लखनऊ के Indiranagar Sector-14 से एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जिसने हर किसी को झकझोर कर रख दिया। यहां 13 साल के एक बच्चे की PUBG खेलते वक्त मौत हो गई। परिवार के होश तब उड़ गए जब बच्चे का शव कमरे के बेड पर पड़ा मिला और उसके पास रखा मोबाइल फोन अब भी PUBG गेम पर चल रहा था। यह घटना Wednesday evening की है और फिलहाल पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। मौत की वजह स्पष्ट नहीं है, लेकिन शुरुआती जांच में यह मामला gaming addiction और overexcitement during gameplay से जुड़ा माना जा रहा है।
बहनों ने दी आवाज, लेकिन नहीं मिला जवाब
जानकारी के मुताबिक, मृतक बच्चे का नाम विवेक कश्यप (13) था। वह अपने पिता लक्ष्मण कश्यप, जो कि एक glass factory में काम करते हैं, और पांच बहनों के साथ Khadakpur village में रहता था। बुधवार को रोज की तरह पिता ड्यूटी पर गए थे और दो बहनें, पिंकी और अंजू, घरों में काम करने गई थीं। शाम करीब 5:30 बजे जब दोनों बहनें लौटीं तो उन्होंने घर के बाहर से ही विवेक को आवाज लगाई। लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। कई बार पुकारने के बाद जब वे कमरे में पहुंचीं तो देखा कि विवेक बेड पर बेसुध पड़ा था और पास में ही फोन की स्क्रीन पर PUBG गेम चल रहा था। उन्होंने तुरंत पड़ोसियों की मदद से विवेक को Lohia Institute पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे dead on arrival घोषित कर दिया।
पुलिस की जांच और शुरुआती अनुमान
Indiranagar Police Station के प्रभारी सी. संजय कुमार ने बताया कि मौके पर पहुंची पुलिस टीम को कमरे में कोई संदिग्ध वस्तु या चोट का निशान नहीं मिला। हालांकि, मौत की सही वजह postmortem report के बाद ही सामने आएगी। पुलिस सूत्रों के अनुसार, परिवार ने बताया कि विवेक को mobile gaming, खासकर PUBG Mobile खेलने की लत थी। वह दिन में कई घंटे लगातार गेम खेलता रहता था। अगर उससे फोन छीन लिया जाता, तो वह चिड़चिड़ा हो जाता, रोने लगता और कई बार खाना तक छोड़ देता था।
Gaming Addiction: परिवारों के लिए चेतावनी
विवेक की मौत ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या mobile gaming addiction बच्चों की मानसिक और शारीरिक सेहत के लिए खतरा बनता जा रहा है? PUBG, Free Fire और अन्य battle royale games की लोकप्रियता बच्चों और किशोरों में लगातार बढ़ रही है, लेकिन इन खेलों का असर उनके mental balance पर गहरा पड़ रहा है।
Health experts का कहना है कि ऐसे गेम्स में dopamine release लगातार होता रहता है, जिससे दिमाग में उत्साह और तनाव दोनों एक साथ बढ़ते हैं। Heart rate, blood pressure, और stress level अचानक बढ़ जाने से कई बार cardiac arrest या shock जैसी स्थितियाँ बन जाती हैं।
विशेषज्ञों की सलाह: सीमित करें स्क्रीन टाइम
बच्चों में बढ़ती digital dependency के खतरे को देखते हुए मनोचिकित्सक सलाह देते हैं कि माता-पिता अपने बच्चों के screen time पर सख्त निगरानी रखें।
बच्चों के साथ संवाद बढ़ाएं और उन्हें offline activities में शामिल करें।
गेमिंग समय को दिन में एक निश्चित सीमा तक रखें।
बच्चों को यह समझाएं कि online games केवल मनोरंजन के लिए हैं, जीवन का उद्देश्य नहीं।
चेतावनी
विवेक की मौत सिर्फ एक परिवार के लिए नहीं, बल्कि हर उस घर के लिए चेतावनी है जहाँ बच्चे बिना निगरानी के मोबाइल पर online games खेलते हैं। एक मासूम की जिंदगी PUBG की virtual world में खो गई — यह घटना बताती है कि real life connection को बचाने के लिए हमें digital control की जरूरत है।
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