केंद्र सरकार की डिजिटल इंडिया योजना भले ही जनता को कैशलेस और पारदर्शी लेन-देन की ओर बढ़ाने का सपना दिखा रही हो, लेकिन भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (IRCTC) इस मुहिम पर ही पानी फेरता दिख रहा है। पुणे के व्यवसायी और आरटीआई कार्यकर्ता प्रफुल्ल सारडा ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है, जिसमें IRCTC पर UPI के ज़रिए टिकट बुकिंग करने वाले यात्रियों से ₹2,302 करोड़ की जबरन वसूली का आरोप है। IRCTC UPI Charges RTI
डिजिटल पेमेंट करने पर ‘सज़ा’ क्यों?
प्रफुल्ल सारडा ने RTI के माध्यम से जो दस्तावेज़ सामने रखे हैं, उनके मुताबिक IRCTC ने सामान्य श्रेणी (नॉन-एसी) टिकट पर ₹10 और एसी टिकट पर ₹20 का अतिरिक्त शुल्क इसलिए वसूला क्योंकि यात्रियों ने UPI या BHIM App जैसे डिजिटल माध्यम से भुगतान किया। जबकि सरकार खुद डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दे रही है, ऐसे में एक सरकारी उपक्रम द्वारा डिजिटल लेन-देन करने पर यात्रियों से अतिरिक्त शुल्क लेना न सिर्फ विरोधाभासी है, बल्कि डिजिटल इंडिया की मूल भावना के विपरीत भी है। IRCTC surcharge on UPI
तीन सालों में लूटी गई जनता की गाढ़ी कमाई?
प्रफुल्ल सारडा के मुताबिक, पिछले तीन वित्त वर्षों में IRCTC ने निम्नलिखित औसत टिकट बुकिंग दर्ज की –
2023–24: प्रतिदिन 12.38 लाख टिकट
2022–23: प्रतिदिन 11.82 लाख टिकट
2021–22: प्रतिदिन 11.44 लाख टिकट
इन तीन वर्षों के दौरान डिजिटल पेमेंट के नाम पर IRCTC ने ₹1,951 करोड़ की वसूली की। इसके ऊपर से ₹351 करोड़ का GST भी लिया गया। यानी कुल मिलाकर यात्रियों की जेब से ₹2,302 करोड़ निकाले गए। प्रफुल्ल सारडा ने तीखा सवाल उठाते हुए कहा, “हर दिन लाखों टिकट डिजिटल पेमेंट से बुक होते हैं और IRCTC ने इसे ‘डिजिटल डकैती’ का ज़रिया बना लिया है।”
डिजिटल इंडिया या डिजिटल शोषण?
जब केंद्र सरकार ‘डिजिटल इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिए लोगों को कैशलेस सिस्टम अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, ऐसे में IRCTC जैसे संस्थानों द्वारा डिजिटल पेमेंट पर जुर्माना लगाना न सिर्फ नीति की असफलता है, बल्कि नागरिकों के साथ धोखा भी है। प्रफुल्ल सारडा ने सरकार से यह मांग की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव इस मामले में तत्काल संज्ञान लें और IRCTC को यह अवैध वसूली बंद करने के सख्त आदेश दें। उन्होंने आगे कहा, “डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन जब उसी सरकार की एजेंसियां जनता को डिजिटल होने की ‘सज़ा’ देती हैं, तो जनता का भरोसा टूटता है।”
Digital India की ये है Reality
इस खुलासे के बाद सवाल उठता है कि क्या सरकार IRCTC से जवाब मांगेगी? क्या जनता से वसूले गए ये ₹2,302 करोड़ लौटाए जाएंगे? और सबसे अहम, क्या अब डिजिटल पेमेंट करने वालों पर किसी भी प्रकार का “सर्विस चार्ज” नहीं लिया जाएगा? देश की नजरें इस मुद्दे पर टिकी हैं, क्योंकि यह केवल एक आर्थिक सवाल नहीं, बल्कि नीति और नैतिकता का सवाल है।