आतंकी हमले से सहमे पर्यटन स्थल में अब फिल्मी कैमरों की चहल-प हल, स्थानीय लोगों में उमंग और उम्मीद का माहौल ! शुरू हुई फ़िल्म ‘Crew’ की शूटिंग ! फिर गुलज़ार हुई देश की जन्नत’ !
6 महीने बाद फिर गुलज़ार हुई घाटी, पहलगाम में लौटी रौनक
कभी अपनी वादियों की खूबसूरती के लिए मशहूर, फिर कुछ महीने पहले आतंकी हमले से दहशत के साये में डूबा पहलगाम अब फिर से चहक उठा है। करीब छह महीने के अंतराल के बाद यहां एक बार फिर से फिल्म कैमरों की गूंज सुनाई दे रही है। बॉलीवुड की चर्चित फिल्म ‘क्रू’ की टीम ने इस सप्ताह पहलगाम में अपनी शूटिंग दोबारा शुरू की है, जिससे इलाके में नई जान सी आ गई है। पिछले जून महीने में पहलगाम इलाके में सुरक्षाबलों पर हुए आतंकी हमले ने पूरे क्षेत्र को हिला दिया था। इस हमले में कई सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे और आसपास के पर्यटन व्यवसाय पर गहरा असर पड़ा। होटल खाली पड़ गए, सैलानियों की आवाजाही अचानक थम गई और स्थानीय लोगों के चेहरों पर चिंता की लकीरें साफ झलकने लगीं।
Terrible Visuals of Pahalgam Attack!
Watch it carefully, I feel, the zeppelin attender sensed that the attack had begun. On the bullet sound he was reciting the AHA slogan. Yet he pushed the tourist into a dangerous zone. He could have stopped him! The locals knew it!?🤷🏻♂️ pic.twitter.com/K8s78FWw2m
— The Hawk Eye (@thehawkeyex) April 28, 2025
लेकिन अब, हालात बदलते दिख रहे हैं। सुरक्षा व्यवस्थाएं सख्त की गई हैं और प्रशासन ने शूटिंग टीम को हरसंभव सहयोग दिया है। ‘क्रू’ की यूनिट के पहलगाम लौटने से स्थानीय लोगों में यह संदेश गया है कि क्षेत्र फिर से सुरक्षित है और जीवन सामान्य हो रहा है।
फिल्म की टीम और स्थानीय उत्साह
फिल्म से जुड़ी टीम के सदस्यों ने बताया कि पहलगाम की वादियां फिल्म के कई अहम दृश्यों के लिए चुनी गई हैं। स्थानीय युवक-युवतियों को भी बतौर सहायक स्टाफ और जूनियर कलाकार काम दिया गया है। इससे न सिर्फ रोजगार के अवसर बढ़े हैं, बल्कि इलाके में पर्यटन की रफ्तार भी दोबारा तेज होने की उम्मीद है। स्थानीय होटल कारोबारी अब्दुल बशीर ने बताया, “हमले के बाद कई महीनों तक सबकुछ बंद सा हो गया था, पर अब शूटिंग शुरू होने से लग रहा है कि पहलगाम फिर अपने पुराने रंग में लौट रहा है।”
सुरक्षा के साये में सिनेमा की चमक
इस बार प्रशासन ने सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए हैं। फिल्म यूनिट के ठहराव और शूटिंग स्थलों पर सशस्त्र बलों की मौजूदगी बनी हुई है। अधिकारी कहते हैं कि शूटिंग को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए पूरी सुरक्षा दी जाएगी ताकि कश्मीर की खूबसूरती एक बार फिर बड़े पर्दे पर सुरक्षित रूप में उभरे। कभी डर और सन्नाटे का प्रतीक बना यह इलाका अब उम्मीद और पुनर्जीवन की मिसाल बनता जा रहा है। पहलगाम में शुरू हुई ‘क्रू’ की शूटिंग न सिर्फ फिल्म जगत के लिए, बल्कि वहां के स्थानीय लोगों के लिए भी एक नई शुरुआत है, जहां गोलियों की गूंज अब कैमरों की क्लिक से बदल गई है।
धीरे-धीरे सामान्य हो रहा पहलगाम, आतंक के साये से उभरकर फिर लौट रही ज़िंदगी
कुछ महीने पहले तक पहलगाम का नाम सुनते ही लोगों के मन में डर और बेचैनी घर कर जाती थी। जून में हुए आतंकी हमले ने इस खूबसूरत पर्यटन स्थल की शांति को तोड़ दिया था। सैलानी दूर हो गए, होटलों में ताले लग गए और घाटी में पसरा सन्नाटा स्थानीय जीवन को थमा गया था। लेकिन अब वही पहलगाम धीरे-धीरे फिर से अपने पुराने रूप में लौट रहा है। अक्टूबर के बाद से घाटी में पर्यटकों की आवाजाही दोबारा शुरू हो गई है। पहलगाम के होटल, हाउसबोट और बाजारों में अब पहले जैसी चहल-पहल लौट आई है। कई हनीमून जोड़े, ट्रेकिंग ग्रुप और परिवार अब घाटी की खूबसूरती का आनंद लेने पहुंचे हैं। स्थानीय टूर ऑपरेटरों के अनुसार, “इस सीजन में बुकिंग फिर से बढ़ने लगी है। जो लोग डर के कारण नहीं आ रहे थे, अब लौटने लगे हैं।”
फिल्मी शूटिंग से आई नई जान
‘क्रू’ फिल्म की शूटिंग की वापसी ने इलाके में नई ऊर्जा भर दी है। शूटिंग यूनिट की मौजूदगी से न सिर्फ रोज़गार के अवसर बढ़े हैं, बल्कि होटल और रेस्टोरेंट कारोबार भी दोबारा पटरी पर आने लगा है। स्थानीय युवक गाइड, ड्राइवर और स्टाफ के रूप में जुड़कर आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं। सुरक्षा बलों की लगातार गश्त और संवेदनशील इलाकों में चौकसी ने लोगों में विश्वास बहाल किया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि “अब हमें डर नहीं लगता, फौज और पुलिस हमेशा गश्त पर रहती है।” प्रशासन ने पर्यटन स्थलों पर सीसीटीवी और हेल्प डेस्क भी स्थापित किए हैं ताकि हर पर्यटक सुरक्षित महसूस करे।
बाजारों में फिर गूंज रही है रौनक
हमले के बाद लंबे समय तक बंद रहे पहलगाम के बाज़ार अब खुल चुके हैं। ऊनी कपड़ों, हस्तशिल्प और कश्मीरी ड्राई फ्रूट की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ दिख रही है। कश्मीरी चाय और कहवा की खुशबू से सड़कों पर फिर वही पुराना सुकून लौट आया है। कई दुकानदारों और गाइडों का मानना है कि अगर हालात ऐसे ही शांत बने रहे, तो आने वाले महीनों में पर्यटन अपने चरम पर होगा। गुलाम नबी, एक स्थानीय कारोबारी कहते हैं, “हमले के बाद लगा था कि सब खत्म हो गया, पर अब लगता है कि अल्लाह ने फिर से जिंदगी लौटाई है।”
पहलगाम की वापसी: उम्मीद की घाटी
कभी अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सुकून भरे माहौल के लिए प्रसिद्ध पहलगाम पिछले कुछ वर्षों में कई बार आतंक की लपटों से झुलस चुका है। हाल ही में हुए हमले ने एक बार फिर इस घाटी के दिल में डर और असुरक्षा की गहरी लकीर खींच दी थी। लेकिन जो घाटी सदियों से अपने शांत स्वरूप और जीवनदायिनी प्रकृति के लिए जानी जाती है, उसे चुप कराना आसान नहीं। आज वही पहल्गाम फिर से उठ खड़ा हुआ है और यह पुनर्जागरण केवल सुरक्षा या पर्यटन का नहीं, बल्कि आशा और आत्मविश्वास का प्रतीक है।
पिछले छह महीनों में प्रशासन और स्थानीय लोगों ने मिलकर जो संयम और धैर्य दिखाया, उसने आतंक की काली छाया को पीछे धकेल दिया है। पर्यटक लौट रहे हैं, फिल्म यूनिटें शूटिंग करने पहुंच रही हैं, और बाजारों में फिर से हंसी-ठिठोली सुनाई देने लगी है। यह सब केवल आर्थिक गतिविधियों का संकेत नहीं, बल्कि उस सामूहिक इच्छाशक्ति का प्रमाण है जो कहती है, “हम डर से नहीं, उम्मीद से जीते हैं।” पहलगाम की वापसी याद दिलाती है कि कश्मीर की असली पहचान बारूद से नहीं, बल्कि बादलों, देवदारों और बहते झरनों से है। इस घाटी की मुस्कुराहट में भारत की विविधता, सहिष्णुता और एकता की झलक मिलती है।
उम्मीद पर कायम है दुनिया, बेहतर कल की उम्मीद !
अब ज़रूरत इस बात की है कि इस नाजुक वापसी को टिकाऊ बनाया जाए, बेहतर सुरक्षा, स्थानीय युवाओं के लिए रोज़गार के अवसर और स्थायी पर्यटन नीति के ज़रिए ! जब स्थानीय लोग अपने भविष्य में विश्वास महसूस करेंगे, तभी आतंक की जड़ें कमजोर होंगी। पहलगाम आज हमें सिखा रहा है कि हर सर्दी के बाद बहार आती है। घाटी की ये मुस्कुराती वादियां इस बात का सबूत हैं कि डर भले पल भर के लिए जीत जाए, लेकिन उम्मीद हमेशा लौट आती है और इस बार, पहले से कहीं ज्यादा मजबूत होकर !
पहलगाम की वादियां अब एक नई कहानी कह रही हैं, डर और दहशत की नहीं, बल्कि उम्मीद, पुनर्जीवन और इंसानी हौसले की। घाटी की ठंडी हवाओं के साथ अब लोगों के चेहरों पर भी फिर से गर्म मुस्कान लौट आई है। पहलगाम की वादियों में इस समय ठंडी हवाओं के साथ एक नई गर्माहट है, उम्मीद की, पुनर्जीवन की और उस फिल्मी रौनक की, जो घाटी की सुंदरता को फिर से दुनिया के सामने लाने को तैयार है !
Long or Short, get news the way you like. No ads. No redirections. Download Newspin and Stay Alert, The CSR Journal Mobile app, for fast, crisp, clean updates!

