IndvsPak: भारत और पाकिस्तान के बीच दुबई में होने वाले एशिया कप 2025 मैच को लेकर देश में विरोध के स्वर तेज हो गए हैं। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में अपनों को खो चुके एक पीड़ित परिवार ने इस मैच का खुलकर विरोध किया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भावुक सवाल पूछे हैं।
मेरा भाई वापस दो, फिर मैच खेलो, पीड़ित सावर परमार की भावुक अपील
सावन परमार, जिनके 16 वर्षीय भाई की मौत पहलगाम हमले में हुई थी, ने कहा कि जब उन्हें भारत-पाकिस्तान मैच की खबर मिली, तो वह बेहद आहत और नाराज़ हो गए। उन्होंने कहा कि अगर भारत को पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना ही है, तो पहले मेरा भाई वापस लाओ, जिसे गोलियों से मार डाला गया। हमें लगता है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अब बर्बाद हो गया है। सावन के मुताबिक, भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी तरह के संबंध नहीं होने चाहिए, जब तक कि पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देता है।
हमारी जख्में अभी भरी नहीं हैं, मां किरण परमार का दर्द
सावन की मां किरण यतीश परमार ने भी प्रधानमंत्री मोदी की नीति पर सवाल उठाया और भावुक होकर कहा कि अगर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अभी खत्म नहीं हुआ है, तो फिर भारत-पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच क्यों हो रहा है? उन्होंने देशवासियों से अपील की कि वे उन परिवारों से मिलें जिन्होंने इस हमले में अपने प्रियजन खो दिए हैं, और देखें कि उनका दर्द और स्थिति कितनी गंभीर है।
क्या है ‘ऑपरेशन सिंदूर’?
पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम से एक सैन्य कार्रवाई की थी, जिसमें पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को जवाबी हमला कर निशाना बनाया गया था। इस ऑपरेशन को आतंक के खिलाफ भारत की सख्त कार्रवाई के रूप में देखा गया था। लेकिन अब पीड़ित परिवारों को लग रहा है कि इस ऑपरेशन की अहमियत खत्म हो गई है, क्योंकि भारत एक बार फिर पाकिस्तान के साथ मैदान में आमने-सामने है।
IndvsPak: सोशल मीडिया पर भी उबाल
सोशल मीडिया पर भी कई यूज़र्स इस मैच को लेकर नाराज़गी ज़ाहिर कर रहे हैं। #BoycottIndVsPak ट्रेंड कर रहा है और लोग कह रहे हैं कि जिस देश के साथ हमारे जवान और नागरिक मारे जा रहे हैं, उस देश के साथ किसी भी तरह की खेल भावना नहीं होनी चाहिए। भारत-पाकिस्तान मैच हमेशा से एक भावनात्मक और राजनीतिक रूप से संवेदनशील विषय रहा है। लेकिन जब देश के नागरिक, विशेषकर आतंकवादी हमलों में प्रभावित परिवार, इस तरह से दुख और गुस्सा ज़ाहिर करते हैं, तो यह सवाल उठता है क्या खेल कूटनीति से बड़ा है, या इंसानी भावनाओं से छोटा?