जापान के लिए 21 अक्टूबर 2025 का दिन बेहद खास रहा जब जापानी संसद ने Sanae Takaichi को देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में चुना। Sanae Takaichi 64 वर्ष की हैं, और मुख्य रूप से कंजरवेटिव (उल्ट्रा-कंजरवेटिव) विचारधारा की राजनेत्री मानी जाती हैं। वे Liberal Democratic Party (LDP) की अध्यक्ष भी बनीं हैं, जो जापान की मुख्य राजनीतिक पार्टी है।
जापान को मिली पहली महिला प्रधानमंत्री Sanae Takaichi
टोक्यो: जापान ने आज अपने राजनीतिक इतिहास का एक नया अध्याय लिखा। 64 वर्षीय Sanae Takaichi को देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में संसद ने चुना। संसद के निचले सदन में हुए मतदान में Sanae Takaichi को 237 मत प्राप्त हुए, जो बहुमत से चार अधिक थे। ऊपरी सदन में भी उन्हें आवश्यक समर्थन मिला, जिसके बाद उन्होंने देश की 104वीं प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। जापान की संसद ने मंगलवार को अति-रूढ़िवादी Sanae Takaichi को देश की पहली महिला प्रधानमंत्री चुना। ‘लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी’ की प्रमुख 64 वर्षीय ताकाइची प्रधानमंत्री के रूप में शिगेरु इशिबा की जगह लेंगी, जिन्हें दो बार चुनावी हार के बाद मजबूरन इस्तीफा देना पड़ा। ताकाइची के नाम पर संसद की मुहर लगने के साथ ही लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी की भयानक चुनावी हार के बाद से तीन महीने से चल रहा राजनीतिक शून्य खत्म हो गया है।
Sanae Takaichi:
– First female Prime Minister of Japan
– The first female ruler of Japan since Empress Go-Sakuramachi in 1771
– First Prime Minister from Nara Prefecture
– First Prime Minister from the Kansai Region since Sōsuke Uno in 1989 pic.twitter.com/QpJG6jsTxw— 由仁アリン Arin Yuni (@Arin_Yumi) October 21, 2025
Sanae Takaichi की राजनीतिक पृष्ठभूमि
Sanae Takaichi लंबे समय से जापान की सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) के प्रमुख चेहरों में रही हैं। पार्टी को हाल के चुनावों में करारी हार और गठबंधन टूटने का सामना करना पड़ा था। पूर्व गठबंधन सहयोगी कोमेतो पार्टी ने भ्रष्टाचार और नीतिगत मतभेदों के चलते साथ छोड़ दिया था, जिसके बाद पार्टी नेतृत्व में बदलाव की मांग उठी। ऐसे माहौल में Sanae Takaichi ने मजबूत नेतृत्व और स्थिर शासन का वादा करते हुए पार्टी अध्यक्ष पद जीता और प्रधानमंत्री पद तक पहुंची। इसके पहले एक वर्ष तक प्रधानमंत्री रहे इशिबा ने आज मंगलवार को ही अपने मंत्रिमंडल के साथ इस्तीफा दे दिया, जिससे उनके उत्तराधिकारी के लिए रास्ता साफ हो गया।
Sanae Takaichi की राजनीतिक नीतियां और विचारधारा
Sanae Takaichi को जापान की राजनीति में एक दक्षिणपंथी (रूढ़िवादी) नेता के रूप में जाना जाता है। उनका मानना है कि जापान को अपनी सुरक्षा-नीति को सशक्त बनाना चाहिए और युद्धोत्तर शांति-संविधान में आवश्यक संशोधन किए जाने चाहिए।
वे सामाजिक दृष्टिकोण से पारंपरिक विचार रखती हैं, समान-लिंग विवाह और विवाहित दंपतियों के अलग-अलग उपनाम रखने जैसे मुद्दों का वे विरोध करती रही हैं। आर्थिक दृष्टि से, उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबेकी “एबेनोमिक्स” नीति को आगे बढ़ाने की बात कही है। उनका कहना है कि जापान को कर-कटौती और सार्वजनिक निवेश बढ़ाकर विकास को गति देनी चाहिए।
आर्थिक व कूटनीतिक चुनौतियां
Sanae Takaichi के सामने सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक अस्थिरता और घटते उपभोक्ता-विश्वास को पुनर्स्थापित करना होगी। जापान पर सार्वजनिक ऋण का भारी बोझ है, वहीं मुद्रास्फीति भी बढ़ रही है। विदेश नीति के मोर्चे पर उन्हें चीन, दक्षिण कोरिया और अमेरिका के साथ संतुलन साधने की चुनौती का सामना करना होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि उनकी “जापान फर्स्ट” नीति से पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में नई दिशा देखने को मिल सकती है।
ऐतिहासिक महत्व
Sanae Takaichi का प्रधानमंत्री बनना जापानी राजनीति में एक ऐतिहासिक क्षण है। जापान जैसे विकसित देश में, जहां अब तक केवल पुरुष ही सर्वोच्च पद तक पहुंचे थे, वहां पहली महिला प्रधानमंत्री का पदभार संभालना सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक माना जा रहा है। हालांकि आलोचकों का कहना है कि Sanae Takaichi की पारंपरिक नीतियां लैंगिक समानता को नई दिशा नहीं दे पाएंगी, फिर भी यह कदम जापान के राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव की शुरुआत है।
बदलाव पर जनता की प्रतिक्रिया
टोक्यो की सड़कों पर नागरिकों ने इस फैसले का स्वागत किया। कई महिलाओं ने इसे “नए युग की शुरुआत” बताया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अमेरिका, भारत, यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया ने Sanae Takaichi को बधाई दी है। विश्लेषकों का मानना है कि उनका कार्यकाल न केवल जापान की नीति-दिशा बल्कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र के राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित करेगा।
Sanae Takaichi का नाम जापानी राजनीति में एक मील का पत्थर है, प्रथम महिला प्रधानमंत्री के रूप में। लेकिन उनके कार्यकाल की सफलता मात्र इस ऐतिहासिक बिंदु से तय नहीं होगी, बल्कि यह इस बात पर निर्भर करेगी कि वे वास्तव में किस प्रकार देश की आर्थिक व सामाजिक चुनौतियों से निपटती हैं, गठबंधन-राजनीति को स्थिर करती हैं, और जापान को बदलते वैश्विक परिवेश में कैसे सुदृढ़ स्थान देती हैं।
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