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महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू, पार्टियों का प्लान बी पर काम शुरू

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महाराष्ट्र में मंगलवार को राष्ट्रपति शासन की घोषणा के बावजूद ऐसा नहीं है कि सबसे बड़ी पार्टी ही सत्ता हासिल करने में जुटी है बल्कि सभी पार्टियों शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी भी अपनी सरकार बनाने की जुगत में है, हर बैठक के बाद जहाँ बीजेपी वेट एंड वॉच के मूड में थी वही अब अलग अलग समीकरणों पर काम करना शुरू कर दिया है, एनसीपी और कांग्रेस साथ सरकार बनाने की कवायद में जुटी हुई है, शिवसेना चाहती है कि एनसीपी के साथ गठबंधन की बातचीत किसी नतीजे पर पहुंचे, जिससे महाराष्ट्र में सरकार का गठन किया जा सके वहीं सूत्रों की माने तो एनसीपी ने शिवसेना के सामने सरकार बनाने के लिए वही 50-50 का फॉर्मूला रखा है, जो शिवसेना ने बीजेपी के सामने रखा था। इसका मतलब साफ है कि ढाई साल मुख्यमंत्री शिवसेना का रहेगा और ढाई साल कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन का कोई नेता सीएम की कुर्सी पर रहेगा। इस बीच पार्टीयों को जो राज्यपाल से चौबीस घंटों का समय मिलता रहा अब राष्ट्रपति शासन लगने के बाद सभी पार्टियों को लंबा समय मिल गया है।
शिवसेना नेता संजय राउत अस्पताल से डिस्चार्ज हो गए, फिर दावा किया कि शिवसेना पार्टी ही सरकार बनाएगी और सीएम शिवसेना का ही होगा, उद्धव ठाकरे कांग्रेस एनसीपी के नेताओं से मुलाकात कर रहे है साथ ही कांग्रेस और एनसीपी ने अपने पांच पांच नेताओं की कमिटी बनायीं है कि कैसे सरकार स्थापित किया जा सके। सरकार बनाने की आस रखते हुए सभी पार्टियों ने प्लान बी पर काम करना शुरू कर दिया है। बीजेपी, शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस चारों प्रमुख पार्टियां संभावित विकल्पों पर विचार कर रही हैं। सूत्रों की माने तो बीजेपी भी अभी सरकार बनाने की रेस में बनी हुई है। ये इस बात से साबित होता है कि बीजेपी के सांसद और राज्य के दिग्गज नेता नारायण राणे ने बयान दिया है कि देवेंद्र फड़नवीस ने नारायण राणे को सरकार बनाने को लेकर काम पर लगने को कहा है। दूसरी ओर शिवसेना और कांग्रेस के बीच भी बातचीत चल रही है।

क्या है पार्टियों का प्लान बी ?

शिवसेना सुप्रीम उद्धव ठाकरे ने भी मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बीजेपी पर थोड़ा नरम रुख दिखाया। बीजेपी से विकल्प खत्म होने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘आपको क्यों इतनी जल्दबाजी है? यह राजनीति है, 6 महीने दिए हैं न राज्यपाल ने। बीजेपी का ऑप्शन मैंने नहीं खत्म किया है, यह बीजेपी ने खुद किया है।’ उद्धव ने कहा कि जो बात उस वक्त हुई थी, उस पर अमल करो। यानी इशारा साफ है कि अभी शिवसेना की तरफ से भी दरवाजे पूरी तरह बंद नहीं हुए हैं।
अगर शिवसेना सारे गिले शिकवे दूर कर बीजेपी के साथ नहीं जाती है तो महाराष्ट्र में तीनों पार्टियां यानि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस कॉमन मिनिमम प्रोग्राम मनाकर सरकार स्थापित करेंगे, तीनों पार्टियों के साथ आये बिना बहुमत सिद्ध करना संभव नहीं है। उद्धव ठाकरे ने मंगलवार रात मुंबई के होटल ट्राइडेंट में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि अहमद पटेल उद्धव ठाकरे से हुई पूरी बातचीत का ब्योरा कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को देंगे, जिसके बाद सरकार गठन को लेकर आगे की रणनीति बनाई जाएगी।
इस बीच सूत्रों के मुताबिक बीजेपी भी एनसीपी के संपर्क में है। बीजेपी को एनसीपी से समर्थन मिलने की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता। 2014 के चुनाव के बाद भी जब बीजेपी के पास बहुमत नहीं था तो उसने एनसीपी के समर्थन से सरकार बनाई थी। हालांकि एक महीने बाद शिवसेना भी बीजेपी के साथ आ गई थी।
बहरहाल महाराष्ट्र विधानसभा अभी निलंबित है। ऐसे में सरकार बनाने की गुंजाइश अभी बची हुई है। फिलहाल राज्य में छह महीने के लिए राष्ट्रपति शासन लगाया गया है लेकिन अगर कोई दल बहुमत के लिए जरूरी 145 विधायकों के समर्थन का पत्र सौंपता है तो राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी उस दावे पर विचार कर सकते हैं। संवैधानिक मान्यताओं के हिसाब से भी यह पूरी तरह राज्यपाल के विवेक पर निर्भर है। ऐसे में नई सरकार के गठन पर अभी संभावनाएं खत्म नहीं हुई हैं।