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March 17, 2025

Manikarnika Dutta से आखिर क्यूं है खफा Britain सरकार, दे रही देशनिकाला!

America से भारतीयों का निष्कासन, हमास के सार्थन के आरोप में भारतीय छात्रा का वीजा रद्द होना, आनन फानन में करियर दांव पर लगाकर अमरीका से भागना, इन सारे घटनाक्रमों के बीच Britain से भारतीय Historian Manikarnika Dutta के Deportation की खबर सामने आ रही है। आखिर कौन हैं मणिकर्णिका दत्ता, जिन्हें ब्रिटेन से निर्वासन का सामना करना पड़ रहा है!

Manikarnika Dutta को IRL देने से Britain ने किया इनकार

Oxford University की पूर्व छात्रा और प्रतिष्ठित इतिहासकार Manikarnika Dutta को ब्रिटेन से निर्वासन Deportation का सामना करना पड़ रहा है। UK Home Office ने उन्हें ‘इंडेफिनिट लीव टू रिमेन’ (ILR) देने से इनकार कर दिया है। गृह कार्यालय के नियमों के अनुसार, ILR आवेदक 10 साल की अवधि में अधिकतम 548 दिन UK से बाहर बिता सकते हैं, लेकिन Manikarnika Dutta ने यह सीमा 143 दिनों से पार कर ली है और वे 691 दिनों तक Britain से बाहर भारत में रही हैं। मणिकार्णिका वर्तमान में Dublin University College में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।

Manikarnika Dutta Deportation

Oxford University की पूर्व छात्रा और प्रसिद्ध Historian Manikarnika Dutta को ब्रिटेन से निर्वासन का सामना करना पड़ रहा है। इसका कारण यह है कि UK Home Office ने उन्हें ‘इंडेफिनिट लीव टू रिमेन’ (ILR) देने से इनकार कर दिया है। Manikarnika साल 2012 में भारत से Britain आई थीं Masters की डिग्री हासिल करने। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से उन्होंने अपनी मास्टर डिग्री शुरू की थी और बाद में वहीं से डॉक्टरेट भी किया। वर्तमान में, वह यूनिवर्सिटी कॉलेज डबलिन में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। मणिकर्णिका का शोध भारत से जुड़ा हुआ है, जिसके लिए उन्हें बार-बार भारत की यात्रा करनी पड़ी, लेकिन British Law Of Refraction के अनुसार, ILR के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति को पिछले 10 वर्षों में अधिकतम 548 दिन ही ब्रिटेन से बाहर रहने की अनुमति होती है लेकिन अपनी Research सामग्री जुटाने के कारण कुल 691 दिनों तक भारत में रहीं, जिस कारण उनका आवेदन अस्वीकार कर दिया गया।

Britain Home Office ने अपनाया सख्त रवैया

ब्रिटेन के गृह कार्यालय ने Law Of Refraction लागू करते हुए Manikarnika Dutta के आवेदन को खारिज कर दिया, जबकि उनके पति डॉ. सौविक नाहा ( Dr. Souvik Naha) जो यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो (University Of Glasgow) में वरिष्ठ व्याख्याता हैं, को ILR प्रदान कर दिया गया। मणिकर्णिका ने जब यह निर्णय सुना तो वह स्तब्ध रह गईं। उन्होंने कहा, “मैंने अपना पूरा वयस्क जीवन, पूरे 12 साल ब्रिटेन में बिताया है, मुझे कभी नहीं लगा था कि मेरे साथ ऐसा होगा।”

Manikarnika ने फैसले को दी चुनौती

Manikarnika के वकील नागा कंदैया ने इस फैसले को कानूनी रूप से चुनौती दी है। उन्होंने तर्क दिया कि उनकी यात्राएं व्यक्तिगत नहीं, बल्कि Research कार्य के लिए थीं। यह मामला Academic Communities के लिए चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि इससे अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं को ब्रिटेन में शोध करने में दिक्कतें आ सकती हैं। कई लोगों का मानना है कि UK का ये रवैया शीर्ष स्तर के वैश्विक विद्वानों को देश से दूर कर सकता है। फिलहाल, Britain Home Office ने अगले 3 महीनों में Manikarnika के मामले की सुनवाई करने की सहमति दे दी है, लेकिन Dutta अभी भी अनिश्चितता की स्थिति में हैं। वो ये भी नहीं जानतीं कि UK में उन्हे अपना करियर जारी रखने की अनुमति मिलेगी भी, या फिर उन्हे देश छोड़ने को मजबूर किया जाएगा। वो देश, जिसे पिछले 12 सालों से वो अपना घर मानती आई हैं।

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