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October 8, 2025

PM Mudra Yojana: छोटे कारोबारियों के सपनों का पंख है प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, बिना गारंटी युवाओं को मिल रहा है 20 लाख का लोन

The CSR Journal Magazine

2015 से अब तक 52 करोड़ से ज्यादा लोन, करोड़ों लोगों को मिली नई दिशा

भारत में 8 अप्रैल 2025 को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PM Mudra Yojana) के 10 साल पूरे हो रहे हैं। 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना की शुरुआत छोटे कारोबारियों और स्वरोजगार से जुड़े लोगों को बिना गारंटी लोन (Collateral Free Loan) उपलब्ध कराने के उद्देश्य से की थी। आज यह योजना न सिर्फ वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) की मिसाल बन चुकी है, बल्कि गांव-गांव और गली-गली में उद्यमशीलता (Entrepreneurship) की नई लहर लेकर आई है।

PM Mudra Yojana: छोटे सपनों से बड़े कारोबार तक

दिल्ली की कमलेश ने घर में सिलाई का काम शुरू किया था। मुद्रा लोन से उन्होंने यूनिट बढ़ाई और तीन और महिलाओं को रोजगार दिया। वहीं, बिंदु ने रोजाना 50 झाड़ू से शुरुआत की थी और आज 500 झाड़ू प्रतिदिन बनाने वाली यूनिट की मालकिन हैं। ऐसी कहानियां अब अपवाद नहीं, बल्कि देशभर में बदलाव का चेहरा हैं। सिलाई केंद्र, चाय की दुकानें, मोबाइल रिपेयर, मैकेनिक शॉप्स और छोटे मैन्युफैक्चरिंग यूनिट हर स्तर पर लोग आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

PM Mudra Yojana के उपलब्धियों की कहानी

अप्रैल 2015 से फरवरी 2025 तक मुद्रा योजना के तहत 52 करोड़ से ज्यादा लोन स्वीकृत हुए और लगभग 32.61 लाख करोड़ रुपये का वितरण किया गया। आंकड़े बताते हैं कि कारोबार अब केवल बड़े शहरों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि छोटे कस्बों और गांवों में भी उद्यमी अपनी किस्मत बदल रहे हैं।

एमएसएमई सेक्टर को नई ताकत

एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, एमएसएमई सेक्टर में लोन फ्लो वित्त वर्ष 2014 के 8.51 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 27.25 लाख करोड़ रुपये हो गया और 2025 में इसके 30 लाख करोड़ रुपये पार करने का अनुमान है। बैंकिंग सेक्टर में एमएसएमई लोन की हिस्सेदारी अब 20% तक पहुंच चुकी है।

महिलाओं और हाशिए पर खड़े वर्गों का सशक्तिकरण

योजना के तहत अब तक 68% लाभार्थी महिलाएं रही हैं। ऋण का इस्तेमाल कर उन्होंने अपने छोटे व्यवसाय शुरू किए और रोजगार देने वाली बनीं। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी वर्ग को भी बड़ी संख्या में मुद्रा लोन मिला है। लगभग 50% खाते इन्हीं वर्गों से जुड़े हैं, जबकि 11% अल्पसंख्यक समुदायों से हैं।

शिशु से तरुण तक की यात्रा

योजना की तीन श्रेणियां—शिशु, किशोर और तरुण—के तहत लोन वितरण में लगातार बढ़ोतरी हुई है। खासतौर पर किशोर और तरुण लोन में तेजी से वृद्धि हुई है, जो दर्शाता है कि लोग सिर्फ व्यापार शुरू ही नहीं कर रहे, बल्कि उन्हें बड़े स्तर पर आगे भी बढ़ा रहे हैं।

राज्यों में अग्रणी

तमिलनाडु (3.23 लाख करोड़ रुपये) इस योजना के तहत सबसे अधिक वितरण वाला राज्य बना, इसके बाद उत्तर प्रदेश (3.14 लाख करोड़ रुपये) और कर्नाटक (3.02 लाख करोड़ रुपये) हैं। पश्चिम बंगाल, बिहार और महाराष्ट्र में भी बड़ी संख्या में लोन दिए गए हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी प्रधानमंत्री मुद्रा योजना को सराहा है। IMF ने अपनी रिपोर्टों में बताया कि यह योजना खासकर महिला उद्यमिता और छोटे व्यवसायों को बढ़ावा देने में ऐतिहासिक साबित हुई है। पिछले 10 सालों में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने दिखा दिया है कि भरोसे और अवसर से छोटे सपने भी बड़े कारोबार में बदल सकते हैं। 52 करोड़ से ज्यादा लोन और लाखों नई कहानियों के साथ यह योजना अब सिर्फ वित्तीय सहायता नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) की जमीनी ताकत बन चुकी है।
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