ब्रोकपा समुदाय के लोग ‘Roof Of The World’ कहे जाने वाले लद्दाख की आर्यन वैली में रहते हैं। दारचिक, दाह, हानू, गरकॉन और बियामा जैसे गांव इस समुदाय के गढ़ माने जाते हैं। इन लोगों का दावा है कि ये शुद्ध आर्य वंशज हैं। क्या सच में आखिरी ‘शुद्ध आर्य’ वंशज हैं लद्दाख के ब्रोकपा समु दाय? क्या है ‘Pregnancy Tourism’ की सच्चाई,जो इतनी चर्चा में है?
‘Pregnancy Tourism’ भारतीय पर्यटन का अनदेखा पहलू
देश में एडवेंचर टुरिज़म, इको टुरिज़म, कल्चर टुरिज़म, वाइल्डलाइफ टुरिज़म आदि जैसे टुरिज़म के कई प्रकार हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से भारत एक ऐसे टुरिज़म के लिए चर्चा में आया, जिसपर खुलकर कभी बात नहीं होती। यह है ‘Pregnancy Tourism!’ लद्दाख में एक स्थान है ‘Aryan Valley’ जहां कहा जा रहा है कि विदेशी महिलाएं गर्भधारण के लिए आती हैं।
Pregnancy Tourism और लद्दाख
Pregnancy Tourism in Ladakh: लद्दाख की खूबसूरत वादियों में बसे ब्रोकपा गांवों की चर्चा अक्सर उनके अनोखे रहन-सहन और चेहरे-मोहरे की वजह से होती है। बाकी लद्दाखी लोगों से अलग ब्रोकपा समुदाय के लोग लंबे कद, गोरी त्वचा और नीली-हरी आंखों वाले होते हैं। ये लोग सिकंदर महान की सेना से आए ‘शुद्ध आर्य’ के वंशज माने जाते हैं। कहा जाता है कि ये लोग Alexander The Great (सिकंदर महान) की सेना के वंशज हैं। इतना ही नहीं, दावा तो ये भी है कि वे दुनिया के बचे हुए आखिरी शुद्ध आर्य हैं। कहा जाता है कि सिकंदर महान जब भारत से जा रहा था, तो उसकी फौज का कुछ भाग भारत में ही रह गया था और उनके वंशज भारत में आज भी हैं। ऐसे में इस क्षेत्र में Pregnancy Tourism की चर्चाएं जोरों पर है। क्या है इन दावों की सच्चाई, आइए जानते हैं।
German महिलाओं के बीच पॉपुलर Pregnancy Tourism
चर्चा है कि पिछले कुछ सालों से यूरोप, खासकर जर्मनी से आने वाली विदेशी महिलाएं इन ब्रोकपा गांवों में सिर्फ घूमने-फिरने नहीं, बल्कि एक खास मकसद से आती हैं। ब्रोकपा पुरुषों से प्रेग्नेंट होने के लिए। उनका मानना है कि अगर ब्रोकपा पुरुषों से उन्हें संतान होगी, तो वो संतान ‘शुद्ध आर्य’ जीन लेकर पैदा होगी, जो उन्हें खास और खूबसूरत बनाएगा। सुनने में यह सब भले ही फिल्मी लगता है। लेकिन कुछ लोगों का दावा है कि यह सब एक तरह की ‘कमर्शियल डील’ के तहत होता है, जिसमें महिलाओं द्वारा पुरुषों को आर्थिक रूप से भुगतान भी किया जाता है।
मिले-जुले जवाब, दूर हकीकत
इन दावों की सच्चाई जानने के लिए पिछले दिनों में कई लोग, पत्रकार और ट्रैवल ब्लॉगर इन गांवों का दौरा कर चुके हैं। हालांकि सभी को इस बारे में मिले-जुले जवाब ही मिले हैं। कुछ स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले ऐसा हुआ करता था। कुछ विदेशी महिलाएं यहां आई थीं और कुछ खास मकसद लेकर आई थीं। लेकिन बहुत से लोगों ने इस बात को सिरे से नकार दिया। गांव के बुजुर्ग इसे अफवाह बता रहे हैं।
कितने दमदार हैं आर्यन जीन्स
ब्रोकपा समुदाय की अनोखी शक्ल-सूरत और कद-काठी ने उन्हें हमेशा बाकी लोगों से अलग किया है। लेकिन वैज्ञानिक और इतिहासकार इस बात को नहीं मानते कि वो सीधे आर्य वंशज हैं। अब तक की डीएनए रिसर्च और ऐतिहासिक प्रमाणों में ऐसा कुछ नहीं मिला है जो इस दावे को सच साबित करता हो। जाहीर है इनके दावों का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। सिर्फ लद्दाखी संस्कृति से अलग होने के कारण उन्हे आर्यन वंशज नहीं माना जा सकता। वे केवल अपनी शारीरिक बनावट और कुछ विरासत में मिली कहानियों और मिथकों के बल पर शुद्ध आर्य होने का दावा करते हैं। लेकिन इनके कोई ऐतिहासिक साक्ष्य भी नहीं हैं।
इंटरनेट युग के बाद फैली कहानियां
ब्रोकपा समुदाय के लोग ‘रूफ ऑफ द वर्ल्ड’ कहे जाने वाले लद्दाख की आर्यन वैली में रहते हैं। दारचिक, दाह, हानू, गरकॉन और बियामा जैसे गांव इस समुदाय के गढ़ माने जाते हैं। इन लोगों का दावा है कि ये सीधे आर्यन वंशज हैं। नस्लीय श्रेष्ठता से ग्रसित इस विवादित दावे को ब्रोकपा अपने सिर का ताज मानते हैं। इंटरनेट और सोशल मीडिया के पहले ब्रोकपाओं को लेकर न कोई खास जानकारी थी, न कोई क्रैज़! 2017 में भारत सरकार की ITBP (Indi-Tibetan Border Police) ने ब्रोकपा समुदाय के कुछ लोगों और उनके गांव की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा था, “लद्दाख स्थित दुर्लभ Red Aryan का घर! दारचिक में स्थित ऐतिहासिक ब्रोकपा आदिवासी समुदाय!’ इसके बाद लोगों के इस समुदाय के अस्तित्व की मिथक जानकारी मिली।
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