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June 9, 2025

तमिलनाडु के तट पर मिली दूसरी दुनिया की खूबसूरत Oarfish, जापानी मानते हैं प्रलय का संकेत 

Doomsday Fish: तमिलनाडु के समुद्री तट पर मछुआरों ने हाल ही में एक बेहद दुर्लभ समुद्री Doomsday Fish को पकड़ा है, जिसे वैज्ञानिक भाषा में ‘Oarfish’ कहा जाता है। यह मछली आमतौर पर समुद्र की गहराइयों में पाई जाती है, लेकिन इसका सतह पर दिखना बेहद असामान्य घटना है। यही कारण है कि इस मछली के मिलने की खबर ने सभी का ध्यान खींचा है और लोग तरह-तरह की आशंका व्यक्त कर रहे हैं। Oarfish-Doomsday Fish: भारत के अलावा दुनिया के कुछ और मुल्कों में ओरफिश पाई गई है। इसे प्रलय की मछलियां भी कहा जाता है। दूसरी दुनिया की सबसे सुंदर मछली है ओरफिश!

Doomsday Fish मिली तमिलनाडु के तट पर

इस सप्ताह तीन Oarfish ‘प्रलय की मछलियां’ (Doomsday Fish) ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के तटों पर बहकर आई हैं। बीते सोमवार को तस्मानिया के पश्चिमी तट पर, फिर न्यूजीलैंड के दक्षिण द्वीप डुने़डिन और क्राइस्टचर्च के पास दो सिररहित ओरफिश पाई गई। इसी साल के मई के महीने में भारत के तमिलनाडु के समुद्री तट के पास मछुआरों ने भी ओरफिश (Oarfish found at Taminadu Seashore)को पकड़ा। इसे लोग प्रलय के संकेत के रूप में देख रहे हैं। हालांकि वैज्ञानिकों ने इस घटना को किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा के संकेत जैसी बातों से जोड़ने को सिरे से खारिज किया है।

जापनी मानते हैं ओरफिश को प्रलय का संकेत

जापानी लोककथाओं में ओरफिश को प्रलय का संकेत माना गया है। जापानी लोग ओरफिश को ‘डूम्सडे फिश’ (Doomsday Fish) भी कहते हैं। उनका मानना है कि ओरफिश का मिलना, भूकंप या सुनामी (Tsunami) आने की आहट है। साल 2011 में जापान में आए भूकंप और सुनामी से पहले कई ऑरफिश समुद्री तटों पर पायी गई थीं। इसके चलते जापानी किंवदंतियों में लिखी बातों को बल मिला।

समुद्र तट पर ओरफिश का मिलना किस तरह का संकेत

वैज्ञानिक जापानी किंवदंतियों को सिरे से खारिज करते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ओरफिश का सतह पर आना समुद्री पर्यावरण में हो रहे परिवर्तन से जुड़ा है। जलवायु परिवर्तन या समुद्री धाराओं में बदलाव के कारण यह मछली दिशा भ्रम का शिकार होकर तटों पर आ जाती हैं। वह बीमार होने के कारण भी तट तक पहुंच जाती हैं।

 दूसरी दुनिया की सुंदर मछली

न्यूजीलैंड के ते पापा टोंगरेवा संग्रहालय में मछलियों के क्यूरेटर एंड्रयू स्टीवर्ट ने ओरफिश को दूसरी दुनिया के रूप में बताया है। उन्होंने कहा कि बैंगनी-नीले, चांदी और लाल रंग की यह मछली बेहद ही सुंदर दिखती है। म्यूजियम का एक दल शानदार और अलौकिक दिखने वाली ओरफिश में से एक की जांच करने के लिए रवाना हुआ था लेकिन उससे पहले सीगल आ गए और उनके सिर को खा गए। ओरफिश का सिर रिसर्च के लिहाज से बेहद उपयोगी माना जाता है। स्टीवर्ट ने कहा कि मछली के सिर के हिस्से में बहुत सी मुख्य विशेषताएं थीं। कान की हड्डियां, दांत, गिल और रेकर रिसर्च के लिए उपयोगी साबित होते। एंड्रयू ने कहा कि 8 मीटर की ओरफिश का हर हिस्सा दूसरे हिस्से की तरह हू-ब-हू दिखता है। न्यूजीलैंड में ओरफिश के देखे जाने के लगभग 20 रिकॉर्ड मौजूद हैं। स्टीवर्ट ने बताया कि ओरफिश समुद्री सांपों की किंवदंतियों से उपजी, लेकिन प्रलय के दूत के रूप में उनका कोई आधार नहीं था। वर्ष 2019 के अध्ययन से साबित होता है कि ओरफिश और भूंकप के आने के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है।

ओरफिश का मिलना है अति दुर्लभ दुर्घटना

न्यूजीलैंड के हैमिल्टन शहर में स्थित वाइकाटो विश्वविद्यालय के एक मछली पारिस्थितिकीविद प्रो. निक लिंग ने कहा कि ओरफिश का मिलना बेहद दुर्लभ है। यह मछली खुले और गहरे समुद्र में पाई जाती है इसलिए इनके बारे में रिसर्च कर पाना लगभग असंभव है। प्रो. निक ने कहा कि यह समुद्र में लंबवत (Vertical) लटकी रहती है। यह अपने मांस और पृष्ठीय पंखों को हिलाकर तैरती है। उन्होंने कहा कि इस मछली की जीवन शैली असाधारण है। यह समुद्र की गहराई में झूलती रहती है और भोजन के आने का इंतजार करती है।
ओरफिश का तमिलनाडु के तट पर दिखना न सिर्फ दुर्लभ है, बल्कि यह समुद्र के अनजाने रहस्यों की एक झलक भी पेश करता है। वैज्ञानिक नजरिए से यह घटना रोमांचक जरूर है, लेकिन इससे जुड़ी पुरानी मान्यताओं पर आंख मूंदकर विश्वास करना उचित नहीं होगा।

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