BR Gavai Landmark Judgments: न्यायमूर्ती गवई आज भारत के 52 वें मुख्य न्यायाधीश बन गए हैं। बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले में जन्मे देश के पहले बौद्ध मुख्य न्यायाधीश हैं। उनका कार्यकाल सीजेआई के रूप में 23 नवंबर, 2025 तक का है। गौरतलब है कि जस्टिस गवई इससे पहले भी अपने कई फैसलों की वजह से चर्चा में रहे हैं। आइए नजर डालते हैं उनके 5 कुछ अहम और चर्चित फैसलों पर, जिन्होंने उन्हें घर-घर में चर्चित कर दिया। SC CJI BR Gavai Landmark Judgments in Hindi
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को मंजूरी
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को मंजूरी देने वालों की तीन-न्यायाधीशों की पीठ में जस्टिस गवई भी शामिल थे। इस परियोजना का काफी विरोध हो रहा था, जिस पर फैसला सुनाते हुए देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि ‘ये प्रोजेक्ट किसी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं करता है।’
महाराष्ट्र राजनीतिक संकट
महाराष्ट्र राजनीतिक संकट महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट के बीच उभरे विवाद के बाद राज्यपाल ने फ्लोर टेस्ट बुलाया था लेकिन इससे पहले ही उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया था। जिस पर काफी बवाल मचा था इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिस पर कोर्ट ने कहा था कि ‘ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना ही नहीं किया बल्कि इस्तीफा दे दिया। ऐसे में अदालत इस्तीफा रद्द नहीं कर सकती है।’ इस मामले की सुनवाई जिस पीठ ने की थी,उसमे जस्टिस गवई भी शामिल थे।
नोटबंदी
(CJI BR Gavai) सरकार ने साल 2016 में 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट को बंद करने का ऐलान किया था। जिसके खिलाफ कुछ लोग कोर्ट पहुंचे थे, इन याचिकाओं पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने की थी, जिन्होंने सारी याचिकाएं खारिज की थी। इन पांच जजों की पीठ में जस्टिस गवई शामिल थे।
अनुच्छेद-370
केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म किया था। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई थी, तब इस मामले की सुनवाई CJI डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली 5 जजों की बेंच ने किया था, जिसमें बीआर गवई भी एक थे। सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्ति पारदर्शिता मामला (CJI BR Gavai) जस्टिस गवई उस बेंच का हिस्सा रहे हैं जिन्होंने कॉलेजियम सिस्टम की स्वतंत्रता को बरकरार रखा था।
बुलडोजर कार्रवाई पर रोक
2024 साल 2024 में, जस्टिस गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि केवल आरोपी या दोषी होने के आधार पर किसी की भी संपत्ति पर बुलडोजर चलाना सही नहीं है, ये असंवैधानिक हैं।