महाराष्ट्र के पुणे में रविवार को गटारी के मौके पर एक अनोखा और चर्चा में रहा आयोजन देखने को मिला। पुणे महानगरपालिका (Pune Mahanagarpalika – Pune Municipal Corporation) चुनाव से ठीक पहले पार्षद बनने की तैयारी कर रहे एक स्थानीय दंपती ने लोगों को लुभाने के लिए 5,000 किलो मुफ्त चिकन बांटा। इस आयोजन का उद्देश्य भले ही “सामाजिक सेवा” और “समाज को सशक्त बनाना” बताया गया हो, लेकिन राजनीतिक हलकों में इसे चुनावी प्रचार का हथकंडा माना जा रहा है।
कौन हैं आयोजनकर्ता जिन्होंने बांटा Free Chicken?
इस अनोखे कार्यक्रम के पीछे थे धनोरी इलाके के रहने वाले धनंजय जाधव और पूजा जाधव, जो पुणे महानगरपालिका चुनाव में पार्षद पद के दावेदार बताए जा रहे हैं। उन्होंने गटारी रविवार पर लोगों को आकर्षित करने के लिए ये योजना बनाई। आयोजन में धनोरी, श्रमिकनगर, भैरवनगर, सादबानगर, मुंजाबावस्ती, परांडेनगर और जकात नाका जैसे इलाकों में चिकन बांटा गया।
Free Chicken पाने के लिए आधार कार्ड से एंट्री, फिर मची भगदड़
कार्यक्रम की शुरुआत में नियम था कि चिकन पाने के लिए आधार कार्ड दिखाना और रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा। लेकिन जैसे ही इस मुफ्त चिकन वितरण की खबर फैली, सैकड़ों की संख्या में लोग उमड़ पड़े। हालात इतने बिगड़े कि आयोजकों को आधार कार्ड और रजिस्ट्रेशन की शर्तें हटानी पड़ीं। आयोजकों का कहना था कि हमने सामाजिक एकता और परंपरा के तहत ये आयोजन किया था, लेकिन भीड़ उम्मीद से कहीं ज्यादा थी।
Free Chicken पाने के लिए 100 मीटर से भी लंबी लगी लाइनें
चिकन पाने की होड़ ऐसी थी कि कई इलाकों में 100 मीटर से भी लंबी कतारें लग गईं। लोगों का उत्साह तो देखने लायक था, लेकिन व्यवस्था पूरी तरह लड़खड़ा गई। कुछ जगहों पर धक्का-मुक्की और अव्यवस्था की भी खबरें आईं, लेकिन किसी के घायल होने की सूचना नहीं मिली है।
क्यों मनाया जाता है गटारी रविवार? What is Gatari in Maharashtra
गटारी रविवार श्रावण मास शुरू होने से एक दिन पहले मनाया जाता है, जिसमें लोग मांस-मदिरा का सेवन कर अपनी इच्छाओं को शांत करते हैं, क्योंकि श्रावण मास में कई लोग इन चीजों से परहेज रखते हैं। इस परंपरा के तहत ही जाधव दंपती ने यह आयोजन रखा।
चुनावी रणनीति या सामाजिक सेवा?
हालांकि आयोजकों ने इस आयोजन को “धार्मिक और सामाजिक भावना” से प्रेरित बताया है, लेकिन आम लोग और विपक्ष इसे खुला चुनाव प्रचार मान रहे हैं। खासतौर पर तब, जब महाराष्ट्र में नगर निगम चुनाव पास हैं और यह दंपती खुद पार्षद पद के लिए दावेदारी ठोक रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि, “ऐसे आयोजनों से भीड़ तो जुटती है, लेकिन असली सेवा वही है जो पूरे साल दिखे।” पुणे का ये आयोजन न सिर्फ गटारी की परंपरा को चर्चा में ले आया, बल्कि चुनावी राजनीति के नए तौर-तरीकों पर भी सवाल खड़े कर गया। 5 हजार किलो फ्री चिकन बांटना एक ओर जहां जनता को खुश करने का तरीका दिखा, वहीं दूसरी ओर इसे चुनाव से पहले लोकप्रियता बटोरने की कोशिश भी माना जा रहा है। राजनीति में चिकन की एंट्री ने सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक बहस छेड़ दी है।