के नगर निकायों में अपनी तरह का पहला प्रयास है, जिसमें वैक्सीनेशन, स्टरलाइजेशन और डिजिटलाइजेशन एक साथ किए जा रहे हैं।
मेयर सुरिंदर चौहान ने एक बयान में कहा कि गोवा, महाराष्ट्र और दिल्ली से पशु चिकित्सा विशेषज्ञों को सहायता के लिए लाया गया है। वार्डों में कुत्तों को पकड़ने और टैग करने के लिए चार वाहनों और सुविधाओं की व्यवस्था की गई है।

एबीसी नियम 2023 के कारण कुत्तों को हटाने में असमर्थ

शहर में कुत्ते के काटने के बढ़ते मामलों के बावजूद, शिमला नगर निगम Animal Birth Control Rules 2023 से बाध्य है, जो आवारा कुत्तों को हटाने या स्थानांतरित करने पर रोक लगाता है। यहां तक कि अगर एक कुत्ते ने किसी को काट लिया है, तो नागरिक निकाय इसे केवल 10 दिनों के लिए अवलोकन में रख सकता है, और यदि Rabies जैसे किसी भी संक्रमण के बिना स्वस्थ पाया जाता है, तो कुत्ते को उसी स्थान पर छोड़ दिया जाना चाहिए जहां उसका लोगों को काटने का इतिहास है। इसने नागरिक निकायों को पंगु बनाने, टीकाकरण करने और अब कुत्तों को डिजिटल रूप से टैग करने के अलावा बहुत कम विकल्प छोड़ दिया है।

शिमला में Mega Dog Vaccination Drive

QR Smart Tag अभियान के साथ ही शिमला में 15 अगस्त से 29 अगस्त तक मेगा डॉग वैक्सीनेशन ड्राइव भी चल रही है। इस अभियान का शुभारंभ पिछले दिनों उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने रिज मैदान से किया। इसमें नगर निगम शिमला, पशुपालन विभाग, ह्यूमेन पीपल एनजीओ और अंतरराष्ट्रीय संगठन मिशन रैबीज़ मिलकर काम कर रहे हैं। इस अभियान में शहर के सभी 34 वार्डों में करीब 4,000 कुत्तों को एंटी रेबीज़ का टीका लगाया जा रहा है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि शिमला पर्यटन नगरी और प्रदेश की राजधानी है, यहां रोजाना कुत्तों के काटने के मामले आते हैं। ऐसे में यह अभियान और स्मार्ट टैग योजना मिलकर शहरवासियों को बड़ी राहत देंगे।

शहरवासियों को मिलेगी बड़ी राहत

शिमला में इस समय 4 हज़ार से ज्यादा आवारा कुत्ते हैं। हर महीने 100 से ज्यादा कुत्तों के काटने के मामले IGMC और DDU अस्पतालों में दर्ज हो रहे हैं। कई बार महिलाएं और स्कूली बच्चे भी इनका शिकार बनते हैं। नगर निगम का मानना है कि QR Smart Tag और GPS व्यवस्था से न केवल लोगों की सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि कुत्तों की संख्या और काटने की घटनाओं पर भी काबू पाया जा सकेगा।
शिमला में आवारा कुत्ते एक गंभीर चिंता का विषय बने हुए हैं, जिनके झुंड अक्सर व्यस्त बाजारों और रिहायशी इलाकों में देखे जाते हैं। स्थानीय लोग अक्सर कुत्तों द्वारा पैदल चलने वालों, खासकर बच्चों और बुजुर्गों का पीछा करने, उन्हें काटने और उन पर हमला करने की घटनाओं की रिपोर्ट करते हैं। इस वर्ष अब तक शहर में कुत्तों के काटने के 800 से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं, जिससे यह मुद्दा शहर के लिए सबसे जरूरी सार्वजनिक सुरक्षा चुनौतियों में से एक बन गया है।
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