राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेस (Rajendra Institute of Medical Sciences) ये झारखंड का सबसे बड़ा और सबसे प्रीमियम मेडिकल इंस्टीट्यूट है। राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेस यानी रिम्स (RIMS) में इलाज के लिए ना सिर्फ झारखंड बल्कि आसपास के राज्यों से भी मरीज आते हैं। ऐसे मरीजों के परिजनों के ठहरने और विश्राम करने के लिए एक रेस्ट हाउस के निर्माण की आधारशिला रखी गई। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में डेंटल विभाग के पीछे विश्राम गृह निर्माण कराने का फैसला किया गया।
रांची के रिम्स अस्पताल में एनटीपीसी (NTPC) के सीएसआर पहल से बन रहा है रेस्ट हाउस
विश्राम गृह के निर्माण की लागत 15 करोड़ बतायी गयी थी। एनटीपीसी (National Thermal Power Corporation Limited) की ओर से सीएसआर फंड (Corporate Social Responsibility) के तहत विश्राम गृह का निर्माण किया जाना था। 14 जुलाई 2019 को रिम्स ऑडिटोरियम में भव्य कार्यक्रम भी हुआ। इसी कार्यक्रम के बीच 310 बेड वाले विश्रामगृह को 15 माह में बनाकर प्रबंधन को हैंड ओवर देने की घोषणा भी हुई थी। इसके शिलान्यास कार्यक्रम में केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री आरके सिंह भी मौजूद थे। लेकिन ये तो वादें थी वादों का क्या। घोषणा महज घोषणा ही बनकर रह गयी। तीन साल बीतने के बाद भी विश्राम गृह तैयार नहीं हो पाया है।
अभी तक विश्राम गृह में इतना काम है अधूरा
दरअसल रिम्स की बाउंड्री वॉल गिर जाने के कारण सड़क बनाने में समस्या हो रही है। जब तक बाउंड्री नहीं बन जाती, तब तक सड़क नहीं बन सकती है। ऐसे में अभी समय लगेगा, रिम्स का काम देख रहे इंजीनियर की मानें तो अगस्त के अंत में काम पूरा होने की उम्मीद है। जाहिर है 15 महीनों का वादा करने के बाद भी विश्राम गृह नहीं बन पाया है ऐसे में लागत भी बढ़ेगी और NTPC CSR (सीएसआर) को ज्यादा फंड देना पड़ सकता है।
एनटीपीसी के सीएसआर से बन रहे विश्राम गृह में परिजनों को मिलेगी ये सुविधाएं
पांच मंजिला वाले विश्राम गृह के हर एक कमरे में 6 से 8 बेड लगाए गए हैं। साथ ही सामान रखने के लिए हर एक कमरे में अलमारी बनाया गया है। इसके अलावा हर एक कमरे के बाहर लॉकर मिलेगा। जिसमें मरीज व उनके परिजन अपने सामानों को सुरक्षित तरीके से रख सकते हैं। हर एक फ्लोर पर चार वॉशरूम भी है। वहीं दिव्यांगों के लिए भी अलग से वॉशरूम की व्यवस्था की गई है। ग्राउंड फ्लोर पर वेटिंग एरिया, कैफेटेरिया और कैंटीन की भी सुविधा मरीजों को मिलेगी। जाहिर है अगर ये रेस्ट हाउस समय पर बन जाता तो मरीजों को सहूलियत तो मिलती ही साथ ही अतिरिक्त फंड्स की भी बचत होती।