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June 29, 2025

Puri Rath Yatra Stampede: पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा के बाद भगदड़, 3 की मौत, 50 लोग घायल

Puri Rath Yatra Stampede: सदियों पुरानी परंपरा और लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक जगन्नाथ रथयात्रा इस बार एक दर्दनाक हादसे के साथ चर्चा में आ गई। रविवार तड़के करीब 4 बजे पुरी के गुंडिचा मंदिर के सामने भगदड़ मचने से 3 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 50 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। 6 की हालत गंभीर बताई जा रही है। हादसा उस वक्त हुआ जब भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष रथ गुंडिचा मंदिर पहुंच चुका था और हजारों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए उमड़ पड़े थे। पहले ही बलभद्र और सुभद्रा के रथ वहां पहुंच चुके थे, लेकिन जैसे ही जगन्नाथ रथ भी आ पहुंचा, लोगों में उसे देखने की होड़ मच गई और स्थिति बेकाबू हो गई।

कैसे हुआ हादसा, एक नजर में पूरा घटनाक्रम

Jagannath Rath Yatra Accident: रविवार सुबह 4 बजे के करीब, गुंडिचा मंदिर के सामने भारी भीड़ जमा थी। भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष रथ पहुंचने के बाद श्रद्धालु अचानक तेजी से रथ के पास भागने लगे। इस भीड़ में कई लोग एक-दूसरे पर गिर पड़े और अराजकता की स्थिति बन गई। मौके पर पर्याप्त पुलिस बल और बैरिकेडिंग नहीं थी, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। मृतकों की पहचान बसंती साहू (36), प्रेमकांति महांति (78) और प्रभाती दास के रूप में हुई है। तीनों के शव पुरी मेडिकल कॉलेज में रखे गए हैं।

गंभीर घायलों का इलाज जारी, अस्पताल में परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल

घायलों को तुरंत पुरी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां 6 लोगों की हालत नाजुक बनी हुई है। अस्पताल के बाहर बड़ी संख्या में परिजन जुटे हैं और कई अपने परिजनों को खो देने के बाद बिलखते नजर आए। Rath Yatra Crowd Mismanagement

पहले भी हुई हैं ऐसी घटनाएं, लेकिन नहीं सीखा सबक

पुरी रथयात्रा के दौरान भीड़ प्रबंधन की समस्या नई नहीं है। इससे पहले भी कई बार भगदड़ जैसी घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन प्रशासन ने कोई स्थायी समाधान नहीं किया।

2024 की रथयात्रा में भी 2 मौतें

पिछले साल 2024 में भी 7 जुलाई को भगदड़ में 2 श्रद्धालुओं की जान चली गई थी और दर्जनों घायल हुए थे। उस वक्त भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ और पर्याप्त प्रबंधन के अभाव में हालात बेकाबू हो गए थे।

2008 में 6 श्रद्धालुओं की मौत

4 जुलाई 2008 को सिंहद्वार के सामने भगवान के रथ बाहर लाते वक्त भगदड़ मच गई थी, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई थी। इनमें 3 महिलाएं भी शामिल थीं।

शुक्रवार को भी बिगड़ी थी श्रद्धालुओं की तबीयत

इससे पहले शुक्रवार (27 जून) को देवी सुभद्रा के रथ के पास भी अत्यधिक भीड़ के चलते 625 से ज्यादा श्रद्धालुओं की तबीयत बिगड़ गई थी। इनमें से 70 लोगों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा और 9 की हालत गंभीर थी। शनिवार को भी यात्रा के दौरान एक श्रद्धालु की तबीयत बिगड़ने पर रेस्क्यू टीम को उसे स्ट्रेचर पर अस्पताल तक पहुंचाना पड़ा।

रथ यात्रा का कार्यक्रम और भीड़ का दबाव

पुरी की रथयात्रा में तीनों देवताओं के रथों को गुंडिचा मंदिर तक लाया जाता है, जहां वे 9 दिन तक ठहरते हैं। शुक्रवार 27 जून को रथयात्रा की शुरुआत हुई। सबसे पहले बलभद्र, फिर सुभद्रा और अंत में भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचा गया। शनिवार दोपहर तक तीनों रथ गुंडिचा मंदिर पहुंच गए। रविवार तड़के जब अंतिम रथ (जगन्नाथ) के दर्शन के लिए भक्त पहुंचे, तभी हादसा हुआ।

प्रशासन पर उठे सवाल, श्रद्धालुओं में रोष

श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन ने इस बार भीड़ के अनुमान से कम पुलिस बल तैनात किया था और रथ के पास बैरिकेडिंग भी पर्याप्त नहीं थी। एक चश्मदीद ने बताया, “हम सुबह 3 बजे से लाइन में थे, लेकिन जैसे ही भगवान का रथ सामने आया, सभी एक साथ आगे बढ़ने लगे। वहां कोई कंट्रोल करने वाला नहीं था।” अब तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक मुआवजा या जांच समिति की घोषणा नहीं की गई है। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री नवीन पटनायक स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई है।

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