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June 12, 2025

Nuclear Weapons: बस एक विस्फोट, और कई नस्लें तबाह 

Nuclear Weapons: 1945 में जैसे ही परमाणु बम फटा, शहर का तापमान एक सेकंड के हज़ारवें हिस्से से भी कम समय में 4000 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया। यह तापमान कुछ ही पलों तक रहा, लेकिन पूरे हिरोशिमा शहर और उसके उपनगरों में सभी जीवित चीजें जलकर राख हो गईं, यहां तक, कि इमारतें भी पिघल गईं। Nuclear विस्फोट के एक सेकंड के भीतर, लगभग एक लाख लोग भाप और धुएं में घुल गए, कोई भी जीवित चीज नहीं बची। हिरोशिमा में रहने वाले लोग मिट गए। जो बच गए, वे मरने की कामना कर रहे थे।

पूरे देश से संचार टूट गया

Nuclear Weapons: हिरोशिमा पर जो परमाणु बम गिराया गया था, उससे 4000 डिग्री सेल्सियस की गर्मी निकली, लेकिन इस समय पाकिस्तान और भारत के पास जो परमाणु बम हैं, वे 25000 से 40000 डिग्री सेल्सियस की गर्मी छोड़ने की शक्ति रखते हैं। अगर कभी युद्ध की स्थिति बनती है, और Nuclear Weapons इस्तेमाल में लाए जाते हैं, यह खेल सिर्फ़ कुछ सेकंड तक चलेगा और धरती के मैदानों, रेगिस्तानों, जंगलों, पहाड़ों, समुद्रों या नदियों के बहते पानी में कोई भी जीवित चीज़ नहीं बचेगी। कोई ब्रेकिंग न्यूज़ नहीं होगी दिखाने के लिए, और देखने वाला भी कोई नहीं होगा। युद्ध कोई मज़ाक नहीं है!
Nuclear Weapons: परमाणु बम, मानव द्वारा निर्मित सबसे खतरनाक हथियारों में से प्रमुख है | पूरी दुनिया को इस खतरनाक हथियार की ताकत का अंदाजा 1945 के बाद लगा था, क्योंकि 1945 में द्वितीय विश्वयुद्ध ( World War ll) के दौरान परमाणु बम का प्रयोग जापान के दो शहरों पर किया गया, जिनका नाम हिरोशिमा और नागासाकी था। ये दोनों शहर परमाणु बम गिरने के बाद से पूरी तरह तहस नहस हो गए| परमाणु बम (Nuclear वेपन) एक तरह का विस्फोटक हथियार होता है जो परमाणु विखंडन या संलयन के द्वारा परमाणु प्रतिक्रियाओं का उपयोग करता है | ये हथियार बहुत बड़ी मात्रा मे उर्जा छोड़ते हैं, और इसीलिए ये विनाश का कारण भी बनते है | Nuclear Weapons इतने खतरनाक होते हैं कि एक ही बम में लाखों लोगों को मारने और पूरे शहर को नष्ट करने की क्षमता रखते है |

परमाणु बम (Nuclear Weapon) क्या है

Nuclear Weapon या परमाणु बम में युरेनियम या प्लूटोनियम के परमाणु विखंडन के द्वारा ऊर्जा उत्पन्न होती है | इस प्रक्रिया में परमाणु के केंद्रक में न्यूट्रॉन से चोट की जाती है जिसके बाद बहुत भारी मात्रा में उर्जा उत्पन्न होती है | इस प्रक्रिया को नाभिकीय विखंडन भी कहा जाता हैं,इस प्रक्रिया के बारे में हम विज्ञान में पढ़ते आ रहे है| परमाणु बम इतना अधिक खतरनाक होता है कि यदि यह कहीं पर गिरा दिया जाए तो कई दशकों तक जन-जीवन का निशान समाप्त हो जाता है, और वहां पर पेड़ पौधे तक भी नहीं उग पाते है। इसका प्रभाव बहुत ही ज्यादा विनाशकारी होता है।
Nuclear Weapons: न्यू मैक्सिको में एक परमाणु बम संग्रहालय बनाया गया है, जिसका मिशन परमाणु इतिहास और विज्ञान के लिए अमेरिका के संसाधन के रूप में काम करना है। यह संग्रहालय प्रति वर्ष सिर्फ 12 घंटे के लिए ही खोला जाता है। 1950 के दशक में, लास वेगास को मिस परमाणु बम का ताज भी पहनाया गया था। सबसे पहले परमाणु बम को जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर के नेतृत्व में उनकी एक वैज्ञानिक टीम ने बनाया था | परमाणु हथियार मुख्यतः दो तरह के होते हैं, पहला विखंडन और दूसरा थर्मोन्यूक्लियर होता है | विखंडन बम में विखंडन प्रतिक्रियाओं का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे ऊर्जा निकलती है। वहीं थर्मोन्यूक्लियर बम को हाइड्रोजन बम या एच-बॉम्ब कहा जाता है |

परमाणु बम (Nuclear Weapon) का प्रयोग कब हुआ

परमाणु बम (Nuclear weapon) का सर्वप्रथम प्रयोग 6 अगस्त, 1945 को संयुक्त राज्य अमेरिका ने जापान से युद्ध के दौरान किया था, जहां पर अपने पहले परमाणु बम को हिरोशिमा शहर में गिराया था |फिर इसके तीन दिन बाद, 9 अगस्त, 1945 को, जापान के ही नागासाकी शहर में गिराया। पहले परमाणु बम का उपनाम ‘Little Boy’ और दूसरे का ‘Fat Man’ था। नागासाकी पर गिराए जाने वाले बम का इस्तेमाल पहले जापान के कोकुरा शहर पर किया जाना था, परन्तु खराब मौसम के चलते इसे नागासाकी पर ही गिरा दिया गया था | इसके बाद पूरे विश्व में अभी तक परमाणु बम का प्रयोग नहीं किया गया है |

परमाणु बम (Nuclear Weapon) के इस्तेमाल के परिणाम

परमाणु बम (Nuclear weapon) का किसी युद्ध में इस्तेमाल करने के परिणाम बहुत ही भयंकर और विनाशकारी होते है। ऐसा बताया जाता है कि जब परमाणु बम का युद्ध में इस्तेमाल करके इसे जापान के दो शहरों पर गिराया गया, तब परिणामस्वरूप 1,40,000 से अधिक लोग हिरोशिमा में और लगभग 74000 नागासाकी में वर्ष 1945 के अंत तक मर चुके थे, और हज़ारों की तादाद में लोग अभी भी विकिरण बीमारी से पीड़ित हैं। इसके अलावा हिरोशिमा में बम के गिराने से 15,000 टन TNT के विस्फोट होने की वजह से काफी प्रभाव पड़ा था, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 70 प्रतिशत इमारतें भी नष्ट हो गई थीं। जब विस्फोट हुआ, तब 500 मीटर के भीतर के 90 प्रतिशत लोग तीन सप्ताह के अंदर गंभीर जलन या विकीरण की उच्च खुराक से मर गए थे।

Nuclear Weapons के मामले में कौनसा देश कितना खतरनाक

Nuclear Weapons: परमाणु संपन्न देशों के नाम रूस, अमेरिका, भारत, पाकिस्तान, इजरायल, चीन, फ्रांस, उत्तर कोरिया और इंग्लैंड हैं। इन सभी नौ देशों के पास मिलाकर 12121 परमाणु हथियार हैं, इनमें से 9585 सैन्य हथियार और 3904 को मिसाइल और विमानों में तैनात किया गया है।
रूस के पास सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं। रूस ने अपने 4380 परमाणु हथियारों में 1710 हथियारों को मिसाइल, बमवर्षक और फाइटर जेट्स में तैनात किया है। रूस इस वक्त यूक्रेन के साथ युद्ध में उलझा है। वह कई बार अमेरिका और नाटो देशों को परमाणु हमले की धमकी दे चुका है।
दूसरे नंबर पर अमेरिका 3708 परमाणु हथियारों के साथ संपन्न है। इसने 1770 परमाणु हथियारों को तैनात किया है। अमेरिका वैसे तो दुनिया का सबसे ताकतवर देश होने का दावा करता है, लेकिन परमाणु हथियारों के मामले में रूस से काफी पीछे है। तीसरे नंबर पर चीन है। हमारे पड़ोसी देश के पास 500 परमाणु हथियार हैं। चीन ने 24 हथियारों को तैनात किया है।
इसके बाद फ्रांस 290 परमाणु हथियारों के साथ चौथा परमाणु संपन्न देश है। चौंकाने वाली बात यह है कि फ्रांस ने 280 परमाणु हथियारों को तैनात कर रखा है। इंग्लैंड के पास 225 परमाणु हथियार है, जिनमें से उसने 120 हथियारों को युद्ध के लिए तैनात कर रखा है।
Nuclear Weapons: भारत की बात की जाए, तो 2023 तक भारत 1640 परमाणु हथियारों से संपन्न था, अब यह संख्या बढ़कर 172 हो गई है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट कहती है भारत के पास पाकिस्तान से ज्यादा परमाणु हथियार हैं। अच्छी बात यह है कि भारत ने अपने सभी परमाणु हथियारों को सुरक्षित रखा है, किसी को भी तैनात नहीं किया है। पाकिस्तान की बात की जाए तो उसके पास 170 परमाणु हथियार हैं। इनमें से कुछ नस्त्र, हत्फ, गजनवी भी हैं। अन्य देशों में इजरायल के पास 90 और उत्तर कोरिया के पास 50 परमाणु हथियार हैं।
 हालांकि परमाणु बम की क्षमता हासिल करने के बाद भारत दुनिया को यह समझाने में कामयाब रहा कि वह इसका इस्तेमाल पहले नहीं करेगा और न ही हथियारों की होड़ में शामिल होने का उसका कोई इरादा है। साल 2003 में भारत ने आधिकारिक तौर पर परमाणु सिद्धांत जारी किया, जिसमें ‘नो फर्स्ट नीति’ की बात कही गई है।

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