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July 21, 2025

7 जून 1893 के दिन साउथ अफ्रीका में घटी वो घटना, जिसने गांधी और सत्याग्रह को जन्म दिया 

The CSR Journal Magazine
Gandhi-Satyagrah: बात साल 1893 की है, जब मोहनदास करमचंद गांधी गुजरात के राजकोट में वकालत की प्रैक्टिस किया करते थे। इसी दौरान दक्षिण अफ्रीका से सेठ अब्दुल्ला ने उन्हें अपना मुकदमा लड़ने के लिए अपने वतन बुलाया। गांधी जी पानी के जहाज पर सवार होकर दक्षिण अफ्रीका के Durbin पहुंचे, और फिर यहां से 7 जून 1893 Pretoria के लिए ट्रेन पकड़ी। गांधी जी के पास फर्स्ट क्लास का टिकट था, लेकिन जब ट्रेन Pietermaritzburg railway station पहुंचने वाली थी तो उन्हें भारतीय होने की वजह से थर्ड क्लास वाले डिब्बे में जाने के लिए कहा गया क्योंकि वो गोरों के लिए आरक्षित ट्रेन के डिब्बे में थे। लेकिन गांधी जी ने इस बात को मानने से इंकार कर दिया क्योंकि उनके पास टिकट था। लेकिन जब ट्रेन Pietermaritzburg railway station पर पहुंची तो उन्हें जबरदस्ती ट्रेन से उतर दिया गया। गांधीजी के साथ ऐसा केवल इसलिए किया गया क्योंकि वो अश्वेत थे। इस घटना ने बैरिस्टर गांधी के मन पर इतना गहरा असर किया कि उन्होंने ठान ली कि वो अन्याय के खिलाफ तब तक लड़ेंगे जब तक अश्वेतों को उनका हक़ नहीं मिल जाता।

पीटरमारिट्जबर्ग स्टेशन पर हुआ गांधी के सत्याग्रह का जन्म

Gandhi-Satyagrah: गोरों ने गांधी को जबरदस्ती पीटरमारिट्जबर्ग स्टेशन पर उतार दिया। कड़कड़ाती ठंड में बैरिस्टर गांधी पीटरमारिट्जबर्ग स्टेशन के वेटिंग रूम में पहुंचे और वो ये ही सोचते रहे कि ऐसा उनके साथ क्यों किया गया? क्या उन्हें भारत वापस चले जाना चाहिए, या फिर भारतीयों के साथ यहां हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए?  यह उन पर पहला नस्लभेदी (Racism) प्रहार था, जिसे वो बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे। आखिरकार गांधी ने फैसला किया कि वो भारतीयों के लिए संघर्ष करेंगे और इसी के बाद जन्म हुआ ‘सत्याग्रह’ का, जिसका अर्थ था अन्याय के खिलाफ शांतिपूर्वक लड़ाई लड़ना! रात भर में जो उन्होंने मंथन किया, उस मंथन ने सुबह तक उनके मन में सत्याग्रह यानि अन्याय के खिलाफ लड़ने की भावना जगा दी और यहीं से बैरिस्टर गांधी ने महात्मा गांधी बनने की ओर अपना पहला कदम उठाया।
7 जून, 1893 को जो घटना बैरिस्टर गांधी के साथ हुई उसी घटना ने भारत के सबसे बड़े आन्दोलन को जन्म दिया। उस दिन बैरिस्टर गांधी को भी ये नहीं पता होगा कि उनके द्वारा किया गया निर्णय एक दिन भारत की आजादी का अहम हथियार बनेगा और दुनिया ये जान सकेगी कि शांति को हथियार बना कर भी बड़ी से बड़ी सत्ता की नींव हिलाई जा सकती है।

दक्षिण अफ्रीका में गांधी को कई बार भेदभाव का करना पड़ा सामना

Gandhi-Satyagrah: दक्षिण अफ्रीका में गांधी को कई बार भेदभाव का सामना करना पड़ा। जब गांधी ने अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई तो अफ्रीका में कई होटलों में उनकी एंट्री रोक दी गई। दक्षिण अफ्रीका में गांधी को एक बार घोड़ागाड़ी में अंग्रेज यात्री के लिए सीट नहीं छोड़ने पर पायदान पर बैठकर यात्रा करनी पड़ी थी। यही नहीं, चालक ने उन्हें मारा भी था। 1893 से लेकर 1914 तक महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में नागरिक अधिकारों के लिए आंदोलन करते रहे। गांधी की बातों का असर वहां के पीड़ित लोगों पर हुआ और देखते ही देखते वो सभी गांधी के साथ आ खड़े हुए। ये वो दौर था जब एकता ने खामोशी के साथ अपनी ताकत दिखाई और इस आंदोलन ने इतिहास रच दिया। 1915 में गांधी भारत लौटे और फिर आजादी का जो आंदोलन उन्होंने चलाया उसी ने हमें अंग्रेजों से आजाद कराया।

7 जून 2018 को अफ्रीका में मनाया गया खादी उत्सव

7 जून 2018 को, दक्षिण अफ्रीका के पीटरमैरिट्जबर्ग रेलवे स्टेशन पर महात्मा गांधी की ट्रेन से निष्कासन की 125वीं वर्षगांठ मनाई गई। इस ऐतिहासिक घटना ने गांधीजी को सत्याग्रह के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया था। इस अवसर पर खादी, गांधीजी के स्वदेशी आंदोलन और आत्मनिर्भरता के प्रतीक के रूप में, समारोह का केंद्र बिंदु रहा। Gandhi-Satyagrah: खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) द्वारा 400 मीटर खादी कपड़ा प्रदान किया गया, जिससे ट्रेन के डिब्बों, इंजन, मंच और स्टेशन के कुछ हिस्सों को सजाया गया। यह सजावट गांधीजी के खादी प्रेम और स्वदेशी आंदोलन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की मिसाल थी।
भारत की तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पेंट्रिच स्टेशन से पीटरमैरिट्जबर्ग तक एक प्रतीकात्मक ट्रेन यात्रा की, जिसमें लगभग 300 गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए। इस यात्रा के दौरान ट्रेन को खादी से सजाया गया था, जो गांधीजी के आत्मनिर्भरता के संदेश का प्रतीक था। समारोह में गांधीजी की एक द्विमुखी प्रतिमा का अनावरण किया गया, जिसमें एक ओर युवा बैरिस्टर गांधी और दूसरी ओर महात्मा गांधी को दर्शाया गया है। इस प्रतिमा को ‘सत्याग्रह का जन्म’ नाम दिया गया है, जो गांधीजी की नैतिक यात्रा का प्रतीक है।
पीटरमैरिट्जबर्ग रेलवे स्टेशन पर महात्मा गांधी डिजिटल संग्रहालय का उद्घाटन किया गया, जिसमें इंटरएक्टिव स्क्रीन, वीडियो और ऑडियो कमेंट्री के माध्यम से गांधीजी के जीवन और सत्याग्रह आंदोलन की जानकारी दी गई। इस अवसर पर ‘The Birth Of Satyagrah‘ नामक कॉफी टेबल बुक का विमोचन किया गया, जिसमें गांधीजी के सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत और उसके प्रभावों का वर्णन किया गया है।

भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच संबंधों का उत्सव

यह समारोह भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच कूटनीतिक संबंधों की 25वीं वर्षगांठ और नेल्सन मंडेला की जन्म शताब्दी के अवसर पर भी आयोजित किया गया, जो दोनों देशों के साझा इतिहास और गांधीजी की विरासत को सम्मानित करता है। 7 जून 2018 को पीटरमैरिट्जबर्ग रेलवे स्टेशन पर गांधीजी के खादी प्रेम और सत्याग्रह आंदोलन की स्मृति में एक भव्य और अर्थपूर्ण समारोह आयोजित किया गया, जो उनके सिद्धांतों और विचारों को आज भी प्रासंगिक बनाता है।

पीएम मोदी ने याद किया गांधी को

साल 2016 में दक्ष‍िण अफ्रीका दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यात्रा के अंतिम दिन के दौरान एक ऐतिहासिक ट्रेन यात्रा के साक्षी बने. उन्होंने डर्बन से महात्मा गांधी के सत्य अंहिसा के संदेश को एक बार फिर से दोहराया। मोदी ने कहा, “दक्षिण अफ्रीका की मेरी यात्रा मेरे लिए तीर्थयात्रा की तरह बन गई है, क्योंकि मुझे उन तीनों स्थानों पर जाने का अवसर मिला है जो भारतीय इतिहास और महात्मा गांधी के जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं।”

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