26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले में शहीद राहुल शिंदे की वीरता को सम्मान देने के लिए तत्कालीन सरकार ने उनके परिवार को म्हाडा यानी महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी की ओर से फ्री फ्लैट आवंटित किया था। हालांकि, शहीद राहुल शिंदे के माता-पिता सुबोध शिंदे और सखाराबाई शिंदे अपने पैतृक गांव में रहने लगे थे। ऐसे में उन्होंने MHADA से फ्लैट बेचने की अनुमति मांगी थी। परिवार की इस मांग को मानते हुए, म्हाडा ने बिना किसी अतिरिक्त शुल्क लिए नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) जारी कर दिया। परिवार पर किसी भी प्रकार का किराया बकाया नहीं था, जिससे प्रक्रिया जल्दी पूरी कर दी गई।
गांव में रहने के कारण परिवार ने मांगी थी अनुमति
मुंबई में फ्लैट का उपयोग न कर पाने के कारण शहीद के माता पिता ने ये फ्लैट बेचने की अनुमति मांगी। यह फ्लैट अमर सहकारी हाउसिंग सोसायटी, प्रतीक्षा नगर, सायन में स्थित है। 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले में शहीद राहुल शिंदे ने अपनी जान की बाजी लगाकर आतंकियों का मुकाबला किया था। शहीद राहुल शिंदे एसआरपीएफ में कांस्टेबल थे। उनकी इस बलिदान को याद रखते हुए सरकार ने उनके परिवार को घर देने का निर्णय लिया था, ताकि उनके माता-पिता को किसी तरह की आवासीय और आर्थिक परेशानी न हो। राहुल शिंदे जैसे वीर जवानों ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है। ऐसे में उनका परिवार किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करे इसी भावना से म्हाडा ने संवेदनशीलता का परिचय दिया।
शहीद परिवारों के प्रति संवेदनशीलता का परिचय
म्हाडा के वीपी और सीईओ आईएएस संजीव जायसवाल (MHADA VP & CEO Sanjeev Jaiswal) ने NOC पर फैसला लेते हुए खुद शहीद के माता पिता को NOC सौंपी। म्हाडा का यह निर्णय समाज के प्रति उनकी सामाजिक जिम्मेदारी को दर्शाता है। यह सिर्फ एक कानूनी प्रक्रिया नहीं थी, बल्कि एक संवेदनशील और सहानुभूति भरा कदम था, जो दर्शाता है कि सरकार और प्रशासन अपने वीर सपूतों के परिवारों की परेशानियों को हल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस फैसले से यह संदेश भी जाता है कि सरकार केवल शहीदों को सम्मानित करने तक सीमित नहीं रहती, बल्कि उनके परिवारों को दी गई सुविधाओं को व्यावहारिक और न्यायसंगत तरीके से लागू करने के लिए भी तत्पर रहती है।