Thecsrjournal App Store
Thecsrjournal Google Play Store
March 15, 2025

Ranthambore Tiger Reserve ने बनाया रिकॉर्ड: सबसे घनी बाघ आबादी वाला टाइगर रिजर्व बना 

Ranthambore Tiger Reserve: रणथंभौर टाइगर रिजर्व देश के बेहतरीन टाइगर रिजर्व में शुमार है, जिसके नाम अब एक और रिकॉर्ड बना है।‌ रणथंभौर टाइगर रिजर्व देश की सबसे घनी Tiger आबादी वाला टाइगर रिजर्व बन गया है। रणथंभौर की एक चौथाई आबादी शावकों की है।

करीब 940 वर्ग किमी में फैला Ranthambore Tiger Reserve

RanthamboreTiger Reserve कुल 939.14 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जिसमें करीब 600 वर्ग किलोमीटर कोर एरिया कहा जाता है, बाकि इलाका बफर एरिया कहा जाता है। यूं तो रणथंभौर टाइगर रिजर्व प्रथम का क्षेत्रफल करीब 1068 वर्ग किलोमीटर है, लेकिन इसमें 128 वर्ग किलोमीटर का इलाका पालीघाट चंबल घड़ियाल का शामिल हैं। ऐसे में Ranthambore में केवल 940 वर्ग किलोमीटर में टाइगर रहते हैं। फिलहाल रणथंभौर में 23 बाघ, 25 बाघिन और 18 शावक है। रणथंभौर टाइगर रिजर्व प्रथम में कुल 66 बाघ, बाघिन और शावक है। Ranthambore में एक बाघ, बाघिन के हिस्से में महज 14.25 वर्ग किलोमीटर का इलाका आता है, जिसके चलते रणथंभौर देश का सबसे घनी टाइगर आबादी वाला टाइगर रिजर्व बन गया है, जिसमें करीब 27.27% आबादी शावकों की है।

पिछले 2 साल में जन्मे 18 शावक

23 फरवरी 2025 को बाघिन T 122 ने 4 शावकों जन्म दिया। 12 फरवरी 2025 को रणथंभौर की कुंडेरा रेंज में बाघिन RBT-103 ने 2 शावकों को जन्म दिया है। 9 सितंबर 2024 बाघिन सिद्धि टी-125 की 3 नये शावकों के साथ फोटो रणथंभौर की कुण्डेरा रेंज में लगे वन विभाग के फोटो ट्रैप कैमरे में कैद हुई, लेकिन इसमें से एक शावक की मौत हो गई। 25 मई 2023 को Ranthambore की खण्डार रेंज में बाघिन टी-69 ने 2 शावकों को जन्म दिया, जिसमें से 1 शावक की मौत हो गई। 16 जुलाई 2023 को रणथंभौर की बाघिन टी-124 ने 3 शावकों को जन्म दिया। जुलाई 2023 में ऐरोहेड ने चौथी बार 3 शावकों को जन्म दिया। 25 सितंबर 2023 बाघिन सुल्ताना ने 3 शावकों को जन्म दिया।

Ranthambore है राजस्थान की Tiger Factory

Ranthambore को राजस्थान की ‘Tiger Factory’ कहना ग़लत नहीं होगा। ‘Tiger Factory’ इसलिए कि दूसरे टाइगर रिजर्व में यहीं के Tigers की संतानें हैं। देश में Tiger Project की शुरुआत साल 1973 में हुई थी। इसी साल Ranthambore राजस्थान का पहला Tiger Reserve बना। इससे पहले रणथम्भौर को पहली सेंचुरी होने का गौरव भी प्राप्त है। साल 1980 में रणथम्भौर टाइगर रिजर्व को National Park का दर्जा मिला। वहीं दुनिया का पहला Air Tiger Relocation भी रणथम्भौर से ही हुआ था। साल 2008 में यहां से टाइगर को Tranquilize कर सरिस्का के लिए भेजा गया। रणथम्भौर से अब तक कुल 20 बाघों को री-लोकेट किया जा चुका है। रणथम्भौर टाइगर रिजर्व बाघों की नर्सरी साबित हो रहा है। बीते वर्षों में रणथम्भौर के Tigers ने अलवर के Sariska, कोटा के Mukundara और बूंदी के Ramgadh Vishdhari Reserve को भी आबाद किया है। इस तरह से प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व में इन दिनों रणथम्भौर के बाघों का कुनबा फलफूल रहा है।

ऐसा बनाता है टाइगर अपनी टेरेटरी

टाइगर अपनी टेरेटरी पेड़ों पर स्प्रे (पेशाब) करके बनाता है। जो ज्यादा ताकतवर टाइगर होते हैं, वो पेड़ों पर अपने पंजों से निशान बनाकर भी टेरेटरी बनाते हैं।‌ इस टेरेटरी में कोई दूसरा टाइगर नहीं आता है। अगर इस टेरेटरी में कोई दूसरा टाइगर आ जाता है तो दोनों टाइगरों के बीच फाइट होती है। इसे Territorial Fight कहा जाता है। अमूमन टाइगर के रहने के लिए 25 से 30 वर्ग किलोमीटर का इलाका होता है।‌ टाइगर के इलाके को Territory कहा जाता है। इस टेरेटरी में टाइगर दूसरे टाइगर को बर्दाश्त नहीं करता है।

 नए शावकों के जन्म लेने से कम पड़ रहा इलाका

वन्यजीव एक्सपर्ट मुकेश शीट का कहना है कि जिस तरह से Ranthambore में शावकों का जन्म हो रहा है, यह बहुत ही राहत भरी खबर है। लेकिन, यह भी सच है कि उनकी टेरिटरी के लिए जगह भी कम पड़ेगी। एक बाघ 2 साल तक अपनी मां के साथ रहता है। लेकिन, शावक 2 साल के होते ही अपनी Territory की तलाश में जुट जाते हैं। इस दौरान कई बार टेरिटरी के लिए किसी अन्य बाघ से उनका टकराव होना लाजिमी है। अक्सर देखने को मिला है कि शावक से युवा हुए 2 से 3 साल के बाघ पर हमेशा 5, 6 या 7 साल के बाघ फाइट में भारी पड़ते हैं। ranthambore National Park में करीब 75 बाघ-बाघिनें मौज-मस्ती करते नजर आते हैं, लेकिन कई बार इनके बीच क्षेत्रीय लड़ाई भी देखने को मिलती है। वे किसी दूसरे बाघ को अपने इलाके में चहलकदमी करते नहीं देख पाते। इसी वजह से रणथंभौर नेशनल पार्क के कई रेजों में ऐसी क्षेत्रीय लड़ाइयों में कई बाघों की जान जा चुकी है। इन लड़ाइयों में एक टाइगर दूसरे टाइगर को खदेड़कर अपने इलाके से बाहर का रास्ता दिखा देता है।
वहीं दूसरी ओर इस राष्ट्रीय उद्यान के खंडार रेंज में एक अजीब नजारा लगातार देखने को मिल रहा है, जिसकी लोग अक्सर कल्पना भी नहीं करते। यहां एक ही इलाके में कई बाघ आते-जाते रहते हैं, लेकिन वे आपस में लड़ते नहीं हैं। इसे देखकर न सिर्फ पर्यटक, बल्कि वन्यजीव प्रेमी भी काफी उत्साहित हैं। इस रेंज में करीब 10 नर बाघ हैं, जो 150 वर्ग किलोमीटर के दायरे में आराम से रहते हैं। वे एक-दूसरे के इलाके में भी घुस जाते हैं। Ranthambore National Park के वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. धर्मेंद्र खांडल ने बताया कि खंडार रेंज के अंतर्गत ठुमका नकदी, छदाली, गिलाई सागर, इंडाला, जेलखोह, लाहपुर आदि वन क्षेत्र आते हैं। इन क्षेत्रों में बाघ T 123, T 137, T 129, T 2304, T 2406, T96, T132 , टी 2306 सहित मौज मस्ती से घूमते हैं।

Latest News

Popular Videos