ईरान की राजधानी तेहरान इस समय अपने इतिहास के सबसे गंभीर जल संकटों में से एक से जूझ रही है। ईरानी अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि हालात ऐसे ही बने रहे तो अगले दो सप्ताह में शहर में पीने का पानी पूरी तरह समाप्त हो सकता है।
प्यासा तेहरान- मानव की लापरवाही की सजा
ईरान की राजधानी तेहरान आज जिस मोड़ पर खड़ी है, वह केवल एक शहर की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए चेतावनी है। अगले दो हफ्तों में पीने का पानी खत्म हो जाने की आशंका कोई अचानक आई आपदा नहीं है। यह वर्षों की लापरवाही, संसाधनों के दोहन और पर्यावरण की उपेक्षा का परिणाम है। तेहरान का सूखना यह बताता है कि विकास की अंधी दौड़ में हमने प्रकृति की सीमाओं को नजरअंदाज कर दिया। भूजल का अंधाधुंध दोहन, जलाशयों की अनदेखी और वर्षा जल संरक्षण की कमी ने राजधानी को प्यासा बना दिया। आज हालात इतने गंभीर हैं कि जीवन, स्वास्थ्य और सामाजिक स्थिरता सब खतरे में हैं। राष्ट्रीय जल प्राधिकरण (National Water Authority of Iran) के अनुसार, इस वर्ष ईरान में औसत से 40 प्रतिशत कम वर्षा दर्ज की गई है। तेहरान क्षेत्र के प्रमुख जलाशयों, लतीयान, करज, और लार बांध में पानी का स्तर चिंताजनक रूप से घट गया है। अधिकारियों का कहना है कि मौजूदा जल भंडार केवल 10 से 15 दिनों तक ही राजधानी की आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है।
अत्यधिक उपभोग और जल संरक्षण की कमी- ‘आपात जल प्रबंधन योजना’ शुरू
तेहरान की करीब एक करोड़ आबादी में जल उपभोग का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। कई क्षेत्रों में पानी की बर्बादी और अवैध जल निकासी के मामले भी सामने आए हैं। ईरान के ऊर्जा मंत्री अली अकबर महदवी ने कहा, “यदि तत्काल जल संरक्षण के उपाय नहीं किए गए, तो तेहरान को जल राशनिंग (पानी की सख्त आपूर्ति व्यवस्था) लागू करनी पड़ेगी।” ईरान सरकार ने संकट से निपटने के लिए एक आपात जल प्रबंधन योजना (Emergency Water Plan) शुरू की है। इसके तहत औद्योगिक उपयोग पर रोक, कृषि सिंचाई में कटौती, और नागरिकों को सीमित आपूर्ति का आदेश दिया गया है। शहर के कुछ इलाकों में पहले से ही दिन में केवल 6 से 8 घंटे ही पानी की आपूर्ति की जा रही है।
विशेषज्ञों ने दी चेतावनी- “यह केवल शुरुआत”
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान लंबे समय से जलवायु परिवर्तन, भूजल के अंधाधुंध दोहन और असमुचित शहरी नियोजन की मार झेल रहा है। तेहरान यूनिवर्सिटी के पर्यावरण विभाग के प्रोफेसर डॉ. रेजा फारूकी के अनुसार’ “यदि आने वाले महीनों में पर्याप्त वर्षा नहीं हुई, तो ईरान के कई अन्य शहर भी इसी तरह की स्थिति में पहुंच सकते हैं।” तेहरान के नागरिक सोशल मीडिया पर सरकार से पारदर्शी योजना की मांग कर रहे हैं। कुछ स्थानों पर पानी की आपूर्ति बाधित होने के कारण लंबी कतारें और स्थानीय झड़पें भी देखी गईं। सरकार ने नागरिकों से अपील की है कि वे “हर बूंद बचाने” के लिए एकजुट हों।
भूख, बीमारी और पलायन का डर- थमने लगीं राजधानी की सांसें
ईरान की राजधानी तेहरान, जो पहले ही आर्थिक प्रतिबंधों, प्रदूषण, और महंगाई जैसी कई त्रासदियों से जूझ रही है, अब एक और गहरी आफत के मुहाने पर खड़ी है- पीने के पानी की भारी किल्लत ! अधिकारियों की चेतावनी के अनुसार, यदि हालात नहीं सुधरे तो अगले दो हफ्तों में राजधानी का जल भंडार समाप्त हो सकता है। सवाल यह है कि क्या तेहरान आने वाले दिनों में रहने योग्य शहर रह जाएगा?
आर्थिक और सामाजिक तंत्र पर गहरा असर
तेहरान पहले से ही अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण आर्थिक संकट से गुजर रहा है। ऐसे में पानी की कमी से उद्योग, व्यापार, और दैनिक जीवन पूरी तरह ठप पड़ सकता है। फैक्ट्रियों में उत्पादन रुक सकता है। अस्पतालों में साफ पानी की आपूर्ति बाधित होने से संक्रमण और बीमारियों का खतरा बढ़ जाएगा। रेस्त्रां, स्कूल और सार्वजनिक स्थान बंद होने की नौबत आ सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि जल संकट केवल “पानी की कमी” नहीं, बल्कि आर्थिक ढहाव का आरंभ हो सकता है।
गरीब तबके पर सबसे बड़ा प्रहार
तेहरान के गरीब इलाकों में पहले से ही बिजली और गैस की अनियमित आपूर्ति है। अब पानी की कमी से वहां स्वास्थ्य और स्वच्छता की स्थिति भयावह हो सकती है। कई परिवारों को महंगे दामों पर टैंकर से पानी खरीदना पड़ सकता है। यह स्थिति ग्रामीण इलाकों से आए प्रवासी मजदूरों के लिए और भी कठिन हो जाएगी, जिनके पास न संसाधन हैं, न स्थायी आवास।
बीमारियां और पर्यावरणीय खतरे
स्वच्छ जल की कमी से राजधानी में टाइफाइड, कॉलरा और त्वचा रोग जैसे संक्रमण फैलने का खतरा है। शहर के जलाशयों और सीवर सिस्टम में भी गंदे पानी के रिसाव की खबरें आने लगी हैं, जिससे पर्यावरण प्रदूषण बढ़ सकता है। तेहरान के पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. मोहम्मद नासरी का कहना है, “जल संकट अब केवल प्राकृतिक आपदा नहीं रहा, यह मानव निर्मित संकट बन चुका है। भूजल का अंधाधुंध दोहन और योजना विफलता ने इसे और बढ़ाया है।”
पलायन का खतरा-‘जल शरणार्थी’ बन सकते हैं नागरिक
अधिकारियों को डर है कि यदि हालात नहीं सुधरे, तो राजधानी से लाखों लोग पानी की तलाश में छोटे शहरों या गांवों की ओर पलायन कर सकते हैं। यह न केवल देश की जनसंख्या संरचना को बदल देगा, बल्कि सामाजिक अस्थिरता भी बढ़ाएगा। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, ईरान में जलवायु परिवर्तन के कारण पलायन करने वाले लोगों की संख्या हर साल बढ़ रही है। तेहरान का यह जल संकट केवल एक शहर की नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की चेतावनी है। दो सप्ताह की यह घड़ी ईरान के लिए निर्णायक साबित हो सकती है- क्या वह अपने संसाधनों को बचा पाएगा ? या आने वाले समय में “पानी” उसके लिए सबसे बड़ी राजनीतिक और सामाजिक चुनौती बन जाएगा?
सरकार की चुनौतियां बढ़ीं
तेहरान की इस स्थिति ने सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। जनता पहले से ही बेरोजगारी और महंगाई से त्रस्त है, अब पानी की कमी से जन असंतोष और विरोध प्रदर्शनों के बढ़ने की आशंका है। सरकार ने जल वितरण के लिए “आपात योजना” शुरू की है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यह केवल अस्थायी समाधान है। ईरान की यह स्थिति भारत सहित उन सभी देशों के लिए भी सबक है, जो तेजी से शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव झेल रहे हैं। तेहरान की यह त्रासदी केवल ईरान तक सीमित नहीं रहेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि मध्य पूर्व के देशों ने जल प्रबंधन, वर्षा जल संचयन और हरित नीति पर ध्यान नहीं दिया, तो आने वाले दशक में “जल युद्ध” की स्थिति बन सकती है।
तेहरान का जल-संकट, दुनिया के लिए चेतावनी
पहले से संकटों में डूबे तेहरान के लिए यह जल संकट किसी धीमी गति से आती आपदा से कम नहीं। यह केवल नल सूखने की बात नहीं ! यह रोजगार, स्वास्थ्य, और जीवन के अस्तित्व की लड़ाई है। यदि अब भी ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो तेहरान आने वाले समय में दुनिया के उन शहरों में शामिल हो सकता है जो पानी की कमी के कारण बर्बाद हो गए। जब नल सूख जाते हैं, तो सभ्यता की परतें भी दरकने लगती हैं।अब वक्त है कि सरकारें और नागरिक दोनों जल संरक्षण को केवल नारा नहीं, राष्ट्रीय जिम्मेदारी मानें। तेहरान की प्यास अगर हमें नहीं जगा पाई तो अगली बारी किसी और शहर की हो सकती है।
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